धर्मगुरु गाज़ी फकीर 84 साल के थे. लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. जोधपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था. कुछ दिनों से कोमा में थे. 27 अप्रैल को उनका निधन हो गया. उनके शव को उनके पैतृक गांव झबरा ले जाया गया. जहां बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए जुटने लगे. 10 हजार लोगों की भीड़ जमा हुई आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजी फकीर के अंतिम संस्कार में 10,000 से ज्यादा लोग पहुंचे थे. जैसलमेर और बाड़मेर के साथ आस-पास के इलाकों के लोग जमा हुए. कोरोना को लेकर सरकारी गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए गाज़ी फकीर की अंतिम यात्रा भी निकाली गई. बाद में झबरा गांव की दरगाह में गाजी फकीर के पिता की कब्र के पास ही मुस्लिम समाज की रीतियों के अनुसार उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस दौरान न प्रशासन ने भीड़ जमा होने पर न किसी को रोका और न ही किसी पर कोई एक्शन लिया गया.

कोरोना के सख्त नियम-कायदों के बावजूद जैसलमेर के झबरा गांव में 10 हजार से ज्यादा लोग दिवंगत गाजी फकीर को अंतिम श्रद्धांजलि देने जमा हुए. (फोटो-आजतक)
बता दें कि जीते जी खुद गाज़ी फकीर ने कहा था कि कोरोना वायरस से बचने के लिए ज़रूरी है कि लोग मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें. उनके बेटे सालेह मोहम्मद ने भी लोगों से अपील की थी कि कोरोना संक्रमण के चलते गाइडलाइन का पालन करें और अपने घरों में ही रहें. इसके बावजूद भारी संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे. बता दें कि सालेह मोहम्मद खुद कोरोना पॉजिटिव थे.
अंतिम संस्कार में भीड़भाड़ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रही हैं. लोग इसका वीडियो डाल कर प्रदेश सरकार से कोरोना नियम-कायदों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं.