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अब्दुल राशिद को कीर्ति चक्र, नौ को शौर्य चक्र, वीरता पुरस्कार पाने वाले जवानों के बारे में जानिए

कीर्ति चक्र भारत में शांति काल का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है.

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वीरता पुरस्कारों में अब्दुल राशिद कालस (सबसे बाएं) को कीर्ति चक्र दिया गया. यह भारत में शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है. (बाएं से दाएं) वहीं लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत, मेजर अनिल उरस और हवलदार आलोक दुबे को शौर्य चक्र से नवाजा गया.
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों का ऐलान किया गया. इसके तहत कुल 84 वीरता पुरस्कारों की घोषणा की गई है. इनमें एक कीर्ति चक्र, नौ शौर्य चक्र, 60 सेना मेडल, चार नौसेना मेडल, पांच वायुसेना मेडल और पांच सेना मेडल दूसरी बार देना शामिल है. जम्मू कश्मीर पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद कालस को कीर्ति चक्र से नवाजा गया है. उन्हें मरणोपरांत यह सम्मान मिला है. कीर्ति चक्र शांति काल का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. शांति काल यानी जब देश किसी तरह का युद्ध न लड़ रहा हो. शांति काल में अशोक चक्र सर्वोच्च वीरता सम्मान होता है. इसके बाद कीर्ति चक्र और फिर शौर्य चक्र का नाम आता है.
नौ शौर्य चक्र का भी ऐलान
नौ शौर्य चक्र का ऐलान भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया. इनमें से चार शौर्य चक्र सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फॉर्स (सीआईएसएफ), तीन थल सेना, एक वायु सेना और एक जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान को दिया गया है. इनमें, सीआईएसएफ के इंस्पेक्टर महावीर प्रसाद गोदारा, हेड कॉन्स्टेबल इराना नायक, कॉन्स्टेबल महेंद्र कुमार पासवान, कॉन्स्टेबल सतीश कुमार कुशवाहा. सभी को मरणोपरांत शौर्य चक्र मिला. गृह मंत्रालय ने बताया कि ये चारों जवान आग से जुड़ी घटनाओं में शहीद हुए.
थल सेना से हवलदार आलोक कुमार दुबे, मेजर अनिल उरस, लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत को शौर्य चक्र मिला.
वायु सेना विंग कमांडर विशक नायर और जम्मू कश्मीर के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार को भी यह सम्मान दिया गया है.
साल 1947 से हुई वीरता पुरस्कारों की शुरुआत
भारत सरकार ने 15 अगस्त 1947 से वीरता पुरस्कारों की शुरुआत की थी. पहले शांतिकाल में केवल अशोक चक्र ही मिलता था. उस समय अशोक चक्र क्लास-1, अशोक चक्र क्लास-2 और अशोक चक्र क्लास-3 हुआ करते थे. लेकिन जनवरी 1967 में इनके नाम बदल दिए गए. फिर यह अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र कहे जाने लगे.
अब्दुल राशिद कालस को मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिला है.
अब्दुल राशिद कालस को मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिला है.

हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद कालस (कीर्ति चक्र)
वे जम्मू कश्मीर पुलिस में थे. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के सदस्य. 18 फरवरी 2019 को पुलवामा के पिंगलान इलाके में वे एंटी टेरर ऑपरेशन में शामिल हुए थे. यह ऑपरेशन सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की साजिश में शामिल आंतकियों के खिलाफ था. इस ऑपरेशन में आतंकियों से लड़ते हुए कालस वीरगति को प्राप्त हुए थे. सुरक्षा बलों ने इस दौरान जैश ए मोहम्मद के आतंकी कामरान और अब्दुल राशिद को मार गिराया था. मुठभेड़ में तीन सेना के जवानों सहित सुरक्षाबलों के पांच लोग शहीद हुए थे. इस ऑपरेशन के बाद पुलवामा के तत्कालीन एसपी चंदन कोहली ने कहा था कि हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद ने गजब का साहस दिखाया. पहले भी उन्होंने कई एनकाउंटर में बहादुरी दिखाई थी.
हवलदार आलोक दुबे को शौर्य चक्र.
हवलदार आलोक दुबे को शौर्य चक्र.

