नाम- चेतन कुमार 'चीता'. सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडर. 14 फरवरी को कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले में आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी. चेतन को निशाना मारते हुए सामने से एक साथ 30 गोलियां चला दी गईं. उनके शरीर में एक साथ नौ गोलियां घुस गईं. इसके बावजूद वो रुके नहीं. उन्होंने 16 राउंड फायर किए. 1 आतंकी को भी मार गिराया.चेतन को तुरंत श्रीनगर के अस्पताल ले जाया गया. नौ गोलियां लगने के बाद उनका बचना नामुमकिन था. लेकिन डॉक्टर उनकी हिम्मत देखकर हैरान थे. उन्हें इलाज के लिए एम्स रेफर किया गया. जहां वो दो महीनों तक कोमा में रहे.

एम्स के बेड पर चेतन, फोटो: ट्विटर
आतंकियों ने चेतन को छलनी कर दिया था
जब वो एम्स लाए गए थे उनके दिमाग में भयंकर हैमरेज हो गया था. भर्ती होने के 24 घंटे में ही उनकी सर्जरी की गई और खोपड़ी के एक हिस्से को हटा दिया गया था. चीता को कई सारी एंटीबायोटिक्स पर रखा गया था ताकि इन्फेक्शन कम किया जा सके. उनके घावों को भी लगातार साफ किया जाता था. उनके शौच के लिए अलग रास्ता बनाया गया था. उनकी बांई आंख को तो बचा लिया गया है लेकिन उनकी दाईं आंख की पुतली खराब हो गई हैं.
चेतन की पत्नी उषा बताती हैं कि उनका बच पाना बहुत मुश्किल था. लेकिन ये चेतन की परेशानियों से लड़ने की ताकत थी. जिसने उन्हें दोबारा जिंदगी दी है. उषा दिल्ली में बच्चों के साथ रहती हैं. 14 फरवरी की रात जब चेतन की कॉल उषा के पास नहीं आई तो वो परेशान हो उठीं. उन्होंने हेडक्वार्टर में कॉल किया. वहां से उन्हें पता चला कि चेतन बुरी तरह जख्मी हैं. और उन्हें दिल्ली लाया जा रहा है.
चेतन अब घर ले जाने लायक हो गए हैं. उनके दोनों बच्चे उनके घर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
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