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हाथरस केस: CBI की चार्जशीट में गैंगरेप और हत्या की बात पर पीड़ित परिवार क्या बोला?

परिवार ने डीएम की भूमिका को लेकर फिर सवाल उठाए.

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पीड़िता के परिजन अभी भी इस पूरे मामले में हाथरस के लोकल प्रशासन और ख़ासतौर पर डीएम की भूमिका से संतुष्ट नहीं हैं. (फाइल फोटो- PTI)
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की से कथित गैंगरेप और हत्या के केस में CBI ने 18 दिसंबर को चार्जशीट फाइल कर दी. चारों आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप लगा है. 22 सितंबर को लड़की के मृत्युपूर्व दिए बयान को आधार मानते हुए CBI ने चारों को आरोपी बनाया गया है. इनके खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत भी आरोप हैं. कोर्ट में चार्जशीट दायर होने के बाद इंडिया टुडे ने पीड़िता के परिजनों से बात की. पीड़िता की भाभी ने कहा कि चार्जशीट आने के बाद उन्हें इस बात की तसल्ली है कि उसका (पीड़िता का) मौत से पहले दिया बयान व्यर्थ नहीं गया. वहीं न्याय की उम्मीद में पीड़िता के भाई का कहना है कि अब तो CBI और न्यायपालिका के हाथ में ही सब है. उन्होंने ये भी कहा कि अब कुछ भी हो, उनकी बहन तो वापस नहीं आ सकती. लेकिन न्याय मिल जाएगा तो संतोष रहेगा. पीड़िता के परिजन अभी भी इस पूरे मामले में हाथरस के स्थानीय प्रशासन और ख़ासतौर पर डीएम की भूमिका से संतुष्ट नहीं हैं. भाभी का कहना है –
“यूपी सरकार अभी भी कह रही है कि डीएम साब ने कुछ भी ग़लत नहीं किया है. जो अंतिम संस्कार होता है, उसमें चेहरा (न) दिखाने की बात थी. इस तरह से हम लोगों को उन्होंने प्रताड़ित किया.”
क्या हुआ था हाथरस में हाथरस में 19 बरस की लड़की 14 सितंबर को कथित तौर पर गैंगरेप का शिकार हुई. अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चला. घटना के 15 दिन बाद उसकी मौत दिल्ली के अस्पताल में हो गई. लड़की की मौत के बाद रात में ही उसके शव को गांव ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया. परिवार वालों का कहना है कि उनकी मर्ज़ी के बिना पुलिस ने ज़बरन दाह संस्कार किया. इसके बाद लोगों का गुस्सा भड़का. पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हुए. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ की बेंच ने एक अक्टूबर को यूपी के उच्च अधिकारियों को समन भेजा. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. CBI को जांच सौंपी गई. अब चारों आरोपियों- संदीप, लवकुश, रवि और रामू पर IPC की धारा 302 (हत्या), 376 (रेप), 376-डी (गैंगरेप), 354 (महिला के सम्मान को चोट) और SC-ST एक्ट लगा है.

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