कोई अपने घर पर चैन से बैठा हो. और उसके फोन पर यकायक एक मेसेज आये. मेसेज खोला जाए तो पता लगे कि वो एक कोर्ट ऑर्डर है. वो भी किसी और कोर्ट से नहीं सुप्रीम कोर्ट से आया एक ऑर्डर. ऑर्डर में लिखा हो कि उस व्यक्ति के नाम का समन जारी हुआ है. और उसे कोर्ट में हाज़िरी लगानी पड़ेगी. उसी वक़्त फोन की घंटी भी बजती है और शख़्स के फोन उठाते ही दुसरे ओर से एक आवाज़ आती है . कॉल कर रहा इंसान अपने आप को पुलिस बताता है. आगे कहता है कि उसपर जारी हुए समन की खबर पुलिस को है और वो उसे जेल होने से बचाने के लिए मदद करना चाहता है. मदद का एक मात्र रास्ता है कि बिना किसी भी इंसान को कुछ भी खबर किये एक बैंक अकाउंट पर लाखों-लाखों पैसे फ़ाइन के तौर पर ट्रांसफर करते जाना. किसी को न बताने वाली बात इतनी ज़रूरी बतायी जाती है कि कुछ वक़्त बाद इंसान अपने घर, अपने ही सेफ़ स्पेस में अरेस्टेड महसूस करने लगता है.
फ़र्ज़ी कोर्ट के पेपर भेज कर 1 करोड़ रुपये लूट लिए
एक 73 साल की महिला को सुप्रीम कोर्ट का फ़र्ज़ी ऑर्डर भेजकर ठगों ने एक करोड़ रुपये ठग लिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि ऐसे डिजिटल फ्रॉड और “डिजिटल अरेस्ट” के मामलों की जाँच केंद्र और राज्य पुलिस मिलकर करें.
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ऐसा ही हुआ अंबाला के एक 73 साल की महिला के साथ जब उसके पास एक कोर्ट ऑर्डर आया. ऑर्डर पर पूर्व मुख्य-न्यायाधीश संजीव खन्ना के हस्ताक्षर भी थे. उसके बाद पुलिस के नाम से कॉल आया और महिला का दावा है कि 1 करोड़ से ऊपर रुपये उससे एक्सटॉर्ट कर लिए गए. महिला का कहना था कि ऐसा लग रहा था वो अपने ही घर पर अरेस्ट कर दी गयी हों. लेकिन सामने कोई शख़्स नहीं था, थी तो सिर्फ एक आवाज़ फोन के उस पार से आती हुई.
73 वर्षीय महिला पहुंची सुप्रीम कोर्ट. सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई कर रहे थे जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बाग्ची. उन्हें बताया गया कि जो ऑर्डर फोन पर भेजा गया वो हू-ब-हू सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर लग रहा था. उस पर पूर्व CJI संजीव खन्ना का सिग्नेचर भी था. ये सब सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सूओ-मोटो कॉग्नीज़न्स लिया. यानी स्वतः संज्ञान कि इस तरह के डिजिटल अरेस्ट और फ्रॉड के मामलों को बिलकुल भी हलके में नहीं आंकना चाहिए. इस एक वाकये ने जुडिशियरी की गरिमा के साथ जुडिशियरी पर से लोगों के भरोसे को हिलाने की भी कोशिश की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नकली कोर्ट डॉक्युमेंट बनाकर लोगों, ख़ासकर बुज़ुर्गों से ठगी करने वाले गिरोह का पूरा सच जानने के लिए केंद्र और राज्य पुलिस को मिलकर काम करना होगा.
कोर्ट ने इस मामले में गृह मंत्रालय, सीबीआई और अंबाला साइबर क्राइम के अफ़सरों को नोटिस भेजा और भारत के अटॉर्नी जनरल से भी मदद मांगी.
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