कर्नाटक के धर्मस्थला में कथित तौर पर लाशें दफनाने के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक पुलिस ने बताया है कि 2000 से 2015 के बीच के अप्राकृतिक डेथ रजिस्टर (Unnatural Death Register) से सभी रिकॉर्ड हटा दिए हैं. ये जानकारी सूचना का अधिकार (RTI) के तहत सामने आई है. यह वही समय अवधि है जब कई संदिग्ध और बिना रिपोर्ट हुई मौतों के आरोप लगे हैं.
धर्मस्थला: पुलिस ने मौतों का डेटा ही डिलीट कर दिया, सैंकड़ों लाशें दफनाने खुलासा हुआ था
पुलिस ने बताया है कि 2000 से 2015 के बीच के Unnatural Death Register से सभी रिकॉर्ड हटा दिए हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक जयंत लंबे समय से RTI के ज़रिए पुलिस की कार्यप्रणाली की जांच करते रहे हैं. उन्होंने बताया कि बेल्थंगडी पुलिस थाने से लापता व्यक्तियों के विवरण और तस्वीरें मांगी थीं. लेकिन पुलिस ने जवाब में कहा कि सभी दस्तावेज, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, दीवार पर चिपकाए गए पोस्टर, नोटिस और पहचान के लिए प्रयुक्त तस्वीरें ,'नियमित प्रशासनिक आदेशों' के तहत नष्ट कर दिए गए.
जयंत ने सवाल उठाया,
"आज के डिजिटल युग में बिना बैकअप लिए कैसे सभी दस्तावेज नष्ट कर दिए गए? अगर कभी किसी स्थान पर कंकाल मिलते हैं, तो सरकार उन्हें किस आधार पर किसी की पहचान से जोड़ पाएगी? जब कंप्यूटराइज्ड बैकअप होते हैं, तब ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि सभी फाइलें खत्म कर दी गईं?"
इसके अलावा जयंत ने विशेष जांच दल (SIT) के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई है. इसमें उन्होंने एक किशोरी के शव को अवैध रूप से दफनाने की घटना को खुद अपनी आंखों से देखने का दावा किया है. जयंत का आरोप है कि शव के मिलने के समय सभी कानूनी प्रक्रियाओं की खुली अवहेलना की गई और उस वक्त कई अधिकारी मौके पर मौजूद थे. SIT जल्द ही FIR दर्ज कर खुदाई (exhumation) की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के बाद जयंत ने कहा,
"मैंने 2 अगस्त को SIT को शिकायत दी है. यह शिकायत उस घटना पर आधारित है, जिसे मैंने खुद देखा था. मैंने उन सभी लोगों का नाम लिया है जो उस समय मौजूद थे, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं. जब उस लड़की का शव मिला, तब एक भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ. शव को एक कुत्ते की तरह दफना दिया गया. वह मंजर आज तक मेरी आंखों में बसा हुआ है."
उन्होंने यह भी कहा,
"दो साल पहले मैंने चेतावनी दी थी कि अगर कभी ईमानदार अफसर जांच संभालेंगे, तो मैं सच्चाई सबके सामने रखूंगा. अब वह वक्त आ गया है, इसलिए मैंने शिकायत की है. कोई मेरे पीछे नहीं है, न ही कोई मुझे यह करने के लिए कह रहा है."
इस घटनाक्रम ने बेल्थंगडी पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषकर उस अवधि को लेकर जब एक विसिलब्लोअर ने दावा किया था कि 1998 से 2014 के बीच उन्होंने सैकड़ों महिलाओं और नाबालिगों के शवों को दफनाया या जलाया. जिनमें से कई पर कथित रूप से यौन शोषण के शिकार थे.
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