अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने ट्रंप सरकार के उस फैसले पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है, जिसमें विदेशी छात्रों के दाखिले रोकने का आदेश दिया गया था. विश्वविद्यालय इस आदेश के बाद कोर्ट चला गया था. उसने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने ये आदेश उनकी ‘सियासी बातें’ न मानने पर प्रतिशोध के तौर पर दिया है. इससे सरकार ने एक झटके में हार्वर्ड की स्टूडेंट फैकल्टी के एक चौथाई हिस्से को मिटाने की कोशिश की है.
ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, हार्वर्ड में विदेशी छात्रों को दाखिला न देने के फैसले पर लगाई रोक
अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी है. ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगाने से संबंधित आदेश दिया था. इस मामले को लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कोर्ट चली गई थी.
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हार्वर्ड ने कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में ट्रंप सरकार के फैसले को अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन और अन्य संघीय कानूनों का साफ उल्लंघन बताया था.
शुक्रवार 22 मई को संघीय अदालत ने हार्वर्ड में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दाखिले पर ट्रम्प प्रशासन के प्रतिबंध को अस्थायी तौर पर रोक दिया. यूएस जिला जज एलिसन बरोज ने हार्वर्ड की ओर से मुकदमा दायर करने के कुछ घंटों बाद ही ये फैसला सुनाया है.
बरोज वही जज हैं, जो ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड की फंडिंग रोकने के मामले पर भी सुनवाई कर रहे हैं.
क्या है मामला?बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने 22 मई की देर रात होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया था. SEVP अमेरिकी संस्थानों को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को एडमिशन देने और उन्हें वीजा के लिए आवेदन करने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट जारी करने की इजाजत देता है.
विभाग ने एक लेटर में बताया कि अमेरिकी सरकार ने कैंपस में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की जानकारी मांगी थी लेकिन हार्वर्ड प्रशासन ने जानकारी नहीं दी. यूनिवर्सिटी से कैंपस में विरोध प्रदर्शन में शामिल छात्रों के रिकॉर्ड समेत उनके ऑडियो विजुअल डॉक्यूमेंट विशेष तौर पर मांगे गए थे.
डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि अगर यूनिवर्सिटी को अपना SEVP स्टेटस बनाए रखना है तो उन्हें 72 घंटों में मांगे गए डॉक्यूमेंट्स देने होंगे.
डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 6,800 विदेशी छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया. इसमें भारत के भी 788 छात्र हैं.
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