हवलदार आलोक कुमार दुबे (शौर्य चक्र)
हवलदार आलोक कुमार दुबे को 22 जून 2019 को जम्मू-कश्मीर के एक गांव के पास सर्च ऑपरेशन के दौरान अदम्य साहस के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया. इस अभियान में उन्होंने एक खूंखार आतंकी को मार गिराया. साथ ही चार आतंकियों के भागने का रास्ता रोक दिया था. 44 राजपूताना राइफल्स के हवलदार आलोक कुमार 30 जनवरी 2002 को सेना में शामिल हुए. उन्होंने फतेहगढ़ के द राजपूत रेजिमेंट सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उनकी पोस्टिंग 23 राजपूत में हुई. 6 जनवरी 2017 को उन्हें 44 राष्ट्रीय राइफल्स (राजपूत) में तैनात किया गया था.
मेजर अनिल उरस.
मेजर अनिल उरस.

मेजर अनिल उरस (शौर्य चक्र)
वे नियंत्रण रेखा के पास एक ऑपरेशन का हिस्सा थे. यहां उन्होंने आतंकियों को घुसपैठ से रोकने के लिए जबरदस्त रणनीति बनाई. इसके जरिए उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया. नियंत्रण रेखा के पास इस कार्रवाई के चलते पाकिस्तान की ओर से भी गोलीबारी हुई. लेकिन फिर भी मेजर अनिल उरस मोर्चे पर डटे रहे. वे अभी नियंत्रण रेखा के पास एक इफेंट्री बटालियन में कंपनी कमांडर के रूप में तैनात हैं. उन्हें 23 सितंबर 2007 को मराठा लाइट इफेंट्री में कमीशन दिया गया था. वह चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी और 27 राष्ट्रीय राइफल्स में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अपने दोनों कार्यकाल के दौरान उन्हें सेना के कमांडर द्वारा कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए सराहा गया था.
लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत.
लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत.

लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत (शौर्य चक्र)
वे नियंत्रण रेखा पर आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए टीम लीडर के रूप में तैनात थे. घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की. घुसपैठियों से उनकी भिडंत करीब 36 घंटे चली. रावत की टीम ने पहले दो घुसपैठियों को मारा गिराया. इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने दो आंतकियों को अकेले ही ढेर कर दिया और एक को घायल कर दिया. लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत का जन्म 25 मार्च 1985 को भिकियासैन (उत्तराखंड) में हुआ था. सेना में शामिल होने के बाद उन्हें पोस्टिंग पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) की पहली बटालियन में मिली. उन्हें साल 2010 में सेना पदक (वीरता) भी मिला है.
डीआईजी अमित कुमार.
डीआईजी अमित कुमार.

डीआईजी अमित कुमार (शौर्य चक्र)
वे पहले दक्षिण कश्मीर के डीआईजी रह चुके हैं. उन्हें पुलवामा के पिंगलान इलाके में 16 घंटे लंबे ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र मिला है. यह वही ऑपरेशन था, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद कालस को कीर्ति चक्र दिया गया है. इस ऑपरेशन में अमित कुमार को गोली लगी थी. इससे उनकी जान को खतरा हो गया था. इसके चलते काफी समय तक वे अस्पताल में रहे थे. उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में लाया गया था. दिसंबर 2019 में उन्होंने फिर से डीआईजी का पद संभाला था. अमित कुमार 2006 बैच के जम्मू कश्मीर कैडर के आईपीएस हैं. वे अभी जम्मू में तैनात हैं.
महावीर प्रसाद गोदारा
नई दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में भीषण आग के दौरान महावीर प्रसाद गोदारा शहीद हो गए थे. यह आग 6 मार्च 2019 को लगी थी. इस दौरान महावीर प्रसाद गोदारा सीजीओ कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट प्रभारी के रूप में तैनात थे. आग बुझाने के दौरान अचानक एक दीवार ढह गई. साथ ही घना धुआं निकलने लगा. इस दौरान भी महावीर प्रसाद गोदारा लोगों की तलाश में जुटे रहे और घने धुएं की चपेट में आ गए. उन्हें एम्स अस्पताल ले जाया गया. लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई. वे साल 2008 में सीआईएसएफ में उप-निरीक्षक (कार्यकारी) के पद पर नियुक्त हुए थे.
एरना नायक, सतीश कुशवाहा और महेंद्र पासवान 
वे सितंबर 2019 में ओएनजीसी के मुंबई प्लांट में लगी आग में शहीद हुए थे. आग गैस रिसाव के चलते लगी थी. इस पर हेड कांस्टेबल (फायर) एरना नायक, कांस्टेबल (डीसीपीओ) महेंद्र कुमार पासवान और कांस्टेबल (फायर) सतीश प्रसाद कुशवाहा के साथ प्लांट के अंदर गएय इसी दौरान धमाका होने के कारण एरना नायक, महेंद्र कुमार पासवान और सतीश प्रसाद कुशवाहा शहीद हो गए. इन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.


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