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कांग्रेस के मनीष तिवारी ने पार्टी से अलग बयान दिया, कहा - 'सशस्त्र बल रोजगार गारंटी योजना नहीं'

जबकि राहुल गांधी ने अग्निपथ पर कहा था - "युवाओं की अग्निपरीक्षा मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी"

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अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन करते युवा और मनीष तिवारी. (फोटो: पीटीआई)

सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाई गई 'अग्निपथ' योजना (Agnipath Scheme) का कई राज्यों में खुलकर विरोध हो रहा है. विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. हालांकि इस बीच कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने जो बयान दिया है, वो उनकी पार्टी के स्टैंड से थोड़ा अलग नजर आ रहा है. 

तिवारी ने कहा है कि उन्हें प्रदर्शनकारियों से सहानुभूति है, लेकिन सशस्त्र बलों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम के रूप में नहीं देखा जा सकता है.

उन्होंने कहा, 

“मैं अग्निपथ प्रक्रिया को लेकर चिंतित युवाओं के प्रति समानुभूति रखता हूं. वास्तविकता यह है कि भारत को अत्याधुनिक हथियारों से लैस प्रौद्योगिकी के लिए युवा सशस्त्र बल की आवश्यकता है. सशस्त्र बलों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम नहीं बनाया जा सकता है.”

मनीष तिवारी रक्षा पर बनी संसदीय समिति के संदस्य भी हैं. उन्होंने इसी मामले को लेकर एक इंटरव्यू में इंडिया टुडे से कहा, 

“हमें ये समझने की जरूरत है कि पिछले एक या डेढ़ दशकों से युद्ध के तरीके बिल्कुल बदल गए हैं. सशस्त्र बल रोजगार गारंटी योजना नही हैं. ज्यादातर सशस्त्र बलों में अब काफी परिवर्तन आ गया है, जहां जमीन पर लड़ने के लिए सैनिकों की कमी आई है. इसके बरक्स तकनीक और नए तरह के हथियारों में काफी बढ़ोतरी हुई है. यदि ऐसी स्थिति में देश को युवा सशस्त्र बल की आवश्यता है, तो आपको नए जरूरतों के हिसाब से परिवर्तन लाना होगा.”

उन्होंने आगे कहा, 

'इसलिए सरकार जो ये नई योजना लेकर आई है, इसे देखने की जरूरत है कि धरातल पर इसका कैसा रिजल्ट निकल कर आता है. यदि इसमें कोई समस्या आती है तो उसका समाधान निकाला जा सकता है. सरकार को स्पष्टीकरण देने की जरूरत है कि 4.5 साल के बाद कैसे नियुक्ति की अगली स्टेज को लागू किया जाएगा. क्योंकि ये जायज-सी बात है कि 21 साल के युवाओं को अपने भविष्य की चिंता जरूर होगी.'

मनीष तिवारी का ये बयान उनकी पार्टी के रुख के विपरीत है. कांग्रेस ने इस योजना को स्थगित करने की मांग की है. उनका कहना है कि संबंधित स्टेकहोल्डर्स और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद ही अगला कद उठाया जाना चाहिए.

इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा था, 

“न कोई रैंक, न कोई पेंशन. न 2 साल से कोई direct भर्ती. न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य. न सरकार का सेना के प्रति सम्मान. देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी.”

क्यों है अग्निपथ का विरोध?

अग्निपथ योजना को लेकर प्रदर्शनकारी युवाओं की मुख्य रूप से दो चिंताएं हैं. पहली ये कि इसमें स्थायी नौकरी नहीं है. चार साल बाद ही 75 फीसदी लोगों की सर्विस खत्म हो जाएगी. दूसरी ये कि पुरानी भर्ती योजना के तहत सैनिकों को जो जीवन पर्यंत पेंशन और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिलती थी, वो अब इन 75 फीसदी लोगों पर लागू नहीं होगी.

अग्निपथ योजना के तहत हर साल 45 हजार से 50 हजार सैनिकों की नियुक्ति की जाएगी. लेकिन इसमें से 75 फीसदी लोगों को चार साल बाद ही नौकरी छोड़नी पड़ेगी. बाकी के 25 फीसदी लोगों को अगले 15 सालों तक के लिए स्थायी जॉब मिलेगी. पहले सशस्त्र बलों में चयन होने पर करीब 17 साल की स्थायी नौकरी होती थी.

इस योजना के तहत जिन कैंडिडेट्स का चयन होगा, उन्हें पहले साल में हर महीने 30 हजार रुपये, दूसरे साल 33 हजार रुपये, तीसरे साल 36 हजार 530 रुपये और चौथे साल 40 हजार रुपये सैलरी मिलेगी.

खास बात ये है कि इस सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत काट लिया जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि इसमें जमा करेगी. इसी राशि पर ब्याज जोड़कर चार साल की नौकरी खत्म होने पर हर एक सैनिक को करीब 11.71 लाख रुपये मिलेंगे और यह टैक्स फ्री होगा.

इसके अलावा इन सैनिकों को चार साल के लिए 48 लाख रुपये का जीवन बीमा मिलेगा. यदि मृत्यु हो जाती है तो परिवार को बची हुई सैलरी के साथ एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

इस योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल की उम्र वाले युवा अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि युवाओं के विरोध प्रदर्शन और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि साल 2020 से कोई नियुक्ति नहीं हुई है, सरकार ने साल 2022 के लिए अधिकतम उम्र बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया है.