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Chandrayaan-3: 14 दिन से सोए रोवर को जगाएगा ISRO, कौन सा काम अभी बाकी है?

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों करीब 2 हफ्तों से सो रहे हैं. अब चांद पर सुबह हुई है, लेकिन ISRO इन्हें कैसे जगाएगा?

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ISRO की कोशिश है लैंडर और रोवर फिर से काम करने लगे (PTI)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से जगाने की कोशिश कर रहा है. लैंडर और रोवर को पिछले पंद्रह दिनों से स्लीप मोड में रखा गया है. ISRO के मुताबिक शिव शक्ति पॉइंट पर एक बार फिर से सुबह हो चुकी है. जिसके बाद ISRO की कोशिश है कि लैंडर और रोवर फिर से काम करने लगे. 22 सितंबर को ISRO लैंडर और रोवर के साथ संचार फिर से स्थापित करने का प्रयास करेगा.

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इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक ISRO के एक अधिकारी ने कहा कि ग्राउंड स्टेशन पर्याप्त मात्रा में धूप उपलब्ध होने के बाद 21 या 22 सितंबर को लैंडर और रोवर मॉड्यूल और ऑन-बोर्ड उपकरणों को फिर से जगाने का प्रयास करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक इनके जागने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा संभव है कि लैंडर या रोवर मॉड्यूल जाग जाए, लेकिन काम करने की अपनी पूरी क्षमता को हासिल करने में सफल ना हो.

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यदि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पूरी क्षमता के साथ जागते हैं, तो लैंडर और रोवर कम से कम अगले 14 दिनों तक काम करते रह सकते हैं. इस दौरान वो और कई तरह की जानकारियां जुटा सकते हैं, जो वे ग्राउंड स्टेशनों को भेज रहे हैं.

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सौर ऊर्जा से संचालित चंद्रयान-3 मॉड्यूल का मिशन केवल एक लूनर डे (दिन) तक सक्रिय रहने का है, जो पृथ्वी पर लगभग 14 दिनों के बराबर होता है. चंद्रमा पर रात में प्रभावी रहने के लिए बनाए गए अंतरिक्ष यान पर आमतौर पर ऑनबोर्ड हीटिंग प्रणाली लगी होती हैं. ऐसी प्रणाली चंद्रमा पर उतरने में असफल रहे रूस के लूना-25 में लगी हुई थी. लेकिन चंद्रयान-3 के साथ ऐसा नहीं है. क्योंकि उसका उद्देश्य कभी भी एक लूनर डे से अधिक समय तक प्रभावी रहना नहीं था.

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चंद्रयान को मिली सफलता

बात चंद्रयान मिशन की करें तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने  मिशन Chandrayaan-3 के जरिए अब तक बड़ी सफलता हासिल की है. 29 अगस्त को ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ी नई जानकारी दी. जिसके मुताबिक रोवर प्रज्ञान में लगे एक पेलोड ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर और ऑक्सीजन (Oxygen) की मौजूदगी की पुष्टि की है. जबकि हाइड्रोजन की खोज जारी है. ISRO ने एक ग्राफ के माध्यम से चांद की सतह पर मिले तत्वों के बारे में बताया है. ISRO के मुताबिक चांद की सतह पर कई तत्वों की मौजूदगी का पता चला है.

इससे पहले 23 अगस्त की शाम को करीब छह बजे विक्रम लैंडर ने चांद पर कदम रखा था. इस तरह ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन का सबसे खतरनाक पड़ाव पार कर लिया था. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला और चांद की सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया.

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