'कैश फॉर क्वेरी'(Mahua Moitra Cash for query) मामले में लोकसभा एथिक्स पैनल ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सासंद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की है. पैनल ने 9 नवंबर को अपनी रिपोर्ट तैयार की. समिति के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया. जबकि 4 सदस्यों ने इस रिपोर्ट का विरोध जताया है.
महुआ मोइत्रा की सांसदी छीनने की रिपोर्ट पर विपक्ष ने उठाए सवाल, पैनल पर लगाए आरोप
कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा के एथिक्स पैनल ने TMC सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की है. पैनल ने 9 नवंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की, 6 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया. वहीं, 4 सदस्यों ने इसका विरोध जताया है. साथ ही विपक्ष के कई सासंदों ने भी इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया.


न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एथिक्स पैनल ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा पर अनैतिक आचरण में शामिल होने का आरोप लगाया. साथ ही उन पर अनधिकृत लोगों के साथ अपना लोकसभा लॉगिन ID और पासवर्ड साझा करने का आरोप भी लगाया.
समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने बताया,
निष्पक्ष जांच न होने का आरोप"महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों पर एथिक्स कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार की. ये 9 नवंबर की बैठक में तैयार की गई. समिति के 6 सदस्यों ने इसका समर्थन किया, जबकि 4 सदस्यों ने इस पर विरोध जताया. समिति की तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट 10 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी जाएगी. जो भी कार्रवाई होगी, लोकसभा अध्यक्ष ही करेंगे"
ANI ने सूत्रों के हवाले से ही बताया कि रिपोर्ट का विरोध करने वाले सदस्यों का दावा है कि ये जांच निष्पक्ष नहीं है. उन्होंने कहा कि समिति को हर तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने के लिए दर्शन हीरानंदानी को भी बुलाना चाहिए था. वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सदस्यों ने अपने असहमति नोट में कहा कि पैनल ने अपनी जांच में अनुचित जल्दबाजी की है.
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रिपोर्ट पर विरोध जताने वाले संसादों में बहुजन समाज पार्टी(BSP) के दानिश अली, कांग्रेस के वी. वैथीलिंगम और उत्तम कुमार रेड्डी, CPI(M) के पीआर नटराजन और JD(U) के गिरिधारी यादव शामिल हैं. BSP सासंद दानिश अली ने कहा,
रिपोर्ट को राजनैतिक प्रोपेगेंडा बताया"समिति के अध्यक्ष के आने के बाद बैठक 2.5 मिनट में खत्म हो गई. रिपोर्ट पर कोई चर्चा नहीं हुई. क्या ये काम करने का तरीका है? रिपोर्ट में बैठक के पहले दिन की कार्रवाई को शामिल ही नहीं किया गया. हम पहले दिन से ही समिति के काम करने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं. एक तरफ रमेश बिधूड़ी के संसद में लोकतंत्र को शर्मसार करने पर कोई बात नहीं हुई. दूसरी तरफ, एक उद्योगपति पर सवाल उठाने वाली सासंद पर तुरंत कार्रवाई हो रही है."
रिपोर्ट के अनुसार, कई विपक्षी नेताओं ने भी एथिक्स पैनल की रिपोर्ट को राजनैतिक प्रोपेगेंडा बताया है. उन्होंने कहा कि कैश फॉर क्वेरी मामले की जांच ‘कंगारू कोर्ट’ की तरह पहले से तय थी. विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. इससे एक खतरनाक मिसान पेश होगी.
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TMC नेता और पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने इस बारे में कहा,
"एथिक्स कमेटी की बैठक में रिपोर्ट पेश होनी थी. उस पर बहस होती, फिर मतदान होता. लेकिन रिपोर्ट पेश होने से पहले ही वो सार्वजनिक हो गई. अगर कोई जांच होनी है तो समिति की सिफारिश पर होनी चाहिए. ये सही नहीं है."
वहीं, कांग्रेस सांसद उत्तम कुमार ने इस बारे में कहा,
"ये BJP का प्रोपेगेंडा है. वे महुआ मोइत्रा पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने संसद के अंदर और बाहर लगातार अडानी पर सवाल किए. दूसरी बात NIC पोर्टल लॉगिन के बारे में कुछ भी साफ नहीं है. ये कोई राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा नहीं है. कौन अधिकृत है, कौन नहीं, ये साफ नहीं है. करीब 830 सांसद अपने PA या किसी और को सवाल वाली जिम्मेदारी दे देते हैं. हो सकता है कि वे कंम्प्यूटर पर ठीक तरह से काम न कर पाते हों."
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उत्तम कुमार ने आगे कहा कि संसदीय लोकतंत्र में एक सांसद को इस तरह निशाना बनाना ठीक नहीं है. इसके चलते हम एथिक्स पैनल के अंदर और बाहर दोनों जगह अपना पक्ष रख रहे हैं. पैनल के सभी विपक्षी सांसदों ने महसूस किया कि महुआ मोइत्रा से लगातार आपत्तिजनक और अभद्र सवाल पूछे जा रहे थे.
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