लंबे इंतेजार के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने 71 जिला अध्यक्षों की लिस्ट जारी कर दी है. लेकिन इस लिस्ट के चलते कांग्रेस के अंदर उथल-पुथल मच गई है. इससे राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर, उज्जैन और बुरहानपुर तक कई जिलों में विरोध प्रदर्शन, इस्तीफे और असंतोष की लहर है.
राहुल गांधी बिहार में पदयात्रा पर निकले, इधर मध्य प्रदेश में पार्टी के अंदर बवाल मच गया
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने 71 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है. 21 पुराने चेहरे हैं, जबकि 50 नए चेहरे हैं. उधर अध्यक्षों की नियुक्ति की लिस्ट जारी हुई, उधर इस्तीफों की झड़ी लग गई.

71 जिला अध्यक्षों में से 21 पुराने चेहरे हैं, जबकि 50 नए चेहरे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 71 जिला अध्यक्षों में से तीन पूर्व मंत्री, छह मौजूदा विधायक और 11 पूर्व विधायक हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जून, 2025 में भोपाल पहुंचकर जब मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की, तब कहा गया कि ‘संगठन पुनरुद्धार’ की नींव रख दी गई है. लेकिन जिला प्रमुख पदों पर हालिया नियुक्तियों से सवाल खड़े हो गए हैं. कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. क्योंकि उन्हें लगता है कि जमीनी स्तर के नेताओं की अनदेखी की गई है.
कुल 37 नियुक्तियां रिजर्व्ड कैटिगरी में हुईं- 12 ओबीसी, 10 एसटी, 8 एससी, चार महिलाएं और तीन अल्पसंख्यक समुदायों से. ये पहला मौका है, जब चार महिलाओं को जिला प्रमुख पद पर चुा गया है.
सबसे हाई-प्रोफाइल विवाद राघौगढ़ में हुआ. यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह गुना कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चुने गए. जिसके बाद उनके समर्थकों ने 16 अगस्त को देर रात तक विरोध प्रदर्शन किया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का पुतला जलाया. उन्होंने नारेबाजी करते हुए आरोप लगाया कि जयवर्धन सिंह का राजनीतिक कद कम कर दिया गया है.
हालांकि, राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
ये आलाकमान की पहल है. बीते महीने जब राहुल गांधी भोपाल आए थे , तो उन्होंने कहा था कि सबसे मजबूत नेता जिला अध्यक्ष होना चाहिए. हम सब पार्टी लाइन का पालन करेंगे.
भोपाल में प्रवीण सक्सेना की दोबारा जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से नाराजगी भड़क उठी है. पूर्व जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना इस पद के दावेदार थे. NDTV की खबर के मुताबिक, मोनू ने इस फैसले की खुलकर आलोचना की. और नेतृत्व पर राहुल गांधी के नए संगठन निर्माण के आह्वान की अनदेखी करने का आरोप लगाया.
इधर इंदौर में नए शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे और जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े को विरोध का सामना करना पड़ा. उनकी नियुक्ति पर पूर्व महिला विंग अध्यक्ष साक्षी शुक्ला डागा ने अपना गुस्सा जाहिर किया. उज्जैन (ग्रामीण) में भी असंतोष उभर कर आया. जहां महेश परमार की नियुक्ति का विरोध किया जा रहा है. सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा से कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता नाखुश हैं.
Congress नेताओं ने क्या कहा?एक सीनियर कांग्रेस नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
15 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने जिला अध्यक्ष बनने के लिए कभी पूछा ही नहीं. क्या जमीनी स्तर से फीडबैक भी लिया गया? सतना जैसी जगहों पर उन्होंने ऐसे लोगों को चुना है, जिनके नाम स्थानीय नेता पहली बार सुन रहे हैं.
बताया जाता है कि जीतू पटवारी के सहयोगियों ने भोपाल और इंदौर समेत पांच शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रखी. जबकि जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ‘हाशिये पर चल रहे’ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने समर्थकों के लिए 10 जिला अध्यक्ष पद हासिल करने में कामयाब रहे. इनमें छिंदवाड़ा, जबलपुर और रीवा ग्रामीण जिले शामिल हैं. वहीं, दिग्विजय सिंह के खेमे को राजगढ़ समेत पांच प्रमुख पद मिले.
पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को सबसे ज्यादा नुकसान जो चीज पहुंचा रही है, वो एक गंभीर आरोप है. आरोप ये कि नियुक्त किए गए कुछ नेताओं का सत्तारूढ़ BJP के साथ अनौपचारिक संपर्क हैं. एक सीनियर कांग्रेस नेता ने दावा किया,
ऐसे एक दर्जन से ज्यादा नेता हैं, जो BJP के संपर्क में हैं. ये दावा पार्टी के उस घोषित मकसद के विपरीत है, जिसमें जिला अध्यक्ष के रूप में सिर्फ उन्हीं लोगों को नियुक्त करने की बात कही गई है, जो BJP के संपर्क में नहीं हैं.
हालांकि, राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता की इस पर अलग राय है. नियुक्तियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पार्टी को ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो BJP के प्रभाव का मुकाबला कर सकें. उनका कहना है कि कुछ तनाव तो हमेशा रहेगा. लेकिन ये कोई ऐसी बात नहीं है, जो पहले नहीं हुई. चाहे टिकट बंटवारा हो या संगठन में नियुक्तियां, ऐसा होता रहता है…
वीडियो: इमरती देवी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर जीतू पटवारी पर पुलिस एक्शन