ये नाम था नई दिल्ली में चल रहे 'एजेंडा आजतक' के एक सेशन का. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस सेशन में 18 दिसंबर को जनता से जुड़े सवालों का खुलकर जवाब दिया. उनसे सवाल किए सीनियर जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई ने.
पहला सवाल ये था कि इकॉनमी की हालत कैसी है.? ये गंभीर है, नार्मल है या उम्दा है?
जवाब में वित्तमंत्री ने कहा-
इकॉनमी की ग्रोथ रेट करीब 7.5 फीसदी है, वो भी तब जबकि कोई ग्लोबल बूम नहीं है. यूपीए के समय पॉलिसी पैरालिसिस जैसे शब्द चर्चा में थे. आज हर कोई ये कह रहा है कि इंडिया फास्टेस्ट ग्रोइंग इकॉनमी है. फिर भी दो तरह की चुनौतियां हैं. पहली घरेलू और दूसरी अंतर्राष्ट्रीय. इंटरनेशनल चैलेंज तेल और ट्रेड वार से पैदा होते हैं. कच्चे तेल के दाम बढ़ने से दिक्कतें बढ़ती हैं. ट्रेड वार होते हैं तो पब्लिक को उतना लाभ नहीं मिल पाता है. फिर भी पिछले चार-पांच साल में घरेलू हालात में काफी सुधार हए हैं. गांव और गरीबों की समस्याएं कम हुई हैं.'यानी ऑल इज वेल?' मतलब अर्थव्यवस्था में सब कुछ ठीक-ठाक है.? राजदीप ने अगला सवाल किया. इसका जवाब देते हुए वित्तमंत्री ने कहा-
ऑल इज वेल. बट इट कैन भी बेटर. मतलब सब कुछ ठीक है, लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश है.

राजदीप ने अगला सवाल किया-अगर सब कुछ अच्छा है, तो फिर आज बैंकों के सामने इतना संकट क्यों है? जवाब में वित्तमंत्री ने कहा-
बैंकिंग क्राइसिस साल 2008 में अमेरिका के लेहमैन ब्रदर्स के बाद शुरू हुआ. दुनिया भर की इकॉनमी में स्लोडाउन आया. इसके बाद यूपीए की सरकार ने बैंकों के दरवाजे खोल दिए. ये उन सबको कर्ज बांटने लगे, जिनके प्रोजेक्ट अच्छे नहीं थे. ऐसे ज्यादातर लोग कर्ज वापस नहीं कर पाए. नतीजा, एनपीए 8.5 लाख करोड़ हो गया. कागजों में इसे 2.5 लाख करोड़ बताया गया. बाकी पैसा, रीस्ट्रक्चरिंग के नाम पर दिया गया लोन बताते रहे. 2014 तक यही हालत रही. दिसंबर 2016 में हमारी सरकार ने इसमें सुधार किया. आज भी एनपीए है. पर लोन लेने वालों का जो कर्ज ब्याज की वजह से बढ़ रहा था, वो अब कम हो रहा है. इस क्राइसिस के लिए यूपीए सरकार जिम्मेदार है.
तभी आप आरबीआई पर दबाव डाल रहे हैं? उर्जित पटेल ने इस्तीफा क्यों दिया? क्या सरकार की नजर उनके खज़ाने पर थी? क्या रिज़र्व बैंक बोर्ड में एस गुरुमूर्ति जैसे सरकार की ओर से नामित डायरेक्टर दखल दे रहे हैं?
राजदीप के इस सवाल के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा कि
आज रिज़र्व बैंक के पास करीब 28 परसेंट कैश रिज़र्व है. ये पैसा बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन के लिए चाहिए या गरीब जनता के लिए कहा. हमने आरबीआई से इस पर चर्चा के लिए कहा. रघुराम राजन और अरविंद सुब्रमण्यन जैसे आर्थिक जानकार भी इस पर चर्चा की जरूरत महसूस करत रहे हैं. सरकार को खर्चे के लिए मई तक आरबीआई का एक रुपया भी नहीं चाहिए. फिस्कल डिफिसिट यानी राजस्व घाटा ठीक है. हमें उनके पैसे की जरूरत नहीं है. मगर इस पर डिस्कसन होना चाहिए. कांग्रेस के दौर में तो उसके एक सांसद रिज़र्व बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में थे. तब सवाल क्यों नहीं उठाए गए. उर्जित पटेल के इस्तीफे पर सवाल उठाने से पहले ये देखना चाहिए कि इस्तीफे कांग्रेस की सरकारों के दौर में भी हुए हैं. साल 1955 में जवाहरलाल नेहरू के समय बी रामाराव का इस्तीफा हुआ था. इंदिरा गांधी के समय जगन्नाथन का इस्तीफा हुआ. चिदंबरम के दौर में दो गवर्नर बदले गए. उर्जित पटेल को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया.राजदीप ने सवाल किया-जेटली जी आप पूरी तरह स्वस्थ हैं. अब फॉर्म में हैं. उर्जित पटेल के इस्तीफे और तीन राज्यों में हार के बाद क्या सरकार की स्ट्रैटजी में कोई बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं?
इस पर वित्तमंत्री ने कहा कि आज जो भी शख्स व्यापार या ट्रेड में होगा, वो आपको कहता मिलेगा कि लिक्विडिटी यानी नकदी का संकट है. तो रिज़र्व बैंक से कहना पड़ेगा कि दिक्कतें हैं. इनको सॉल्व किया जाए. इकॉनमी के एक्सपर्ट की भी यही राय रही है. जहां तक चुनाव नतीजों की बात है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुत कम अंतर से हारे हैं. मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले. मध्य प्रदेश में 2003 से बहुत काम हुए हैं. फसलों की पैदावार बढ़ी है. मगर उत्पादन ज्यादा होने से किसानों को दाम अच्छे नहीं मिले. इस पर काम करने की ज़रूरत है.
इसका मतलब ये है कि किसानों की परचेजिंग पॉवर बढ़ानी पड़ेगी? किसान कर्जमाफी जैसी चीजें बजट में भी करनी पड़ेंगी? राजदीप ने अगला सवाल किया. जवाब में वित्तमंत्री बोले-
कर्जमाफी राज्य अपनी क्षमता पर करें तो ठीक है. पंजाब ने वादा किया. आज क्या हालत है उसकी. विकास कार्याों के लिए उसके पास केवल 2,500 करोड़ रुपए बचे हैं. तेलंगाना ने अच्छा किया है. और वो इसलिए कर पाए क्योंकि उनके पास हैदराबाद जैसा राजस्व का बड़ा सोर्स था. उसके पास ज्यादा राजस्व था. जो भी राज्य ये करें वो ध्यान रखें कि राज्य का फिस्कल डेफिसिट 3 परसेंट से ज्यादा न हो.

वित्तमंत्री अरुण जेटली. सांकेतिक तस्वीर. इंडिया टुडे.
बेरोजगारी पर राजदीप के सवाल पर अरुण जेटली ने कहा कि