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केजरीवाल के किए ट्रांसफर रुके, भड़क कर फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

संविधान बेंच के फैसले के एक दिन बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची केजरीवाल सरकार

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एक दिन पहले ही केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत मिली थी | फ़ाइल फोटो : आजतक

दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने कल 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था. फैसले के बाद लगा अब सब सही चलेगा. लेकिन, कुछ घंटे बाद ही झगड़ा फिर शुरू हो गया. दिल्ली सरकार शुक्रवार, 12 मई को फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र अधिकारियों (सचिव) का ट्रांसफर नहीं करने दे रहा है.

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अब किस बात पर झगड़ा हुआ?

आजतक से जुड़े संजय शर्मा की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अपने विभाग के सचिव को बदल दिया. दिल्ली सरकार का सेवा विभाग सौरभ भारद्वाज के पास है. उन्होंने अपने इसी विभाग के सचिव आशीष मोरे को पद से हटाया. उनकी जगह पर अनिल कुमार सिंह को सेवा विभाग का नया सचिव बनाया गया. अनिल कुमार सिंह 1995 बैच के IAS अधिकारी हैं. वो दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ भी रह चुके हैं.

किस आधार पर एलजी ऑफिस ने ट्रांसफर रोका? 

दिल्ली सरकार द्वारा किए गए इस पहले ही ट्रांसफर के बाद टकराव शुरू हो गया. आशीष मोरे के ट्रांसफर को एलजी वीके सक्सेना के दफ्तर की ओर से अवैध बताया गया. आजतक के मुताबिक दिल्ली के एलजी सचिवालय और सेवा विभाग के सूत्रों का दावा है कि सेवा विभाग के सचिव का ट्रांसफर अवैध, मनमाना और निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना किया गया है.

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इन सूत्रों के मुताबिक एक अधिकारी का तबादला कार्यकाल पूरा होने से पहले केवल सिविल सेवा बोर्ड द्वारा ही किया जा सकता है, जिसके चीफ दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव होते हैं. साथ ही अन्य दो वरिष्ठ नौकरशाह इस बोर्ड के सदस्य होते हैं. सूत्रों का कहना है कि सचिव सेवा आशीष मोरे के ट्रांसफर में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. यानी सिविल सेवा बोर्ड द्वारा ये फैसला नहीं लिया गया. दावा ये भी किया गया है कि फैसले की आधिकारिक कॉपी आने से पहले मंत्री सौरभ भारद्वाज का आदेश आ गया.

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