महाराष्ट्र के जलगांव में चलती ट्रेन में कुछ युवकों की हिंसा का शिकार हुए बुजुर्ग अशरफ अली का नया बयान सामने आया है. इस घटना के वीडियो में आरोपी युवक अशरफ अली को गालियां देते और कई बार थप्पड़ मारते दिखे थे. अब पीड़ित ने बताया है कि उन्हें देखने में दिक्कत आ रही है और यूरीनरी ट्रैक्ट (पेशाब की नली) में भी चोट आई है. उन्होंने आरोपियों की जमानत पर भी आपत्ति जताई है. मामले में नई अपडेट ये है कि कोर्ट ने आरोपियों की जमानत रद्द करने का आदेश दिया है.
'बीफ' के नाम पर चलती ट्रेन में पीटे गए अशरफ अली पर नई अपडेट आई
इस बीच अदालत ने तीनों आरोपियों को बिना शर्त मिली जमानत को रद्द करने की पुलिस की मांग को स्वीकार कर लिया है.

आजतक के दिव्येश से बात करते हुए अशरफ अली ने कहा,
“जिस आरोपी को गिरफ्तार किया गया उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया. मैं अपनी आंखों से ठीक से देख नहीं पा रहा हूं. मेरे यूरिनरी ट्रैक से खून आ रहा है. उन्होंने मुझे लात मारी थी. मैं ज़्यादा बात नहीं कर सकता, मेरे सीने में दर्द है.”
वहीं अशरफ के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि रविवार के दिन आरोपियों को जमानत मिलना हैरान करने वाला है. उनके बेटे सैयद अश्फाक ने कहा,
"मेरे पिता के साथ जो कुछ भी हुआ है, वह गलत है. और आठ से दस लोग उनके साथ मारपीट कर रहे थे और उन्हें ट्रेन से फेंकने की कोशिश की गई. उन्होंने उनके 2,800 रुपये छीन लिए. उन्हें जबरन कल्याण से ठाणे ले जाया गया. जबकि उनका टिकट कल्याण तक का था. उन्हें ठाणे में ही छोड़ा गया, उनका मुंह दबाया गया.
जो कुछ भी उनके साथ हुआ. जो उन्होंने झेला वह किसी और के साथ न हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और आरोपियों पर और भी सख्त धाराएं लगाई जाएं. यह बहुत शर्मनाक है कि उन्हें संडे के दिन जमानत मिल गई. मेरे पिता के साथ अन्याय हुआ है और हम न्याय चाहते हैं."
अशरफ के वकील आबिद सैयद ने आरोपियों पर हल्की धाराएं लगाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था,
“पीड़ित की हालत गंभीर है और आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. उनके खिलाफ जो धाराएं जोड़ी गई हैं, वे जमानती हैं. पीड़ित की चोट के अनुसार यह गंभीर मामला है और पिछले मेडिकल टेस्ट के मुताबिक इस मामले में लापरवाही हुई है.”
सैयद ने मांग की कि आरोपियों पर हत्या के प्रयास और मॉब लिंचिंग की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी नहीं सुनते हैं तो वो अदालत का रुख करेंगे.
इस बीच अदालत ने आरोपियों की जमानत रद्द कर दी है. आजतक से जुड़े दिव्येश की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बिना शर्त मिली जमानत को रद्द करने की पुलिस की मांग को स्वीकार कर लिया है. जमानत रद्द होने के बाद जांच अधिकारी को आरोपियों को गिरफ्तार करने की अनुमति मिल गई है. रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे पुलिस ने इस केस में भारतीय न्याय संहिता की धारा 302 (जानबूझकर शब्दों से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना) और 311 (वारदात के वक्त जानलेवा हथियार का इस्तेमाल या किसी को गंभीर चोट पहुंचाना) भी जोड़ दी हैं. इनके तहत दोषी पाए जाने पर कम से कम सात साल के कारावास की सजा हो सकती है.
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