The Lallantop

चंद्रयान-3 लॉन्च हो गया, अब 'अंडा' बनाते हुए कैसे चंद्रमा तक पहुंचेगा ये जान लीजिए

इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट को जिस LVM3-M4 रॉकेट से भेजा गया है.

Advertisement
post-main-image
चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्च के पहले (बाएं) और बाद की तस्वीरें. (फोटो सोर्स- ISRO, ANI)

भारतीय स्पेस रिसर्च के लिए 14 जुलाई 2023 इतिहास की एक और महत्वपूर्ण तारीख साबित हुई है. दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च कर दिया गया. आज से 3 साल 11 महीने और 23 दिन पहले चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया था. जो पूरी तरह सफल नहीं रहा. चंद्रयान-3 उसी का फॉलो-अप मिशन है. इस वक़्त ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ और उनके संस्थान के वैज्ञानिक मिशन के कंट्रोल रूम में हैं.

Advertisement

इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट को जिस LVM3-M4 रॉकेट से भेजा गया है, उसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं. इस स्पेसक्राफ्ट के कितने हिस्से हैं और हर हिस्से का काम क्या है, ये भी बता चुके हैं. आज बात इस मिशन के आगे के दिनों की. ये कब क्या-क्या करेगा, संक्षेप में जानते हैं-

- LVM-3 रॉकेट से चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया गया.

Advertisement

- 16 मिनट बाद यानी 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-3 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में शिफ्ट हो गया. माने पृथ्वी से बाहर निकलकर पृथ्वी के चारों ओर की उस कक्षा में आ गया है जिसकी पृथ्वी से दूरी हमेशा एकसमान रहती है. माने इस गोलाकार कक्षा में चंद्रयान पृथ्वी के चारों ओर घूमते वक़्त हर समय पृथ्वी से एक समान दूरी पर ही रहेगा.

- मैन्यूवर्स के जरिए चंद्रयान मैन्यूवरिंग (पैंतरेबाजी) करके अपने इलिप्टिकल पाथ (यानी अंडाकार रास्ते) का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाएगा. माने उसका हर चक्कर पहले से बड़ा होता जाएगा.

- इसके बाद स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट ट्रांसफर करेगा और 6 दिन तक चंद्रमा की तरफ बढ़ेगा.

Advertisement

- इसके बाद स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की कक्षा में आ जाएगा.

- 13 दिन तक स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के चक्कर लगाएगा.

- इसके बाद चंद्रमा की बाहरी सतह से 100 किलोमीटर ऊपर प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर अलग हो जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल ही लैंडर को इस स्टेज तक लेकर आता है.

- इसके बाद लैंडर, चंद्रमा के ऊपर एक कक्षा में अपनी स्पीड कम करना शुरू करेगा.

- करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे. और रोवर 14 दिन तक चंद्रमा की सतह पर एक्सपेरिमेंट करेगा.
मिशन पूरी तरह सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

इस स्पेसक्राफ्ट का लगभग हर हिस्सा, किसी न किसी तरह का एक्सपेरिमेंट करके डाटा इकठ्ठा करेगा. इस डाटा के जरिये क्या-क्या जरूरी या बड़ी जानकारी मिलेगी ये हम आपको बताते रहेंगे. आपको आगे बताएंगे कि किस हिस्से के हिस्से क्या काम आया है.

वीडियो: मास्टरक्लास: चांद का कौन सा सच सामने लाएगा ISRO का चंद्रयान-3 मिशन?

Advertisement