30 मई को सरकार का कामकाज शुरू हुआ. इस दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE में मौजूद कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 153 लाख 62 हज़ार 936 करोड़ रुपए था. सोमवार यानी 9 सितम्बर को मार्केट बंद हुआ तो इन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 141 लाख 15 हजार 316 करोड़ रह गया. सीधे-सीधे 12.5 लाख करोड़ रुपए कम. मार्केट कैपिटलाइजेशन यानी किसी कंपनी की डॉलर के बाज़ार में हैसियत.

किस कंपनी को कितना नुकसान हुआ (साभार - दैनिक भास्कर)
30 मई से अब तक BSE का सेंसेक्स 2,357 पॉइंट गिर चुका है. जबकि NSE का सेंसेक्स 858 पॉइंट गिर चुका है. दैनिक भास्कर के मुताबिक़, इस गिरावट का कारण एक तो ये है कि आर्थिक वृद्धि बहुत कम है, और ये भी कि विदेशी निवेशक पीछे हट रहे हैं. कहा जाता है कि विदेशी निवेशक सरकार के टैक्स से परेशान थे.
9 सितम्बर को ऑटो इंडस्ट्री के भी आंकड़े आए हैं. बीते दस सालों में ऑटोमोबाइल की बिक्री में जबरदस्त कमी दर्ज की गयी है. मोटरकारों में ये कमी 41 प्रतिशत की है, जबकि बाइकों में ये कमी 22 प्रतिशत तक की है. ऐसे में ये निवेशकों को होने वाला नुकसान भी अच्छी खबर नहीं माना जा सकता है.
हाल में ही आरबीआई ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ अपने रिज़र्व में से दिए थे. सरकार ने अपनी मंशा ज़ाहिर नहीं की है कि इन पैसों का क्या किया जाएगा. एनडीटीवी से बात करते हुए IDBI कैपिटल में रिसर्च प्रमुख ए.के. प्रभाकर ने बताया है कि डूब गए 12.5 लाख करोड़ - जो RBI से मिले लोन का लगभग 7.5 गुना है - इसलिए भी डूबे क्योंकि अमरीका और चीन में ट्रेड वार चल रही है. विदेशी निवेशक उससे भी परेशान हैं, पैसे खींच रहे हैं. और इधर के निवेशकों के पैसे डूब रहे हैं.
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