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'पीएम मोदी को गांधी के विचारों से नफरत', राहुल गांधी ने 'G RAM G' पर अपने इरादे भी जता दिए

मनरेगा की जगह 'जी राम जी' बिल लाने का लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जोरदार विरोध किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी के विचारों और गरीबों के अधिकारों से ‘गहरी नफरत’ है.

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राहुल गांधी ने मोदी सरकार के 'जी राम जी' बिल का कड़ा विरोध दिया है (india today)

मोदी सरकार ने यूपीए के कार्यकाल की चर्चित ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) को हटाने करने की तैयारी कर ली है. जाहिर है इस पर कांग्रेस तमतमा गई है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री को महात्मा गांधी के विचारों से गहरी नफरत’ है. राहुल गांधी ने कहा कि जो मनरेगा योजना कोविड काल में गरीबों के लिए आर्थिक कवच बनकर सामने आई, उसे ही पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. कांग्रेस सांसद ने इसे ‘महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान’ बताया है.

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राहुल गांधी ने इसकी जगह पर लाए जा रहे नए बिल VB-G RAM G की मंशा पर भी सवाल उठाया. कहा कि ये बिल राज्यों पर केंद्र का कंट्रोल बढ़ाने का औजार है. क्योंकि, इसके सारे नियम और बजट मोदी सरकार तय करेगी और राज्यों से इसकी 40 फीसदी लागत जबरन वसूली जाएगी.

मनरेगा को लेकर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला

मंगलवार, 16 दिसंबर को बिल पर कड़ा विरोध जताते हुए राहुल गांधी ने कहा, 

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“पीएम नरेंद्र मोदी जी को दो चीजों से सख्त नफरत है. एक तो महात्मा गांधी के विचारों से और दूसरी गरीबों के अधिकारों से. मनरेगा महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने का जीवंत उदाहरण है. यह योजना करोड़ों ग्रामीण भारतीयों के लिए जीवनरेखा रही है और कोरोना महामारी के दौरान एक मजबूत आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई. इसके बावजूद, यह योजना हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी को खटकती रही है. पिछले 10 सालों से उनकी सरकार इसे कमजोर करने की लगातार कोशिश करती रही और अब वो मनरेगा को पूरी तरह से खत्म करने पर आमादा हैं.” 

राहुल ने आगे कहा, 

मनरेगा 3 बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित थी. पहला- काम का अधिकार यानी जो भी काम मांगे, उसे रोजगार मिलना चाहिए. दूसरा- गांवों को अपने विकास के काम खुद तय करने की आजादी. तीसरा- मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी और रोजगार देने में जो मटीरियल कॉस्ट लगेगी उसका 75 प्रतिशत भी वही देगी. 

लेकिन अब पीएम मोदी मनरेगा को केंद्र सरकार के कंट्रोल (centralised control) का औजार बनाना चाहते हैं. नए बिल में बजट, योजनाएं और नियम केंद्र तय करेगा. राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा. पैसा खत्म होते ही या फसल कटाई-बुआई के मौसम में मजदूरों को महीनों तक काम नहीं मिलेगा.

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राहुल गांधी ने कहा कि ये नया बिल महात्मा गांधी के आदर्शों का सीधा अपमान है. देश में भारी बेरोजगारी के जरिए युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के बाद अब मोदी सरकार गरीब ग्रामीण परिवारों की सुरक्षित रोजी-रोटी पर हमला कर रही है. राहुल ने ऐलान किया कि कांग्रेस इस बिल का संसद से सड़क तक विरोध करेगी. 

‘विकसित भारत जी राम जी’ बिल

बता दें कि केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार गारंटी को लेकर ‘वीबी- जी राम जी’ यानी 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन- ग्रामीण' बिल लेकर आने की तैयारी कर रही है. यह बिल अगर कानून बना तो यूपीए सरकार के मनरेगा की जगह लेगा. मनरेगा में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी थी. नए बिल में 125 दिनों के रोजगार की गारंटी है. पहले वाली स्कीम में पूरा पैसा केंद्र सरकार देती थी. लेकिन नए बिल में प्रावधान है कि बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा सभी राज्यों को बजट में हिस्सेदार होना होगा. पहाड़ी और पूर्वोत्तर के राज्यों की हिस्सेदारी 90ः10 के अनुपात में होगी. बाकी राज्यों को बजट में 60 फीसदी की हिस्सेदारी देनी होगी. 

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