नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है. कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा को बढ़ावा देने में पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेतृत्व से समर्थन नहीं मिला.
सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने भाजपा छोड़ते हुए क्या इल्ज़ाम लगा दिया?
“जब मैं बीजेपी में शामिल हुआ तो मुझसे वादा किया गया था कि मुझे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की विचारधारा का प्रचार करने की अनुमति दी जाएगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.”

चंद्र कुमार बोस ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में कहा,
“जब मैं बीजेपी में शामिल हुआ तो मुझसे वादा किया गया था कि मुझे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की विचारधारा का प्रचार करने की अनुमति दी जाएगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.”
चंद्र कुमार ने आगे बताया कि बीजेपी के साथ उनकी जो चर्चा हुई थी, वो ‘समावेशी विचारधारा’ पर केंद्रित थी. उन्होंने बताया कि मेरी समझ ये थी कि मैं पूरे देश में बीजेपी के मंच से इस विचारधारा का प्रचार करूंगा. उन्होंने कहा,
“बीजेपी ने एक आजाद हिंद मोर्चा बनाने का निर्णय लिया था. जिसका उद्देश्य धर्म, जाति और पंथ से हटकर सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट करना था, और नेताजी की विचारधारा को बढ़ावा देना था.”
बकौल बोस, उन्होंने पश्चिम बंगाल में जनसंपर्क के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव रखा था. लेकिन उनके प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया गया.
बीजेपी से इस्तीफे की घोषणा करने से पहले चंद्र कुमार बोस ने देश का नाम बदलने की संभावना के बारे में इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने कहा कि सरकार को कोई भी बदलाव करने से पहले लोगों का फीडबैक लेना चाहिए. उन्होंने कहा,
“अगर नाम में बदलाव करना है तो एक रास्ता और एक प्रक्रिया होनी चाहिए. 140 करोड़ लोगों से फीडबैक लिया जाना चाहिए. देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता है.”
चंद्र कुमार बोस को 2016 में पश्चिम बंगाल बीजेपी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. लेकिन 2020 में संगठन में हुए बदलाव के दौरान उन्हें पद से हटा दिया गया. बोस कई मुद्दों पर पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने पार्टी के आधिकारिक रुख के खिलाफ जाकर 2019 में CAA का भी विरोध किया था.
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