The Lallantop

भांग ने बचा रखी हैं 1500 साल पुरानी एलोरा की गुफाएं

आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने स्टडी की है. कि भांग सिर्फ नचाने के काम नहीं आती. 1500 साल पहले इसका बिल्डिंग मैटीरियल के तौर पर इस्तेमाल शुरू हो गया था.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
भांग का नशा भाईसाब. इत्ता गंदा कि पूछो मत. जिस आदमी ने कभी ट्राई न किया हो उसके लिए साक्षात नरक है. एक अच्छी खुराक में पुनर्जन्म हो जाए. भांग आदमी के लिए फायदेमंद है कि नहीं, इसका पता नहीं. लेकिन एलोरा की गुफाओं के लिए "जिंदगी तुमसे है" वाला हाल है. उनको बचा रखा है भांग ने. कैसे? चलो बताते हैं. औरंगाबाद शहर के पास महाराष्ट्र में. तकरीबन 1500 साल पुरानी एलोरा की गुफाएं. 6वीं सदी के आसपास बनीं. UNESCO ने इनको वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर रखा है. इनको बनाने के लिए चूने और चिकनी मिट्टी के प्लास्टर में भांग मिलाई गई थी. जिसकी वजह गुफाएं और उनके अंदर के स्कल्पचर बचे हुए हैं. ये जानकारी एक स्टडी में सामने आई है. जिसके कर्ता धर्ता आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट राजदेव सिंह हैं. उनका साथ दिया एमएम सरदेसाई ने. जो बाबा साहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी में बॉटनी पढ़ाते हैं. बॉटनी माने वनस्पति विज्ञान. जो चुपके चुपके पिच्चर में अमिताभ बच्चन पढ़ाते थे.

दिमाग का मसाला निकल गया स्टडी करने में

उनकी टीम ने इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, स्टीरियो माइक्रोस्कोपी और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप तकनीक के इस्तेमाल से स्टडी किया. उस मसाले का जो ये गुफाएं बनाने में इस्तेमाल हुआ. इसमें चूना और मिट्टी के साथ इस पौधे के अंश मिले. जिसको गांजा या भांग कहते हैं. जिसको भगवान शंकर खींचकर बम बम हो जाते हैं. वहां आस पास घूम कर देखा. औरंगाबाद के पास जलना जिले में ये बहुत है. और उस मसाले के सैंपल में तकरीबन 10 परसेंट भांग निकली है.

अजंता की गुफा में नहीं हुआ था इस्तेमाल

और सुनो खास बात. छठीं सदी की तमाम इमारतों में भांग निकली है. एलोरा के अलावा दौलताबाद में देवगिरि किला है. ये 12वीं सदी में बना था. उसमें भी भांग मिली हुई थी. ईसा से 2 सदी पहले बनी थी अजंता की गुफाएं. उसकी 25 परसेंट कलाकारी चुक गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को राजदेव सिंह ने ये बातें बताईं. साथ ही ये भी बताया कि यूरोप के साइंटिस्ट ने जो स्टडी की है. उसके हिसाब से भांग का बिल्डिंग में यूज 600 से 800 साल पुराना है. जबकि यहां तो मामला 1500 साल पहले तक जा रहा है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement