जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी नाम का एक आर्गेनाईजेशन एक्टिव रहा है. इसी आर्गेनाईजेशन से जुड़ा एक ट्रस्ट है, ‘फलाह-ए-आम’ (FAT). इस ट्रस्ट के बैनर तले जम्मू-कश्मीर में कई स्कूल चलते हैं. लेकिन, अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu-Kashmir Administration) ने इस ट्रस्ट को जम्मू-कश्मीर में स्कूल चलाने से रोक दिया है.
कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के सभी स्कूल बैन, सरकार ने बच्चों से कहा- सरकारी स्कूल में चलिए
कश्मीर घाटी में जमात के 300 से भी ज्यादा स्कूल हैं, 11 हजार बच्चे इनमें पढ़ते हैं

केंद्र शासित प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि 15 दिन के अंदर वो अपने-अपने जिलों में ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे सभी स्कूल और संस्थानों को सील करें. सरकार ने ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले 11,000 से ज्यादा छात्रों को पास के सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए कहा है. लेकिन, इन स्कूलों में काम करने वाले टीचर्स और बाकी स्टाफ अब क्या करेंगे, सरकारी आदेश में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
ऑर्डर में क्या है?अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 1990 के एक (बैन) ऑर्डर का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि इन बैन किए गए संस्थानों में कोई नए एडमिशन नहीं लिए जाएंगे. और न ही आगे इन संस्थानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. साथ ही ऑर्डर में सभी जिला और जोन लेवल के एजुकेशन ऑफिसर्स से कहा गया है कि वो इस बात का प्रचार करें कि फलाह-ए-आम ट्रस्ट के स्कूलों को सरकारी मान्यता नहीं है.
जम्मू-कश्मीर के प्रमुख शिक्षा सचिव B.K. सिंह ने बीते सोमवार 13 जून, 2022 को ये आदेश जारी किया है. इसमें लिखा है,
1990 के ऑर्डर में झोल?‘जम्मू और कश्मीर सरकार ने 11 मई, 1990 को फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था, और 23 अक्टूबर, 2019 को इसे दोबारा कम्यूनिकेट किया गया. इन बैन किए गए संस्थानों में पढ़ रहे छात्र इस अकैडेमिक सेशन के लिए पास के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेंगे. सभी प्रिंसिपल्स, चीफ़ और जोनल ऑफिसर्स इन छात्रों को एडमिशन लेने की सुविधा दिलाएंगे.’
जमात-ए-इस्लामी ने साल 1972 में फलाह-ए-आम ट्रस्ट बनाया था. एक वक़्त कश्मीर और जम्मू के कुछ इलाकों में इस ट्रस्ट के 300 से ज्यादा स्कूल चलते थे. ट्रस्ट के कॉन्स्टीट्यूशन में इसे एक गैर राजनीतिक निकाय बताया गया है. साथ ही दावा किया गया है कि शिक्षा और मानव जाति की सेवा करना उसके उद्देश्यों में से एक है.
सरकार ने अपने ऑर्डर में साल 1990 के जिस बैन ऑर्डर का हवाला दिया है. वो बैन ऑर्डर जम्मू और कश्मीर के क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, 1983 के सेक्शन 3 के तहत दिया गया था. इस एक्ट के मुताबिक़ लगाया गया बैन केवल 2 साल के लिए था. साल 1967 का एक केन्द्रीय क़ानून भी है जिसे अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ एक्ट यानी गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम कहते हैं. इसके मुताबिक़ भी बैन केवल 5 साल के लिए लागू रहता है.
अखबार के मुताबिक़ साल 1990 में जब ट्रस्ट पर बैन लगाया गया, तो ट्रस्ट ने अपने ज्यादातर स्कूल मोहल्लों और गांवों की समितियों को चलाने के लिए दे दिए थे. ट्रस्ट से जुड़े एक व्यक्ति के मुताबिक़ ट्रस्ट का सीधा कंट्रोल 25 से कम स्कूलों पर ही बचा है. और सरकार के हालिया आदेश में ये भी साफ़ नहीं है कि ट्रस्ट द्वारा सीधे चलाए जा रहे स्कूलों को बैन किया गया है या फिर उन सारे स्कूलों पर भी बैन ऑर्डर प्रभावी होगा जो कभी ट्रस्ट से एफ़ीलिएटेड हुआ करते थे.
और फरवरी 2019 में जब जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया गया तो ट्रस्ट द्वारा चलाए जाए रहे कुछ स्कूलों को भी नोटिस मिला था. इस नोटिस में उन स्कूलों को भी बंद करने को कहा गया था. हालांकि, बाद में सरकार ने साफ़ किया कि अधिकारियों ने नोटिस को गलत समझ लिया है, स्कूल बंद नहीं किए जाएंगे.
कुल मिलाकर कहें तो साल 1990 और साल 2019 के प्रतिबंधों के आदेशों का हवाला देने से कई चीजें साफ़ नहीं होतीं. मसलन कौन से स्कूल बैन किए जाएंगे, उनका आधार क्या है और बैन किए जाने वाले स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों और दूसरे कर्मचारियों का भविष्य अब क्या होगा.
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