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GST में बड़े बदलाव की तैयारी? 12% वाले स्लैब का जाना तय

GST Big Changes: अगस्त में संसद का मानसून सत्र खत्म होने के बाद GST काउंसिल की बैठक होगी. इसी बैठक में नए GST ढांचे पर अंतिम प्रस्ताव रखा जाएगा. अगर ये बदलाव लागू होते हैं तो GST शुरू होने के बाद यह सबसे बड़ा सुधार माना जाएगा.

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मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लागू किया था GST. (प्रतीकात्मक फोटो)

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की दरों समेत कई अन्य जटिलताओं को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. अब सरकार इसमें बड़े बदलाव की तैयारी में है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने GST ढांचे में बड़े बदलाव के लिए सैंद्धातिक रूप में मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि अगस्त में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में बदलावों को लागू किए जाने पर फैसले लिया जा सकता है.

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इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना में टैक्स स्लैब में बदलावों को आसान बनाने की कोशिशें शामिल हैं. अधिकारियों के हवाले से ET ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने आंतरिक चर्चाएं शुरू कर दी हैं. जल्द ही प्रस्तावित बदलावों पर आम सहमति बनाने के लिए राज्यों से संपर्क किया जाएगा. इन चर्चाओं का मकसद GST ढांचे, टैक्स के नियमों और व्यापारियों व ग्राहकों के लिए टैक्स भरना की प्रक्रिया को आसान बनाना है. 

इससे पहले भी मंत्रियों के एक ग्रुप को पुराने दरों को तर्कसंगत बनाने का काम सौंपा गया था. लेकिन इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई. अब सरकार राजनीतिक और प्रशासनिक माध्यमों से सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए जुट गई है. 

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एक वरिष्ठ अधिकारी से हवाले से ET ने लिखा कि बदलावों को लेकर हाई लेवल चर्चा हुई है. देश की आर्थिक स्थिति अच्छी और मजबूत है, इसलिए यह समय GST सुधार के लिए एकदम सही है. एक आसान GST व्यवस्था इकॉनमी को और आगे बढ़ने में मदद कर सकती है. 

ये बदलाव मुमकिन

सरकार का मकसद GST की दरों और स्लैब में बदलाव करना है ताकि व्यापारियों और आम लोगों की उलझन कम हो सके. वे आसानी से इसे समझ और भर सकें. फिलहाल सामानों पर 5%, 12%, 18%, और 28% की दरों के हिसाब से GST लगाया जाता है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे बड़ा बदलाव 12% वाले स्लैब में हो सकता है. इस स्लैब को पूरी तरह से खत्म करने की प्लानिंग है. इस स्लैब में आने वाले सामानों को 5% या 18% की दर में शिफ्ट किया जा सकता है. 

क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?

सरकार का मानना है कि मौजूदा GST व्यवस्था में कई जटिलताएं हैं. छोटे और मध्यम कारोबारियों को इनवॉइस और इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसी प्रक्रियाओं में काफी दिक्कतें आती हैं. नियमों का पालन (Compliance) और अलग-अलग टैक्स दरें भी उनके लिए परेशानी का बड़ा कारण हैं. इसे लेकर सांसद, व्यापारी संघ और उद्योग से जुड़े लोग लंबे समय से इन समस्याओं को उठाते रहे हैं. 

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सरकार का यह भी मानना है कि GST में होने वाले नए सुधार आने वाले समय में भारत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. इससे भारतीय व्यापारियों को नए व्यापार अवसरों का फायदा उठाने में मदद मिलेगी. खासकर उन देशों के साथ जिनके साथ भारत भविष्य में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन करेगा. 

मुआवजा सेस का एक्स्ट्रा बोझ

जब 2017 में GST लागू हुआ था तो राज्यों को लगता था कि उन्हें पहले जितना टैक्स नहीं मिलेगा. उनकी कमाई कम हो जाएगी. राज्यों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने वादा किया कि वह जून 2022 तक मुआवजा देगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने 28 प्रतिशत वाले कुछ आइटम्स जैसे सिगरेट, ड्रिंक्स और बड़ी कारों पर “Compensation Cess” लगाना शुरू किया. 

लेकिन कोविड के समय देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी तो सेस से राज्यों को भरपाई करने जितना पैसा नहीं आया. इसके बाद केंद्र सरकार ने कर्ज लेकर राज्यों को पैसा देना शुरू किया. चूंकि उधारी अब तक चुकाई नहीं गई है इसलिए केंद्र सरकार ने “Compensation Cess” को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है. 

आगे क्या?

अगस्त में संसद का मानसून सत्र खत्म होने के बाद GST काउंसिल की बैठक होगी. इसी बैठक में नए GST ढांचे पर अंतिम प्रस्ताव रखा जाएगा. अगर ये बदलाव लागू होते हैं तो GST शुरू होने के बाद यह सबसे बड़ा सुधार माना जाएगा.

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