दरअसल, रेलवे ने साल 2019 में एनटीपीसी के माध्यम से 35,308 पोस्टों के लिए और ग्रुप डी के लिए लगभग एक लाख तीन हज़ार पोस्टों के लिए आवेदन मंगाया था. साथ ही रेलवे ने ये भी कहा था कि NTPC में जितनी रिक्तियां है, उससे 20 गुना ज्यादा अभ्यर्थियों को फाइनल टेस्ट में जगह दी जाएगी. लेकिन जब रिजल्ट आया तो उसमें एक ही आभ्यर्थी को अलग-अलग पोस्ट के लिए शॉर्टलिस्ट कर दिया गया. छात्रों का कहना है कि इस वजह से कई अभ्यर्थियों को रिजल्ट में जगह नहीं मिली.

बिहार के आरा में छात्रों का प्रदर्शन. (ANI)
किन पदों के लिए निकाले गए थे आवेदन? इससे पहले हम रेलवे भर्ती बोर्ड के ऊपर लगे आरोपों के ऊपर उसका जवाब जानें, ये जान लेते हैं कि बोर्ड ने NTPC के किन पदों के लिए आवेदन मंगाए थे. उनके लिए किस तरह की योग्यता की जरूरत थी और कौन सा पद किस वेतनमान के तहत आता है.
रेलवे ने 2019 में अलग-अलग श्रेणी और रैंकों के लिए 35,281 रिक्तियों पर भर्तियाँ निकली थीं. इस भर्ती में जूनियर क्लर्क, ट्रेन असिस्टेंट, गार्ड, टाइम कीपर, से लेकर स्टेशन मास्टर तक के पद शामिल हैं. कुल रिक्तियों मे से करीब 11 हजार वैकन्सी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास है. यानी वे छात्र जिन्होंने 12वीं कर ली है, वे इन रिक्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं. बाकी बची करीब 24 हजार से ज्यादा रिक्तियों पर आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी का ग्रैजुएट होना जरूरी है. ये 35 हजार से ज्यादा पोस्ट लेवल 2 से लेवल 6 तक पाँच अलग-अलग पे-ग्रेड में बंटी हुई हैं.
जैसे कि जूनियर क्लर्क एक लेवल 2 का पद है और इसकी शुरुआती सैलरी 19,900 रुपये है. जो अभ्यर्थी जूनियर लेवल 2 की पोस्ट के लिए अप्लाई करते हैं उनका 12वीं पास होना जरूरी है. वहीं अगर कोई अभ्यर्थी स्टेशन मास्टर की पोस्ट के लिए अप्लाइ करता है तो उसका ग्रैजुएट होना जरूरी. स्टेशन मास्टर एक लेवल 6 की पोस्ट है और इसकी शुरुआती सैलरी 35,400 रुपये है. किस तरह से लिए गए थे टेस्ट? रेलवे के मुताबिक 35,281 भर्तियों के लिए 1.25 करोड़ आवेदन आए. क्योंकि एक ग्रैजुएट अभ्यर्थी लेवल-2 का एग्जाम दे सकता है, इसलिए रेलवे ने सभी पदों के लिए कंप्यूटर पर एक कॉमन एग्जाम लिया. मार्च में भर्तियों की घोषणा की गई थी, इस हिसाब से पहला पेपर सितंबर 2019 में होना था, लेकिन इसकी डेट आगे बढ़ा कर मार्च 2020 कर दी गई. फिर कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. आखिरकार 2020 में अप्रैल से जुलाई के बीच 68 दिनों में 133 शिफ्ट में कंप्यूटर आधारित कॉमन पेपर यानी CBT-1 की परीक्षा आयोजित की गई. इसी परीक्षा का रिजल्ट बीते हफ्ते 14 जनवरी को घोषित किया गया.

