अजब गजब सेल्फी. पिता रेलवे में गार्ड है और बेटा टीटी है. जब दोनों की ट्रेन अगल-बगल से गुजरी तो एक सेल्फी का लम्हा बन गया.
ये शब्द हैं पत्रकार सुधीर कुमार पांडेय के, जो उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर के साथ ट्वीट किए हैं. तस्वीर में दो लोग दिखाई दे रहे हैं, जो अगल-बगल वाली ट्रेनों में सफर कर रहे हैं. इनमें से सेल्फी खींचने वाले को बेटा तो सेल्फी में दिख रहे दूसरे शख्स को पिता बताया जा रहा है. 14 जून 2022 को किए ट्वीट पर खबर लिखे जाने तक लाइक्स की संख्या 70 हजार के पार और साढ़े चार हजार से ज्यादा रीट्वीट हो चुके हैं.
फेसबुक पर आप सिर्फ 'अजब गजब सेल्फी' की-वर्ड्स डालकर सर्च कीजिए. इसके बाद वायरल तस्वीर से जुड़े पोस्ट्स की बाढ़ आ जाएगी.
फेसबुक पर वायरल तस्वीर का स्क्रीनश़ॉट. क्या है वायरल तस्वीर की कहानी?
वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए हमने सबसे पहले रिवर्स इमेज सर्च टूल की मदद ली. रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमें तस्वीर से जुड़ीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. जिन वेबसाइट्स पर ये मीडिया रिपोर्ट्स मौजूद हैं, उनमें बांग्ला भाषा का इस्तेमाल किया गया है और इनका कार्यक्षेत्र बांग्लादेश है. न्यूज़ वेबसाइट jagonews24.com पर छपी 15 मई 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक,
'तस्वीर में दिख रहे पिता-पुत्र की जोड़ी बांग्लादेश रेलवे में कार्यरत है. पिता बॉर्डर एक्सप्रेस ट्रेन में गार्ड है जबकि बेटा टीटीई है. सेल्फी खींचने वाले शख्स का नाम वशीबुर रहमान शुवो है जोकि उस वक्त द्रुतजन एक्सप्रेस में यात्रा कर रहा था. दोनों की ट्रेन जब फूलबाड़ी रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है तो पिता-पुत्र की जोड़ी का आमना-सामना होता है. पिता अपनी ट्रेन के आखिरी गार्ड वाले डिब्बे में थे जबकि बेटा इंजन के ठीक पीछे वाले डिब्बे में था. वशीबुर ने बिना मौका गंवाए इस पल को अपने कैमरे में कैद किया और तस्वीर फेसबुक पर शेयर कर दी. देखते ही देखते ये तस्वीर बांग्लादेश में वायरल हो गई.'
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यहां से क्लू लेकर हमने फेसबुक पर 'Washibur Rahman Shuvo' लिखकर सर्च किया. सर्च से हमें 'Washibur नाम से अलग-अलग लोगों की प्रोफाइल मिली लेकिन एक प्रोफाइल में दिख रहे शख्स का चेहरा वायरल तस्वीर में दिख रहे युवक से मिलता-जुलता दिखाई दिया.
Washibur Rahman Shuvo की फेसबुक प्रोफाइल
वायरल तस्वीर फेसबुक पर मौजूद तस्वीर
इसके बाद हमने फेसबुक मैसेंजर के जरिए वशीबुर रहमान से संपर्क किया.
जवाब में वशीबुर ने तस्वीर से जुड़ी कहानी के सच होने की पुष्टि करते हुए कुछ स्क्रीनॉट्स भेजे.
वशीबुर द्वारा भेजे गए स्क्रीनशॉट.
इन स्क्रीनशॉट्स में लिखी भाषा बांग्ला है, जिसका हिन्दी अनुवाद हमारे सहयोगी पुनीत त्रिपाठी ने कुछ इस तरह से किया है-
‘मैं और मेरे पिताजी एसएम ओहिदुर रहमान बांग्लादेश रेलवे में काम करते हैं. मैंने 2011 में रेलवे ज्वॉइन किया था जबकि मेरे पिताजी (खुलना रेलवे हेडक्वॉटर में पोस्टेड) 2023 में रिटायर हो जाएंगे. वायरल तस्वीर 14 मई 2019 की है, जब मैं एक ट्रेन में अपनी ड्यूटी करते हुए ढाका जा रहा था जबकि मेरे पिता खुलना होते हुए चिल्हाटी जा रहे थे. इस दौरान एक स्टेशन फूलबाड़ी पर हम दोनों की ट्रेन ने एक-दूसरे को क्रॉस किया. संयोग से इस बीच हम दोनों गेट पर खड़े थे. जैसे ही ट्रेन चलने को थी तो मैंने कई सारी तस्वीरें खींच ली थीं. इन्हीं तस्वीरों में से एक तस्वीर को मैंने अपने सोशल मीडिया और कुछ फेसबुक ग्रुप्स में शेयर किया था. इसके बाद देखते ही देखते ये फोटो फेसबुक पर वायरल हो गई थी. हालांकि मेरा मकसद वायरल होना कतई नहीं था.’
इसके बाद वशीबुर ने 'दी लल्लनटॉप' के साथ खुद की और अपने पिता की तस्वीरों के अलावा 15 मई 2019 के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया.
वशीबुर द्वारा शेयर किए गए फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉटवशीबुर रहमान और उनके पिता ओहिदुर रहमान.
कुल जमा बात ये है कि जिस तस्वीर को पिता-पुत्र की सेल्फी बताकर शेयर की जा रही है, वो सही है लेकिन तीन साल पुरानी है और जैसा कि कुछ लोग समझ बैठे हैं, भारत की नहीं बांग्लादेश की है. जिसे वहां रेलवे में काम करने वाले वशीबुर रहमान ने अपने कैमरे में कैद किया था.