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भारत के खिलाफ चीन का असली प्लान इस प्राचीन कुंग फू टेक्नीक में छुपा है!

पूरी मार्शल आर्ट टेक्नीक है!

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(बाएं) LAC पर चीनी सैनिकों से भारतीय सेना की एक भिड़ंत की पुरानी तस्वीर. दाईं इमेज प्रतीकात्मक है. (साभार- ANI और Unsplash.com)

शेंग डोंग जी शी. चीन के प्राचीन मार्शल आर्ट फॉर्म कुंग फू में इस्तेमाल होने वाली एक स्ट्रेटजी है. शेंग डोंग जी शी को यूं समझिए कि 'शोर कहीं और मचाना, वार कहीं और करना.' या 'दिखाना कुछ और, करना कुछ और.' दुश्मन को हमेशा उलझाने की, उसका ध्यान भटकाने की, जरूरत हो तो बहलाने की कोशिश करना और मौका पड़ने पर हमला करना ही शेंग डोंग जी शी है.

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ये मार्शल आर्ट टेक्नीक का इस्तेमाल करता है चीन, वो भी युद्ध में

चीन पर नजर रखने वाले जानकार कहते हैं कि वो अपनी रणनीतियों को सफल बनाने के लिए इस मार्शल आर्ट फॉर्म को आदर्श मानता रहा है. खास तौर पर जब बात सैन्य स्तर पर हो तो चीन सहज प्रवृत्ति के साथ इस टैक्टिक पर खेलता है. उसका इतिहास समय-समय पर अतिक्रमण की कोशिशों से भरा पड़ा है, और इस काम में वो शेंग डोंग जी शी वाली नीति अपनाकर चलता है. योजना के स्तर पर नहीं, बल्कि स्वाभाविक रूप से. ये उसका Instinct है. बीती 9 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों की LAC के पास अतिक्रमण की कोशिश इसका ताजा उदाहरण है.

अभेद्य दीवार को लांघने की कोशिश

इसमें कोई शक नहीं कि LAC पर भारतीय सेना अभेद्य दीवार की तरह खड़ी है. 3488 किलोमीटर लंबे इस सीमाई इलाके में उसने बार-बार चीनी सैनिकों को खदेड़ा है और बातचीत के ज़रिए भी चीनी सेना के डेरों को पीछे हटने पर मजबूर किया है. लेकिन इस सच को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि इस दीवार को लांघने की चीन की कोशिशें खत्म नहीं हो रही हैं. वो बार-बार भारतीय सीमा में घुसता है और विरोध करने पर लौट जाता है. सीमाई समझौतों का ये निरंतर उल्लंघन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की सैन्य रणनीति की ओर ध्यान खींचता है.

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कहो कुछ, करो कुछ

चीन की सैन्य रणनीति पर शोध करने वाले कल्पित मणिक्कर टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपे अपने एक लेख में लिखते हैं कि CCP शेंग डोंग जी शी पर काम करती है. वार करने से पहले ध्यान भटकाना. ऐसा लगता है लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक LAC पर चीन यही रणनीति अपना रहा है. 

चीन लंबे समय से इस नीति पर काम करता रहा है

पहले उसके सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करते हैं. विरोध करने पर लौट जाते हैं. बीच-बीच में किसी घुसपैठ के दौरान दोनों तरफ के सैनिकों के बीच जबरदस्त भिड़ंत होती है. उसके बाद भारतीय सेना संवाद के स्तर पर चीनी घुसपैठ का विरोध करती है. दोनों ओर के सैन्य अधिकारियों के बीच कुछ समझौते होते हैं. फिर PLA विवादित सीमाई इलाके से पीछे हटने का नाटक करती है. लेकिन कुछ समय बाद लौट आती है और फिर घुसपैठ करती है. या LAC के किसी और पॉइंट पर उसके सैनिकों की संख्या अचानक बढ़ती है जिसके बाद अतिक्रमण की एक और कोशिश होती है. जैसा 9 दिसंबर को तवांग में हुआ.

जून 2020 में लद्दाख के गलवान इलाके में LAC के पास भारतीय और चीनी सेना के बीच बीते 45 सालों की सबसे बड़ी हिंसा हुई थी. उसमें दोनों तरफ के सैनिक मारे गए थे. कई दिनों तक सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने रहे जिन्हें खत्म करने के लिए शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कई बार बैठकें कीं. इसका कुछ-कुछ पॉजीटिव नतीजा भी दिखा. गलवान में किसी-किसी बॉर्डर पॉइंट पर दोनों तरफ से सेनाएं पीछे हटने लगीं. लगा कि सब सामान्य होना शुरू हो गया है. भारत में चीन के राजदूत ने भी भरोसा दिलाते हुए कहा था कि गलवान का सैन्य झगड़ा खत्म हो चुका है.

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चीन आगे आता है, फिर पीछे जाता है और लंबे समय से चलता रहा है

लेकिन इसी साल अक्टूबर में CCP की नेशनल कांग्रेस में चीन शेंग डोंग जी शी वाला रूप दिखाता है. ग्रेट हॉल में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति जिनपिंग के भाषण से ठीक पहले एक वीडियो चलाया जाता है. इसमें गलवान हिंसा से जुड़ी एक क्लिप बड़े गर्व के साथ शी जिनपिंग के कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में दिखाई जाती है. गलवान हमले के समय वहां चीनी सेना का कमांडर रहा अधिकारी क्वी फाबाओ भी इस आयोजन में विशेष प्रतिनिधि के तौर पर बुलाया गया था.

यही नहीं, बाद में भाषण देते हुए शी जिनपिंग कहते हैं कि वो PLA के युद्ध प्रशिक्षण को और बढ़ाएंगे और सेना की नियमित तैनाती जारी रखेंगे. उन्होंने स्पीच में किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन इससे हमें राहत की सांस लेने की वजह नहीं मिलती.

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