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हमास से जुड़े होने का शक, जंजीरों से बांधकर रखा; अमेरिकी हिरासत में रहे भारतीय रिसर्चर की कहानी

Badar Khan Suri के वकील ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी पत्नी की Palestinian मूल का होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है. सूरी के ससुर अहमद यूसुफ़ Gaza में Hamas सरकार में उप विदेश मंत्री रह चुके हैं.

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अमेरिका के डिटेंशन सेंटर में रहे बदर खान सूरी (PHOTO-Linkedin/Badar Khan Suri)

अमेरिका के प्रसिद्ध जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भारतीय शिक्षाविद और विजिटिंग स्कॉलर बदर खान सूरी को कोर्ट के आदेश के बाद हिरासत (Indian Researcher detained in US) से रिहा कर दिया गया है. बदर खान के के मुताबिक कैद के दौरान उनका ‘पूरा शरीर जंजीरों से बंधा हुआ था.’ बदर बताते हैं कि कैद में रहने के दौरान वो अपनी परछाई तक देखने को तरस गए थे. उन्हें मार्च से टेक्सास के प्रेयरीलैंड डिटेंशन सेंटर में रखा गया था. उन्हें 14 मई को कस्टम एवं इमिग्रेशन सेंटर से रिहा कर दिया गया.

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क्या है पूरा मामला?

17 मार्च को वर्जीनिया के अर्लिंग्टन में सूरी को उनके घर के बाहर सादे कपड़ों में फेडरल एजेंट्स द्वारा गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें लगभग दो महीने तक हिरासत में रखा गया. सूरी पर हमास के साथ संबंध रखने का आरोप था. फिलिस्तीनी संगठन हमास को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. बदर के मामले में फैसला सुनाते हुए वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया में जिला जज पेट्रीसिया गिल्स ने 14 मई को उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया है. जज ने अपने फैसले में कहा कि बदर खान सूरी की हिरासत अमेरिका के संविधान में मौजूद पहले संशोधन यानी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है.

परछाईं तक नहीं देख सका

अमेरिकी समाचार एजेंसी NBC न्यूज़ के साथ अपनी आपबीती साझा करते हुए सूरी ने कहा, 

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मुझ पर कोई आरोप नहीं था, कुछ भी नहीं था, उन्होंने मुझसे ऐसा बर्ताव किया जैसे में इंसान ही नहीं हूं.

सूरी उन परिस्थितियों के बारे में बताते हैं जिनमें उन्हें रखा गया था. उन्होंने कहा कि ICE की हिरासत में शुरुआत में कई दिनों तक उन्हें समझ ही नहीं आया कि कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है. सूरी बताते हैं

शुरुआती 7-8 दिनों तक तो मुझे अपनी परछाई तक की याद आती थी. ये बिल्कुल काफ्काएस्क (यह शब्द लेखक फ्रांज काफ्का की कहानियों से उपजा है. ये कहानियां दमनकारी नौकरशाही वाली कहानियों के लिए मशहूर हैं) की तरह था. मेरे टखने, मेरी कलाई, मेरा शरीर, सब कुछ जंजीरों में जकड़ा हुआ था.

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बकौल सूरी, हिरासत के दौरान वह अपने बच्चों को लेकर चिंतित थे. उन्हें लगता था कि उनके बच्चे उनकी वजह से परेशान हैं. सूरी का सबसे बड़ा बेटा केवल 9 साल का है. दो जुड़वा बच्चे केवल पांच साल के हैं. हिरासत में रहने के दौरान सूरी के वकीलों ने उनकी हिरासत की वैधानिकता को चुनौती देने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus petition) याचिका दायर की थी. 

कौन हैं रिसर्चर सूरी?

बदर खान सूरी भारत की प्रतिष्ठित जामिआ मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्र हैं. सूरी को पहले वर्जीनिया के एक सेंटर में रात भर हिरासत में रखने के बाद टेक्सस भेज दिया गया. फिर वर्जीनिया में जगह की कमी के कारण लुइसियाना ट्रांसफर कर दिया गया. अप्रैल महीने में अमेरिकी प्रशासन ने मामले को वर्जीनिया से बाहर ट्रांसफर करने के लिए एक प्रस्ताव दायर किया. इसमें तर्क दिया गया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका उस जगह पर प्रस्तुत की जानी चाहिए जहां से याचिकाकर्ता को हिरासत में लिया गया है. हालांकि, जज ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, सूरी ‘साउथ एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकार’ का विषय पढ़ा रहे थे. उन्होंने पीस एंड कॉनफ्लिक्ट स्टडीज़ इन इंडिया में पीएचडी की थी.

ट्रम्प प्रशासन के शुरुआती दिनों से ही इमिग्रेशन अधिकारियों ने देश भर के कॉलेज स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया जाने लगा था. इसमें से कई स्टूडेंट्स ने इज़रायल-हमास युद्ध को लेकर कैंपस में विरोध प्रदर्शन किए थे. सूरी के अलावा तुर्की के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रुमेसा ओज़टर्क और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फ़िलिस्तीनी छात्र मोहसेन महदावी भी हिरासत में थे. होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट में सहायक सचिव ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने बताया था कि सूरी के किसी आतंकवादी से घनिष्ठ संबंध थे और वह कैंपस में हमास का प्रचार कर रहे थे.

सूरी के वकील हसन अहमद ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी पत्नी की फ़िलिस्तीनी मूल का होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है. सरकार को शक है कि वह और उनकी पत्नी इज़रायल के प्रति अमेरिकी विदेश नीति के विरोधी हैं. सूरी के ससुर अहमद यूसुफ़ गाजा में हमास सरकार में उप विदेश मंत्री रह चुके हैं. हालांकि कोर्ट के मुताबिक उनके किसी भी संबंध का इस्तेमाल सूरी के खिलाफ तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि इस बात के ठोस सबूत न मिल जाएं कि वह वास्तव में हमास का प्रचार कर रहे थे.

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