सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ऐसे व्यक्ति को बरी किया है जो पिछले 13 सालों से रेप और अपहरण के मुकदमे का सामना कर रहा था. निचली अदालत और तेलंगाना हाई कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था. निचली अदालत ने व्यक्ति को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने सजा को घटाकर दो साल कर दिया था.
13 साल से रेप केस का सामना कर रहा था व्यक्ति, हाई कोर्ट ने सजा भी सुनाई, सुप्रीम कोर्ट में निर्दोष निकला
Supreme Court ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि लड़की की मां ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने में चार दिन का इंतजार किया. और लड़की दो महीने तक आरोपी के साथ रही.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 4 अगस्त 2012 को शख्स अपने एक दोस्त की बहन के साथ घर छोड़कर चला गया. दोनों हैदराबाद के शादनगर में रहने लगे. 8 अगस्त को लड़की की मां ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
12 अक्टूबर को, मोटरसाइकिल चलाते समय व्यक्ति का एक्सीडेंट हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसी समय लड़की अपने मायके लौट आई. उसके बयान पर पुलिस ने उस व्यक्ति के खिलाफ अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज किया. इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और सजा सुनाई. फिर मामला हाई कोर्ट में पहुंचा. वहां भी व्यक्ति को दोषी पाया गया.
उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि लड़की अपनी सहमति से उस व्यक्ति के साथ गई थी. उच्चतम न्यायालय ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया. ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत सबूतों का विश्लेषण किया गया. इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
लड़की के बयान से ये साबित नहीं होता कि व्यक्ति ने उसे धोखे या प्रलोभन से उसके माता-पिता से जबरन अलग किया या उसे बहकाया.
लड़की ने स्वीकार किया कि वो अपनी मर्जी से उस व्यक्ति के साथ गई थी. कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि लड़की की मां ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने में चार दिन का इंतजार किया. कोर्ट ने कहा कि लड़की का दो महीने तक स्वेच्छा से और बिना किसी विरोध के उस व्यक्ति के साथ रहना, पुलिस के अपहरण के सिद्धांत पर संदेह पैदा करता है.
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रेप के आरोप पर कोर्ट ने क्या कहा?बलात्कार के आरोप पर पीठ ने कहा,
इस आरोप का कोई आधार नहीं है, क्योंकि लड़की ने यौन संबंध बनाने के बारे में केवल सकारात्मक बयान दिया है और ये बिल्कुल भी नहीं कहा है कि ये उसकी इच्छा के विरुद्ध था.
बेंच ने पाया कि इस केस ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे ये साबित हो सके कि लड़की को अगवा किया गया था.
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