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छत्तीसगढ़: CM भूपेश बघेल पर सरकारी पैसे से बेटी के ससुराल वालों को फायदा पहुंचाने का आरोप

मामला एक मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण से जुड़ा है.

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छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार एक अध्यादेश लाकर प्राइवेट कॉलेज का अधिगृहण करने जा रही है. विवाद इसलिए उठ रहा है कि कॉलेज का स्वामित्व उस परिवार के पास है जहां उनकी बेटी ब्याही है.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप लग रहा है. खबर है कि उनकी सरकार ने उस प्राइवेट कॉलेज के अधिग्रहण के लिए नया कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसका संबंध भूपेश बघेल के रिश्तेदारों से है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस कॉलेज का स्वामित्व भूपेश बघेल की बेटी के ससुराल से जुड़े एक परिवार के पास है. बताया गया है कि ये कॉलेज फिलहाल पैसों की कमी से जूझ रहा है. भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) सरकार पर आरोप है कि बेटी के ससुराल से संबंधित होने के कारण छत्तीसगढ़ सरकार मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है. इसके लिए बकायदा नया कानून प्रस्तावित किया गया है. हालांकि सरकार का दावा है कि ऐसा कॉलेज में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के भविष्य को ध्यान में रख कर किया जा रहा है. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है. मेडिकल कॉलेज का इतिहास छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज है- चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज. चंदूलाल चंद्राकर कांग्रेस के बड़े नेता थे. दुर्ग से 5 बार लोकसभा सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री रहे. 1995 में उनका निधन हो गया. उनकी याद में ये अस्पताल चंद्राकर समुदाय ने बनवाया. इस हॉस्पिटल के डायरेक्टर हैं मंगल प्रसाद चंद्राकर. उनके छोटे भाई हैं विजय चंद्राकर. विजय चंद्राकर के बेटे हैं क्षितिज चंद्राकर, जिनसे सीएम बघेल की बेटी दिव्या बघेल की शादी हुई है. सरकार ने क्यों तैयार किया विधेयक? दि इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ये कॉलेज चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल (CCMH) के स्वामित्व में है, जो एक अनलिस्टेड प्राइवेट कंपनी है. इसका मार्च 1997 में रजिस्ट्रेशन कराया गया था. मंगल प्रसाद चंद्राकर इस कंपनी के 59 शेयर धारकों में से एक हैं. उनकी कंपनी में 4 फीसदी की हिस्सेदारी है. दि इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने बताया है कि कॉलेज के अधिग्रहण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार एक विधेयक पर काम कर रही है. उसके संवाददाता ने इस ड्राफ्ट बिल को देखा है. दावा है कि अस्पताल ने राज्य सरकार से कॉलेज का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया था, क्योंकि वो 'वित्तीय कठिनाइयों' में है. कॉलेज का कहना है कि कई छात्र मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे हैं और ये उनके भविष्य का सवाल है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार विधेयक के मसौदे से संतुष्ट है और मानती है कि 'जनहित में' इसका 'तत्काल अधिग्रहण आवश्यक' है. इस विधेयक के अनुसार, कॉलेज की देनदारियां CCMH यानी कॉलेज के मालिकों की होंगी. राज्य कॉलेज की चल और अचल संपत्ति का मूल्यांकन करेगा और मसौदा कानून के अनुसार CCMH को राशि का भुगतान करेगा. ये सवाल परेशान कर रहे हैं बताया गया है कि बघेल सरकार ने लगभग छह महीने पहले ही कॉलेज के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू करने की घोषणा कर दी थी. लेकिन संबंधित फाइलों से निपटने वाले अधिकारियों का एक वर्ग इस फैसले को लेकर कुछ असहज है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अधिकारियों ने इसके कारण भी बताए हैं. कहा है,
# CCMH का कुल बकाया कर्ज 125 करोड़ रुपये है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा असुरक्षित है. मतलब इसे चुकता न करने पर सरकार पर बोझ पड़ेगा. # जिस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया जा रहा था, उस पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 12 अप्रैल, 2018 को अपनी बैठक में ‘धोखाधड़ी’ से संबंधित गतिविधियों का आरोप लगाया था. # कॉलेज को 2017 से मान्यता भी नहीं मिली है.
राजनीति शुरू कॉलेज के अधिग्रहण की खबर सामने आई तो इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए और देश के सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा है,
"भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं. प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए, वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा लगाए गए थे. कौन बिकाऊ है और कौन टिकाऊ, इसकी परिभाषा अब साफ है!"
इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि सीएम ऑफिस ने इस मामले में उसके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है. हालांकि अखबार के संपर्क करने पर छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क निदेशक एस भारतीदासन ने कहा,
“विधानसभा के इस सत्र में विधेयक पेश किया जा रहा है. जब तक इसे पेश नहीं किया जाता है, तब तक संबंधित सचिव द्वारा विधेयक या इसकी परिस्थितियों के बारे में कोई सवाल नहीं किया जा सकता है.”
बिल पर सरकार को घेरने वालों में केवल भाजपा के लोग शामिल नहीं है. चंदूलाल चंद्राकर के करीबी परिवार के एक सदस्य ने भी सरकार पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया है. चंदूलाल के बड़े भाई चुन्नीलाल चंद्राकर के पोते और राज्य कांग्रेस के संयुक्त सचिव अमित चंद्राकर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुख्यमंत्री एक नया कानून बनाकर अपनी बेटी के ससुराल वालों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

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