20 नवंबर, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की एक समान परिभाषा परिभाषित की. जिसमें स्थानीय भूभाग से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भू-आकृतियों को ही "अरावली पहाड़ियां" माना जाएगा और ऐसी पहाड़ियों से बनी 500 मीटर की दूरी के भीतर की पर्वत श्रृंखलाओं को ही "अरावली पहाड़ियां" कहा जाएगा. इससे विवाद खड़ा हो गया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया है कि संरक्षण या खनन नियमों में "किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी गई है", और आलोचकों पर गलत सूचना और झूठ फैलाने का आरोप लगाया है. पूरा विवाद समझने के लिए देखिए वीडियो.
अरावली विवाद को लेकर पर्यावरण मंत्री ने यूट्यूबर पर क्या आरोप लगाए?
अरावली पहाड़ियों को लेकर खड़े हुए विवाद को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक बयान दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि संरक्षण या खनन नियमों में "किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी गई है", और आलोचकों पर गलत सूचना और झूठ फैलाने का आरोप लगाया है.
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