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5 रुपये का Parle-G 2300 रुपये में मिल रहा, गाजा की ये कहानी रुला देगी

भारत में Parle-G के बड़े पैकेट की कीमत 50-100 रुपये के बीच रहती है. लेकिन गाजा में इसके कुछ पैकेट्स की कीमत 24 यूरो, माने 2300 रुपये से भी अधिक पहुंच गई है. जवाद के पास बेटी को देने के लिए खाने के रूप में सिर्फ पार्ले-जी है. उन्होंने बताया कि गाजा में आटा-शक्कर हजार रुपये किलो में बिक रहे हैं.

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मोहम्मद जवाद और अनकी बेटी रफीफ. (तस्वीर: सोशल मीडिया)

Parle-G बिस्किट तो खाए ही होंगे. कितने के मिलते हैं? सबसे छोटा पैकेट 5 रुपये का. इकट्ठा लो तो 10-20 पार्ले-जी का एक पैकेट 50-100 रुपये से ज्यादा का नहीं पड़ता. लेकिन गाजा में ये 2400 रुपये में बिक रहा है. गाजा पट्टी में चल रहे संघर्ष के बीच सोशल मीडिया पर एक छोटी फिलिस्तीनी बच्ची की तस्वीर वायरल हो रही है. वीडियो में बच्ची के पिता मोहम्मद जवाद अपनी बेटी रफीफ को खाने के लिए भारत में मिलने वाले बिस्किट Parle G का पैकेट देते नजर आते हैं.

भारत में इस बड़े पैकेट की कीमत 50-100 रुपये के बीच रहती है. लेकिन गाजा में इसके कुछ पैकेट्स की कीमत 24 यूरो, माने 2300 रुपये से भी अधिक पहुंच गई है. जवाद के पास बेटी को देने के लिए खाने के रूप में सिर्फ पार्ले-जी है. उन्होंने बताया कि गाजा में आटा-शक्कर हजार रुपये किलो में बिक रहे हैं.

1 जून को मोहम्मद जवाद ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट लिखा,

“लंबे इंतजार के बाद, आज मैं रफीफ के लिए उसका पसंदीदा बिस्किट ला पाया. हालांकि इसकी कीमत 1.5 यूरो (146 रुपये) से बढ़कर 24 यूरो (2,342 रुपये) हो चुकी है, लेकिन मैं उसे मना नहीं कर सका.”

देखते ही देखते ये पोस्ट वायरल हो गई. खबर लिखे जाने तक पोस्ट को सात लाख से अधिक व्यू मिल चुके हैं. कई लोगों ने बच्ची के पिता मोहम्मद जवाद की तारीफ की तो कई ने इच्छा जताई कि काश वे और बिस्किट पहुंचा सकते. इसके अलावा कुछ लोगों ने परिवार के लिए दुआ मांगी. कई यूजर्स ने भारत सरकार और पार्ले कंपनी को टैग कर मदद करने की मांग की. 

इस बीच अजय यूजर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग कर लिखा,

“देखिए, मैं समझता हूं कि हम युद्ध में किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं. लेकिन वह बच्चा भारत का पसंदीदा बिस्किट खा रहा है. क्या हम फिलिस्तीन को ज्यादा पार्ले-जी भेज सकते हैं? ये ग्लूकोज बिस्किट हैं और नागरिक आबादी को राहत पहुंचाने में मदद करेंगे.”

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सोशल मीडिया यूजर की पोस्ट.

कई यूजर्स ने भारत द्वारा गाजा में भेजी गई राहत सामग्री के ब्लैक में बेचे जाने का दावा किया. इन तमाम गुजारिशों और दावों के बीच मोहम्मद जवाद ने एक और पोस्ट लिखकर बताया,

“कई लोगों को लगता है कि गाजा के लोगों के लिए आने वाली मदद सभी में बराबर बांटी जाती होगी, लेकिन असलियत में कब्जा करने वालों ने कई एजेंट और चोरों को भर्ती किया है, जो इस मदद को चुरा कर बाजार में ऊंचे दामों में बेचते हैं.”

मोहम्मद जवाद ने बताया कि आटा लगभग 500 डॉलर (लगभग 43 हजार रुपये) और चीनी लगभग 90 डॉलर (लगभग 7 हजार रुपये) प्रति किलोग्राम बिक रहा है. उन्होने आगे लिखा,

“जो लोग सामान खरीद नहीं सकते, वे जान जोखिम में डालकर जरूरतें पूरी करने की कोशिश करते हैं. जबकि कुछ लोग बड़ी मात्रा में राहत सामग्री चुराकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं.”

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पिता मोहम्मद जवाद की पोस्ट.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, गाजा में बच्चों की कुपोषण दर पर गुरुवार 5 जून को संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें 50 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग के हवाले से बताया गया है कि फरवरी से अब तक बच्चों में कुपोषण की दर तीन गुना बढ़ गई. रिपोर्ट का दावा है कि ऐसी स्थिति में बच्चे सामान्य बीमारी से भी नहीं लड़ पाते.

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नाम के एक इंटरनेशनल मेडिकल NGO ने अपने एक बयान में यहां तक कह दिया कि गाजा में डॉक्टर्स अब मरीजों की जान बचाने के लिए अपना ही ब्लड डोनेट कर रहे हैं.

मोहम्मद जवाद भी अपनी एक अन्य पोस्ट में बेटी रफीफ के बीमार होने और पोषण की कमी के चलते उसके विकास के रुकने की बात बताते हैं. इसके अलावा वे दुनिया से गाजा पर हो रहे नरसंहार को रोकने और उसकी सीमाएं खोलने की भी मांग करते हैं.

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