उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी के ट्रांसफ़र को लेकर खूब चर्चा भी हो रही है. अब ये मामला राजनैतिक विवाद का विषय भी बनता जा रहा है. ट्रांसफ़र सूची में यूं तो कुल 14 नाम हैं, लेकिन जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा है वो हैं 2010 बीच के आईपीएस प्रभाकर चौधरी. लिस्ट आने से महज 4 घंटे पहले बरेली में कांवड़ियों पर हुए लाठीचार्ज को एसएसपी के ट्रांसफ़र की वजह बताया गया. दावा किया गया कि कांवड़ियों पर लाठी बरसाने से नाराज़ शासन ने एसएसपी प्रभाकर चौधरी को शंटिंग पोस्ट पर भेज दिया. प्रभाकर चौधरी इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि लगभग 10 साल की नौकरी में उनका 18 बार ट्रांसफ़र हो चुका है.
वो IPS जिसका कुछ ही महीनों में ट्रांसफर होता रहता है, कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
यूपी में बरेली के एसएसपी रहे प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर राजनीतिक विवाद और बहस का मुद्दा बन गया है.


पहले आपको पूरा मामला बताते हैं कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि 4 घंटे के भीतर एसएसपी जैसे महत्वपूर्ण पद से हटाकर प्रभाकर चौधरी को पीएसी का सेनानायक बना दिया गया?
दरअसल, रविवार को बरेली में कांवड़िए कांवड़ लेकर जा रहे थे. प्रशासन ने उनके लिए पारंपरिक रुट तय कर रखा था. लेकिन कांवड़िये जोगी नवादा इलाक़े में एक नए रास्ते पर जाने लगे तो एक समुदाय के लोग उनके उस रास्ते पर जाने को लेकर विरोध करने लगे. प्रशासन को इलाक़े की संवेदनशीलता का अंदाज़ा था इसलिए पुलिस की मौजूदगी भी पहले से वहां थी. पुलिस ने पहले बातचीत कर कांवड़ियों को तय मार्ग पर जाने को कहा, लेकिन जब वो नहीं माने तो उन्हें हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इसमें कुछ कांवड़ियों को चोटें भी आईं.
लाठीचार्ज के बाद प्रभाकर चौधरी ने मीडिया को बयान देकर कहा,
“सुबह से पुलिस ये समझाने की कोशिश कर रही थी कि यात्रा पारंपरिक मार्ग से ही जाएगी. गैर परंपरागत रुट पर दूसरे धर्मों के भी लोग रहते हैं. पुलिस ने 4 घंटों तक वहां मौजूद लोगों को समझाने की कोशिश की. उनमें कुछ लोग जानबूझकर डीजे बजाकर अभद्रता करने लगे. पता चला कि कुछ लोगों के पास हथियार भी थे और कुछ लोग नशे में भी थे. ऐसे में उन्हें हटाने के लिए हल्के बल प्रयोग करने का फ़ैसला किया गया.”
कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं. यूपी के अंबेडकरनगर ज़िले के रहने वाले हैं. आईपीएस की ट्रेनिंग के बाद प्रभाकर ने बतौर अंडर ट्रेनी एएसपी नोएडा से नौकरी की शुरुआत की. 2016 में जब उनकी पोस्टिंग कानपुर देहात में बतौर एसपी हुई तो वो कंधे पर एक पिट्ठू बैग लेकर जॉइन करने पहुंच गए थे. तब वो खूब चर्चा में आए थे. प्रभाकर आगरा, वाराणसी, कानपुर समेत कई महत्वपूर्ण ज़िलों में अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं. ज़िले के कप्तान के तौर पर प्रभाकर की पहली पोस्टिंग ललितपुर में थी. इसके बाद वो देवरिया, बलिया, कानपुर देहात, बिजनौर, मथुरा, सीतापुर, बुलंदशहर, सोनभद्र, वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और बरेली में कप्तान के पद पर तैनात रहे.
सीबीआई जा सकते हैं प्रभाकर
चर्चा है कि प्रभाकर चौधरी को जल्द ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है. माना जा रहा है कि उनका सीबीआई में जाना तय है. जांच एजेंसी ने प्रभाकर को रिलीव करने के लिए कई बार चिट्ठियां भी भेजी हैं, लेकिन शासन ने उन्हें रिलीव नहीं किया. ताजा विवाद के बाद माना जा रहा है कि प्रभाकर चौधरी को सरकार जल्द केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए रिलीव कर देगी और वह सीबीआई जॉइन करेंगे.
ट्रांसफ़र बन गया राजनैतिक मुद्दा
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफ़र को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि जो क़ानून-व्यवस्था की बात करेगा, भ्रष्ट भाजपा का राज उसको बर्खास्त करेगा. बीजेपी इस मामले पर कुछ नहीं बोल रही है, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड बातचीत में बीजेपी नेताओं का कहना है कि हर चीज़ में राजनीति नहीं देखनी चाहिए. प्रशासनिक नियुक्तियां ज़रूरतों के हिसाब से की जाती हैं. जहां जिस अधिकारी की ज़रूरत होती है वहां उसे तैनात किया जाता है. उन्होंने अखिलेश यादव के बयान को ग़ैर ज़रूरी बताया.
प्रभाकर चौधरी के चर्चित क़िस्से
- साल 2021 में मेरठ में एसएसपी के पद पर तैनात प्रभाकर 2 दिनों की छुट्टी पर गए. सभी को लगा कि वो कहीं बाहर चले गए हैं. जबकि छुट्टी लेकर प्रभाकर चौधरी मेरठ की गलियों में दिक्कतों को तलाश रहे थे. पुलिस की कमज़ोरी की जानकारी ली और उस हिसाब से ज़िले में योजना बनाकर काम करने लगे.
एक किस्सा कानपुर देहात से भी जुड़ा है. प्रभाकर की पोस्टिंग कानपुर देहात में एसपी के पद पर हुई. देवरिया से ट्रांसफर के बाद उन्होंने सरकारी गाड़ी नहीं ली. देवरिया से बस पकड़ कर वो कानपुर देहात पहुंच गए. फिर बस स्टैंड से ऑटो करके एसपी के सरकारी बंगले तक पहुंच गए. गेटकीपर ने उनसे परिचय पूछा तो सच्चाई जानकर वो भी हैरान रह गए.
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