लेबनान (Israel attack in Lebanon) में जारी इजरायली हमले में पीसकीपिंग फोर्स (Peacekeeping Force) के कुछ सैनिक घायल हो गए हैं. जिसको लेकर भारत समेत 34 देशों ने आपत्ति जाहिर की है. इस मामले को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया गया है. जिसमें लेबनान में तैनात UN पीस-कीपर्स पर इजरायली सेना की कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाई गई है.
11 अक्टूबर को इजरायली हमले में श्रीलंका के रहने वाले पीसकीपिंग फोर्स के दो सैनिक घायल हो गए थे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इजरायली हमलों में ब्लू लाइन पर तैनात पीस कीपिंग फोर्स के अब तक कुल पांच सैनिक घायल हो चुके हैं. इसको लेकर 12 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने एक बयान जारी किया. इस X पोस्ट में कहा गया,
पीसकीपिंग फोर्स पर इजरायली हमले को लेकर भारत ने जताई आपत्ति, IDF ने फिर भी किया परिसर में प्रवेश
UN पीस-कीपर्स पर इजरायली सेना की कार्रवाई के खिलाफ भारत ने आवाज उठाई हैे. वहीं IDF ने 13 अक्टूबर की सुबह दक्षिण लेबनान में टैंक के साथ शांतिरक्षक बल के परिसर में प्रवेश किया. जिसको लेकर Antonio Guterres ने कड़ी आपत्ति जताई है.
“एक प्रमुख सैन्य योगदानकर्ता देश के रूप में भारत UNFIL सैन्य योगदान देने वाले 34 देशों के साझा बयान से पूरी तरह सहमत है . पीसकीपिंग फोर्स की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इसे मौजूदा UNSC प्रस्तावों के अनुसार सुनिश्चित किया जाना चाहिए.”
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UN की तरफ से जारी साझा बयान में UNFIL पीसकीपिंग फोर्स पर हुए हमलों की निंदा की गई थी. UN की तरफ से UNFIL पीसकीपिंग फोर्स पर हमलों को तुरंत रोके जाने की मांग की गई थी.
IDF ने तोड़े दरवाजेये बयान जारी किए जाने के बाद भी इजरायली फोर्स ने 13 अक्टूबर की सुबह दक्षिण लेबनान में टैंक के साथ शांतिरक्षक बल के परिसर में प्रवेश किया. UN के मुताबिक इजरायली सेना के दो मरकावा टैंकों ने शांतिरक्षक बल परिसर के मेन गेट को तोड़ दिया और जबरन वहां प्रवेश किया. UN के मुताबिक इजरायली टैंक तकरीबन 43 मिनट तक वहां रहे. बताया गया कि UNIFIL पीसकीपिंग फोर्स के शिविर से करीब 100 मीटर की दूरी पर गोलीबारी भी हुई. जिस वजह से उनके शिविर में धुआं फैल गया. इस वजह से तकरीबन पीस कीपिंग फोर्स के 15 जवानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
इस वाकये के बाद UN के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस का बयान सामने आया है. उन्होंने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की है. गुटेरेस ने X पोस्ट में कहा,
मामला क्या है?“संयुक्त राष्ट्र से जुड़े कर्मचारियों और परिसर की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का हर समय सम्मान किया जाना चाहिए. पीसकीपिंग फोर्स के खिलाफ हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं और युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं. UNIFIL कर्मचारियों और परिसरों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, पीस-कीपर्स. इस यूनिट को कहा गया UNIFIL (यूनिफिल) यानी UN Interim Force in Lebanon. अलग-अलग देशों के सैनिक, पुलिस और नागरिक कर्मी, जो दुनिया भर के संघर्ष क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के इरादे से काम करते हैं. उनका काम हिंसा रोकना, नागरिकों की रक्षा करना और शांति प्रयासों के राजनीतिक क़दमों का समर्थन करना होता है. इस टुकड़ी में भारत के लगभग 600 जवान हैं. भारत के अलावा इटली, फ्रांस, स्पेन, तुर्की, चीन, घाना जैसे देशों के सैनिक भी देखने को मिलेंगे. कुल 10 हजार से ज्यादा जवान दुनिया भर के.
10 अक्टूबर को इज़रायल ने ब्लू लाइन के पास पीस-कीपर्स के एक टावर पर टैंक से हमला किया था. ब्लू लाइन, लेबनान और इज़रायल और गोलन हाइट्स के बीच की अस्थाई सीमा रेखा है. यूएन की पीसकीपिंग फ़ोर्स 1978 से ही साउथ लेबनान में है. पीस कीपिंग फोर्स, ब्लू लाइन और वहां तैनात भारतीय सैनिकों के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
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