गया में रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते छात्र. फोटो-ANI
गड़बड़ी कहां है ? 2019 में जब रेलवे ने भर्तियां निकाली थी, तब उसका ये मकसद था कि ज्यादा से ज्यादा अभ्यर्थी रिक्तियों के लिए आवेदन करें. इसलिए रेलवे ने ये नियम बनाया था कि CBT-2 के लिए कुल रिक्तियों से 20 गुना ज्यादा अभ्यर्थियों को पास किया जाएगा. इससे पहले 2016 में रेलवे के मुताबिक CBT-2 के लिए 15 गुना ज्यादा छात्रों को पास किया गया था. वहीं उससे पहले सिर्फ 10 गुना ज्यादा छात्रों को पास किया जाता था. इस हिसाब से इस बार 35, 281 रिक्तियों के लिए 7 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों को CBT-2 के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाना था. लेकिन असल में 7 लाख नहीं सिर्फ 3 लाख 84 हजार अभ्यर्थियों को ही शॉर्टलिस्ट किया गया है. इसके पीछे की वजह को एक उदाहरण से समझते हैं.
12 वीं पास अभ्यर्थी केवल लेवल 2 और 3 के लिए ही आवेदन कर सकते हैं, वहीं जिन अभ्यर्थियों ने ग्रैजुएशन कर लिया है वे लेवल 2 से लेवल 6 तक सभी के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस हिसाब से शॉर्टलिस्ट में अलग-अलग लेवल के लिए अलग-अलग अभ्यर्थी को नहीं बल्कि एक ही अभ्यर्थी को अलग-अलग लेवल के लिए शॉर्टलिस्ट कर दिया गया. इसी वजह से छात्रों में गुस्सा है, उनका कहना है कि एक ही अभ्यर्थी को कई लेवल के लिए सिलेक्ट करने के कारण कई योग्य अभ्यर्थी लिस्ट से बाहर हो गए हैं.

बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो ANI)
छात्रों के इस आरोप पर रेलवे का कहना है कि अगर किसी ने लेवल 2 और लेवल 5 दोनों के लिए अप्लाई किया है, और उसके नंबर दोनों के कटऑफ से ज्यादा है तो उसे दोनों की शॉर्टलिस्ट में गिना जाएगा. इसपर गुस्साए छात्रों का कहना है कि ग्रैजुएशन पास किए हुए अभ्यर्थी 12वीं पास वालों की नौकरियां ले रहे हैं और 12वीं वालों के लिए कॉम्पिटिशन ज्यादा हो रहा है. रेलवे ने क्या कहा? छात्रों के इस आरोप पर RRB के एक चेयरमैन ने नाम ना बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 12 वीं वालों के लिए कॉम्पिटिशन ज्यादा नहीं है. उनका कहना है कि क्योंकि CBT-2 फाइनल एग्जाम है और इसके बाद केवल डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन राउन्ड ही बचता है, तो हम यहां छटनी करते हैं. अधिकारी के मुताबिक पहले ऊंचे पदों के लिए जिनमें लेवल 6 और 5 शामिल है, उनके डॉक्यूमेंट वेरिफाई किए जाएंगे. अगर कोई अभ्यर्थी लेवल 6 और लेवल 3 दोनों में सेलेक्ट हुआ है, तो उसे सिर्फ एक पोस्ट ही चुननी है. अधिकारी के मुताबिक लोग अक्सर ऊंचे पदों को ही चुनते हैं. ऐसे में शायद ही कोई लेवल 2 या 3 को प्रथमिकता दे. इस हिसाब से लेवल 2 और 3 के डाक्यूमेंट की जांच करने से पहले काफी शॉर्टलिस्ट हो चुके अभ्यर्थी अपनी जगह छोड़ चुके होंगे, जिससे ज्यादा अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा.
अधिकारी ने यह भी बताया कि अभ्यर्थियों को कोई गलतफहमी या डाउट ना हो इसलिए बार-बार रेलवे ने सोशल मीडिया पर नियमों को विस्तार से समझाया भी है. छात्रों को कोई दिक्कत ना हो इसलिए उनके सभी डाउट क्लीयर करने के बाद ही रिजल्ट जारी किया गया है. फिलहल छात्रों के बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए रेलवे ने CBT-1 की परीक्षा रद्द कर दी और छात्रों की मांग पर विचार करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है.