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डिजिटल अरेस्ट से सबसे बड़ी ठगी, शेयर से बुजुर्ग ने कमाए थे 50 करोड़, ठगों ने 58 करोड़ लूट लिए

पीड़ित बुजुर्ग एक फार्मास्युटिकल (दवा) कंपनी के साझेदार थे और हाल ही में उन्होंने अपने शेयर बेचकर करीब 50 करोड़ रुपये कमाए थे. इसी के कुछ महीनों बाद वे साइबर ठगों के निशाने पर आ गए. लगातार 27 दिन तक ठग उनके संपर्क में रहे.

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पुलिस करीब 3.5 करोड़ रुपये की रकम को ट्रैक कर ब्लॉक कर चुकी है. (सांकेतिक फोटो: आजतक)

मुंबई में एक 72 साल के बुजुर्ग कारोबारी के साथ 58 करोड़ रुपये की डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है (Mumbai Digital Scam). पीड़ित एक फार्मास्युटिकल (दवा) कंपनी के साझेदार थे और हाल ही में उन्होंने अपने शेयर बेचकर करीब 50 करोड़ रुपये कमाए थे. इसी के कुछ महीनों बाद वे साइबर ठगों के निशाने पर आ गए. पुलिस ने इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

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पूरा मामला क्या है?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस साल की शुरुआत में पीड़ित के खाते में पैसा आया था. ठगों ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का अधिकारी बताते हुए वीडियो कॉल पर बुजुर्ग से संपर्क किया. उन्होंने दावा किया कि उनका मोबाइल नंबर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है और अब उनके खिलाफ जांच चल रही है. 

सूत्रों ने बताया कि ठगों ने पीड़ित को बताया कि उनके बैंक खाते में अवैध धनराशि है. खुद को ‘असली अधिकारी’ दिखाने के लिए उन्होंने कुछ दस्तावेज भी भेजे. आरोपियों ने बुजुर्ग और उनकी पत्नी से कहा कि वे उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दें. ताकि यह वेरिफाई किया जा सके कि पैसा वैध है. उन्होंने कहा कि जांच के बाद पैसा उनके खातों में वापस ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

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रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि ठगों का पहला कॉल 19 अगस्त को आया. इसके बाद बुजुर्ग और उनकी पत्नी के लिए 40 दिन बहुत बुरे गुजरे. पति-पत्नी दोनों पहले बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके थे. अधिकारियों ने बताया,

उन्होंने 27 दिनों तक चार बैंकों के चक्कर लगाए और लगातार ठगों के संपर्क में रहे. घर पर, वे अपने मोबाइल कैमरे के सामने डिजिटल गिरफ्तारी में रहते थे. ठगों ने पीड़ितों को यकीन दिलाने के लिए फर्जी पुलिस थानों और अदालतों का इस्तेमाल किया.

इसके बाद वे अलग-अलग बैंकों से करीब 58 करोड़ रुपये कई खातों में ट्रांसफर करते रहे. ये सभी ट्रांजैक्शन उन्हें ‘RTGS’ के जरिए करने को कहा गया और इस दौरान ठग लगातार वीडियो कॉल पर बने रहे ताकि उन पर नजर रखी जा सके और शक की कोई गुंजाइश न रहे.

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ऐसे हुआ शक

उन्होंने (पीड़ित और उनकी पत्नी ने) किसी को भी इसकी जानकारी नहीं दी, न तो बैंकों को, न अपने पड़ोसियों को, न ही विदेश में पढ़ रहे अपने दो बच्चों को. जब धोखेबाजों ने (30 सितंबर को) उनकी पत्नी के खाते में रखे आखिरी 2 करोड़ रुपये मांगे, तब उन्होंने अपने एक दोस्त से इसकी जानकारी ली, जिसने उन्हें बताया कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है. उन्होंने जांच करवाई और तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि वे एक बड़े साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं. इसके बाद उन्होंने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.

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पुलिस ने क्या कहा?

मामले की जांच महाराष्ट्र साइबर पुलिस को सौंपी गई है. अब तक पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है. DIG संजय शिंत्रे ने कहा, 

हमें शक है कि फर्जी वीडियो कॉल राजस्थान और गुजरात से की गई थीं, जबकि अब तक गिरफ्तार किए गए सात लोग मुंबई और उसके आसपास के इलाकों से हैं. ये मूल रूप से वे लोग हैं जिन्होंने कमीशन के बदले पैसे इधर-उधर करने के लिए अपने बैंक खाते उपलब्ध कराए थे.

जांच में खुलासा हुआ है कि इस ठगी में करीब 6,500 फर्जी या ‘म्यूल अकाउंट्स’ का इस्तेमाल किया गया, जो एक बेहद जटिल नेटवर्क का हिस्सा थे. पुलिस अब तक करीब 3.5 करोड़ रुपये की रकम को ट्रैक कर ब्लॉक कर चुकी है.

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