'मुझसे बात तक नहीं की गई'
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक पार्टी के इस कदम के बाद हरक सिंह रावत ने बताया कि वो उनके खिलाफ हुई कार्रवाई से अवगत नहीं थे. उन्होंने कहा,न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में रावत ने कहा,'केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मुझे दिल्ली में मिलने के लिए बुलाया था. ट्रैफिक के चलते थोड़ी देरी हुई. मैं उनसे और गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहता था, लेकिन जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा, मैंने सोशल मीडिया पर देखा कि उन्होंने (बीजेपी ने) मुझे निकाल दिया है.'
'इतना बड़ा फैसला लेने से पहले उन्होंने (बीजेपी) मुझसे एक बार भी बात नहीं की. अगर मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल नहीं होता, तो चार साल पहले बीजेपी से इस्तीफा दे देता. मुझे मंत्री बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, मैं सिर्फ काम करना चाहता था.'इस कार्रवाई के चलते हरक सिंह रावत भावुक हो गए और बयान देते वक्त रोते हुए भी नजर आए.
सीएम धामी क्या बोले?
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दावा किया कि हरक सिंह रावत अपने परिजनों और करीबियों को टिकट दिलाने के लिए दबाव डाल रहे थे. धामी ने कहा,'हमारी पार्टी विकासवाद पर चलने वाली पार्टी है. राष्ट्रवाद पर चलने वाली पार्टी है. वंशवाद से दूर चलने वाली पार्टी है. कई बार जब वो बातें करते थे, तो हम असहज भी होते थे. फिर भी हमने हमेशा उनको साथ लेकर चलने की कोशिश की. लेकिन स्थिति ऐसी उत्पन्न हुई कि वो अपने समेत अपने परिवार और अन्य के लिए दबाव डाल रहे थे. इसलिए पार्टी ने ये निर्णय लिया है. हमने तय किया है कि हर परिवार में किसी एक को ही टिकट दिया जाएगा.'
'मैं इस पर कोई बयान नहीं देना चाहता. उत्तराखंड के निष्कासित बीजेपी मंत्री हरक सिंह अभी कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. विभिन्न विषयों पर विचार करने के बाद पार्टी फैसला करेगी. यदि वो (हरक सिंह) कांग्रेस पार्टी छोड़ने की अपनी गलती स्वीकार करेंगे, तो हम उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं.'मालूम हो कि हरक सिंह रावत कांग्रेस के उन नौ बागी विधायकों में से एक थे, जिन्होंने साल 2016 में बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. साल 2012 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रावत, विजय बहुगुणा से पिछड़ गए थे और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.