मामला 14 अगस्त का है. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की अपने हॉस्टल के रूम में थी. अगले दिन 15 अगस्त था, तो स्कूल में तैयारी चल रही थी. इसी बीच लड़की का एक सीनियर उसके पास आया और कहा कि टीचर उसे बुला रहे हैं. बच्ची उसके साथ टीचर से मिलने के लिए निकल गई. रास्ते में स्कूल के स्टोर रूम के पास लड़के ने लड़की का हाथ पकड़कर स्टोर रूम में खींच लिया और रेप की कोशिश की. इसी दौरान उसके तीन और साथी आ गए और चारों ने मिलकर बच्ची से रेप किया. किसी से कुछ कहने पर बच्ची को जान से मारने की धमकी दी. लेकिन बच्ची किसी तरह हॉस्टल पहुंची. वहां उसने हॉस्टल की केयरटेकर मंजू को इस बारे में बता दिया, लेकिन मंजू ने कहा कि गलती लड़की की ही है. हालांकि मंजू ने इस बारे में स्कूल के डायरेक्टर की पत्नी को पूरी बात बताई. स्कूल डायरेक्टर की पत्नी ने बच्ची को बुलाया और उसी की गलती ठहराते हुए चुप रहने को कहा. स्कूल के लोगों ने कहा कि अगर वो अपना मुंह खोलेगी, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा.
तबीयत खराब हुई तो खुल गया मामला

बच्ची को जब पीडियड्स नहीं आए, तो मामला सामने आ गया.
इसके बाद बच्ची चुप हो गई. पिछले दिनों उसकी तबीयत खराब हो गई. उसे पीरियड्स भी नहीं आए. इस बारे में उसने अपनी बड़ी बहन को बताया, जो उसी स्कूल में उसके साथ पढ़ती है. दोनों बहनों ने इस बारे में डॉयरेक्टर से मुलाकात की, तो बच्ची को 15 सितंबर को डॉक्टर से दिखाया गया. जांच में पता चला कि वो गर्भवती है. इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने बच्ची को गर्भपात की दवाइयां दीं. जब इससे भी बात नहीं बनी, तो स्कूल प्रबंधन बच्ची को एक प्राइवेट नर्सिंग होम में ले गया ताकि उसका अबॉर्शन हो सके. जांच में पता चला कि बच्ची को अबॉर्रशन के लिए जो दवाइयां दी जा रही थीं, उससे बच्ची की जान भी जा सकती थी. वहीं मामले की जानकारी घरवालों को भी नहीं हो पाई थी, क्योंकि दोनों बच्चियों के माता-पिता आपस में अक्सर झगड़ा करते रहते हैं. इसी वजह से उन्होंने अपनी दोनों बच्चियों को बोर्डिंग में डाल दिया था और वो लोग न तो अपनी बच्चियों से मिलने आते थे और न ही उनसे बात करते थे.
अखबार को आया अनजान फोन और पुलिस तक पहुंची बात

एसएसपी तक बात पहुंची, तो उन्होंने तुरंत ही जांच दल को स्कूल भेजा, जिसके बाद 9 गिरफ्तारियां हुई हैं.
15 सितंबर की शाम को ही देहरादून से छपने वाले एक अखबार में एक अनजान शख्स ने फोन किया और बताया कि स्कूल में बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ है. अखबार ने देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती से संपर्क किया. 16 सितंबर को जब एसएसपी निवेदिता को घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत ही एसडीएम विकासनगर और बाल कल्याण समिति को जांच के लिए स्कूल में भेजा. उनके साथ एसओ सहसपुर नरेश सिंह राठौर भी थे. जब जांच टीम स्कूल में पहुंची तो घटना की पुष्टि हो गई. इसके बाद बच्ची के बयान के आधार पर पुलिस ने स्कूल के ही चार नाबालिग बच्चों के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कर लिया. वहीं स्कूल प्रबंधन पर सबूत छिपाने के आरोप में केस दर्ज कर लिया.
खुद को बचाने के लिए दूसरे स्कूल में शिफ्ट कर दिए गए आरोपी छात्र

स्कूल में हुए रेप के बाद सीबीएसई ने नोटिस भेजकर स्कूल से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है. (सांकेतिक फोटो)
जांच के दौरान पता चला कि जब स्कूल के मैनेजमेंट को 15 सितंबर को पता चला कि मामला पुलिस तक पहुंच गया है, मैनेजमेंट ने आरोपी छात्रों को स्कूल की दूसरी ब्रांच में शिफ्ट कर दिया. छात्रों को दूसरी ब्रांच में शिफ्ट करने के लिए डॉयरेक्टर की कार का ही इस्तेमाल किया गया था. 16 को जब पुलिस पहुंची तो चारों छात्र वहां नहीं मिले और कहा गया कि वो छु्टटी पर गए हैं. लेकिन पुलिस ने जब स्कूल के प्रिंसिपल जितेंद्र शर्मा से सख्ती से पूछताछ की, जो जितेंद्र ने पूरी कहानी बयान कर दी और बताया कि छात्रों को दूसरी ब्रांच में शिफ्ट किया गया है. प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने 17 सितंबर को चार बच्चों के साथ ही स्कूल के डायरेक्टर, प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, टीचर और हॉस्टल वॉर्डन को गिरफ्तार कर लिया. वहीं सीबीएसई की ओर से भी स्कूल को नोटिस भेजा गया है और 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया है. सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने स्कूल मैनेजमेंट को नोटिस जारी कर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पूछा है और कहा है कि क्यों न इस स्कूल की मान्यता रद कर दी जाए.