अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. अब ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में छह महीने के लिए विदेशी छात्रों की एंट्री रोकने का फैसला लिया है. इसे लेकर ट्रंप ने एक घोषणापत्र साइन किया है (Trump Harvard Proclamation). इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन ने नेशनल सिक्योरिटी को खतरा बताया है. दूसरी तरफ, हार्वर्ड ने ट्रंप के इस फैसले पर तीखा विरोध जताया है.
हार्वर्ड में अब नहीं पढ़ पाएंगे विदेशी छात्र, डॉनल्ड ट्रंप ने आदेश किया साइन, इन छात्रों पर सीधा असर
Donald Trump Harvard Proclamation: डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी पर कई आरोप लगाए और विदेशी छात्रों पर बैन लगाया है. दूसरी तरफ, हार्वर्ड ने ट्रंप के इस फैसले को न मानने का एलान किया है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने बुधवार 4 जून को ऑर्डर पर साइन किए. ऑर्डर में कहा गया कि विदेशी छात्रों का वीज़ा सस्पेंशन छह महीने से आगे भी बढ़ाया जा सकता है. ट्रंप ने US स्टेट डिपार्टमेंट को निर्देश दिया है कि वह हार्वर्ड के किसी भी मौजूदा छात्र के अकादमिक या एक्सचेंज वीजा को रद्द करने पर विचार करे. खासकर ऐसे स्टूडेंट जो सरकार की ओर से तय नियमों को न मानते हों.
दो पन्नों के निर्देश में कहा गया,
हार्वर्ड ने विदेशी संबंधों और कट्टरपंथ का इतिहास प्रदर्शित किया है. चीन समेत विदेशी विरोधियों के साथ उसके व्यापक संबंध हैं.
आदेश में FBI की चिंताओं का भी ज़िक्र किया गया है. कहा गया कि FBI ने पहले से ही यह चेतावनी दी है कि विदेशी लोग अमेरिका की हायर एजुकेशन तक आसान पहुंच का फायदा उठाते हैं. वे यहां से जानकारी चुराने, रिसर्च और डेवलपमेंट का गलत इस्तेमाल करने और झूठी जानकारी फैलाने की कोशिश करते हैं.
ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी पर कई आरोप भी लगाए हैं. सरकार का कहना है कि हाल के कुछ वर्षों में हार्वर्ड में अपराध बहुत ज़्यादा बढ़ गए हैं. यूनिवर्सिटी कुछ प्रकार के नियम तोड़ने वालों छात्रों या स्टाफ के खिलाफ सही कार्रवाई करने में विफल रहा है.
आदेश में कहा गया कि यूनिवर्सिटी ने उन विदेशी छात्रों की जानकारी ठीक से नहीं दी है, जो अमेरिका में गैरकानूनी कामों में शामिल थे. ये जानकारी यूनिवर्सिटी को U.S. Department of Homeland Security को देनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
सरकार ने हार्वर्ड पर विरोधियों के साथ सांठगांठ का भी आरोप लगाया. कहा गया कि हार्वर्ड को अकेले चीन से 150 मिलियन डॉलर से ज़्यादा मिले. इतना ही नहीं, कैंपस में यहूदी विरोधी घटनाओं के पीछे कई आंदोलनकारी विदेशी छात्र पाए गए.
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने क्या कहादूसरी तरफ, हार्वर्ड ने ट्रंप को दो टूक समझा दिया. यूनिवर्सिटी ने बयान जारी कर कहा,
हार्वर्ड अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा करना जारी रखेगा.
यूनिवर्सिटी का कहना है कि ट्रंप प्रशासन की मांगों को न मानने की वजह से उन पर जवाबी कार्रवाई की जा रही है. ट्रंप प्रशासन यूनिवर्सिटी की गवर्नेंस, करिकुलम और इसकी फैकल्टी और स्टूडेंट्स की विचारधारा को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है.
गौरतलब है कि बीते कई महीनों से ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच गतिरोध चला आ रहा है. पिछले महीने विदेश विभाग ने अपने सभी विदेशी दूतावासों को केबल (संदेश) जारी किया था. इसमें आदेश दिया गया था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए वीज़ा चाहने वालों की एक्स्ट्रा जांच शुरू करें.
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