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यूपी: गौशाला में गायों की भूख से मौत, कौवे लाश नोच-नोचकर खा रहे!

प्रधान और डॉक्टर ने कहा - "तीस रुपये में एक गाय का चारा मुश्किल"

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गौशाला में एक ही दिन में 6 गायों की मौत की खबर (फोटो: आजतक)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा (Etawah) में परौली रमायन गांव की गौशाला में एक ही दिन में 6 गायों की मौत की खबर है. बताया जा रहा है कि गायों की मौत भूखे रहने से हुई है. इतना ही नहीं, यहां आए दिन एक या दो गायों की मौत होती रहती है. हालत इतनी खराब है कि इनके शव कौवे और दूसरे जानवर नोंच रहे हैं.

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आजतक से जुड़े अमित तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, इटावा जनपद में कुल 106 छोटी-बड़ी गौशालाएं हैं. इनमें लगभग 12 हजार 400 गायें मौजूद हैं. इस इलाके में परौली रमायन गांव की गौशाला सबसे चर्चित है और बहुत बुरी हालत में है. यहां 585 गोवंश रखने की क्षमता है. इस समय यहां 537 गौवंश हैं. लेकिन इस गौशाला में रोजाना कई गोवंशों की भूख से तड़प-तड़प कर मौत हो जा रही है. मंगलवार 24 मई को ही 6 गोवंशों की भूख से मौत हो गई. गोवंश के मरने के बाद उनकी दुर्गति इस तरह होती है कि जानवर और पक्षी उनके अंगों को नोच-नोचकर खा जाते हैं.

गौशाला में क्यों मर रही हैं गायें?

ऐसा कहा जा रहा है कि गौशाला में गोवंशों को पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा. जब गौशाला में गोवंशों की मौत के बारे में इटावा के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार से पूछा गया, तब उन्होंने जवाब दिया,

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गौशाला में ऐसे पशु आते हैं, जो पहले से ही कमजोर होते हैं. उन्हें पहले से ही कोई न कोई बीमारी होती है. ऊपर से पशुओं को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता जिससे उनकी तबीयत और खराब हो जाती है.

वहीं गौवंशों के लिए 30 रुपए रोजाना प्रति गोवंश के हिसाब से भूसे की व्यवस्था की जाती है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. परौली रमायन गांव के ग्राम प्रधान शुवेंद्र सिंह चौहान का कहना है,

"30 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से बहुत कम पैसा है. इसलिए गौशाला में गोवंशों के भोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पा रही है."

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उन्होंने बताया कि गौशाला के संचालन में ग्राम विकास की निधि का भी पैसा गौशाला में खर्च हो जाता है. उनके मुताबिक हर महीने 66 हजार रुपये निधि से जा रहा है.

प्रशासन से मिलने वाले 30 रुपए प्रति गोवंश काफी नहीं

ग्राम प्रधान शुवेंद्र सिंह चौहान ने गौशाला के लिए अलग से अनुदान राशि बढ़ाने की मांग करते हुए कहा,

"30 रुपये में मैनेज नहीं हो पा रहा है. सरकार से निवेदन करता हूं कि ये कम से कम  रोजाना प्रति गोवंश 50-60 रुपये तो होना ही चाहिए."

बरसात के मौसम में गोवंशों की ज्यादा मौतें होती हैं. ऐसे में गोवंशों के लिए क्या तैयारी है? इस पर ग्राम प्रधान ने बताया कि गौशाला में टिन का शेड करा दिया गया है. जहां भी गड्ढे हैं, उनको भरवा दिया गया है ताकि बरसात के समय दलदल न बनने पाए.

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि वे लोग दान में भूसा लेते हैं. अब तक लगभग दो हजार क्विंटल भूसा दान में मिला है. गौशाला इस समय भी अनुदान से ही चलानी पड़ रही है. लोग जो पशुओं के लिए दान कर जाते हैं, उसी से गौशाला में अतिरिक्त भोजन लाने की कोशिश की जाती है. 

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