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ध्रुव राठी को हाई कोर्ट ने सुना दिया, नहीं माने तो यूट्यूब को ये आदेश दे दिया

ध्रुव राठी के वीडियो में क्या दिखा जो मामला कोर्ट पहुंचा?

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यूट्यूबर ध्रुव राठी (फोटो- Dhruv Rathee)

कलकत्ता हाई कोर्ट ने यूट्यूबर ध्रुव राठी (Dhruv Rathee) के एक वीडियो को हटाने का आदेश दिया है. यह आदेश यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मिला है. ध्रुव राठी ने पैकेज्ड जूस के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक वीडियो बनाया था. उस वीडियो में रियल फ्रूट जूस को भी दिखाया गया था. इसके खिलाफ रियल जूस बनाने वाली कंपनी डाबर कोर्ट पहुंच गई. कंपनी ने आरोप लगाया कि वीडियो में उसके प्रोडक्ट को बदनाम किया गया है. डाबर की याचिका पर हाई कोर्ट ने 15 मार्च को ध्रुव राठी से कहा था कि वो वीडियो से आपत्तिजनक हिस्से को हटा लें.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि 7 दिन के भीतर इस निर्देश का पालन करें. लेकिन इसके बावजूद वीडियो अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर मौजूद रहे. 24 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि ध्रुव राठी के चैनल पर वह वीडियो मौजूद था. 27 मार्च को जस्टिस रवि कृष्ण कपूर ने कहा, 15 मार्च को कोर्ट ने आदेश दिया था कि विवादित वीडियो में आपत्तिजनक हिस्से को हटाकर अपलोड किया जाए. लेकिन मुझे पता चला कि इस निर्देश का पालन अब तक नहीं हुआ है.

ध्रुव राठी ने कहा क्या था?

ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में पैकेज्ड जूस की तुलना कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स से की थी. जैसे पेप्सी, कोका कोला के सॉफ्ट ड्रिंक्स. राठी ने अपने व्यूअर्स को सलाह दी थी कि वे पैकेज्ड जूस का इस्तेमाल ना करें, इससे टाइप-2 डायबिटीज और बाल झड़ने जैसी समस्या होती है. ध्रुव राठी ने वीडियो में किसी कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने पैकेज्ड जूस की तस्वीरों को दिखाया था. राठी ने वीडियो में रियल जूस के डब्बे पर दिख रहे डाबर के लोगो (logo) को ब्लर कर दिया था.

इसी वीडियो पर डाबर ने आपत्ति जताई. डाबर ने दावा किया कि ध्रुव राठी ने वीडियो में कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स और पैकेज्ड जूस की “गलत तुलना” की. कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि वीडियो में डाबर के प्रोमोशनल एड की स्लाइड का इस्तेमाल किया गया.

15 मार्च को हाई कोर्ट ने कहा था कि वीडियो में रियल जूस के प्रोडक्ट को बार-बार टारगेट किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कह दिया कि राठी ने वीडियो पब्लिश कर ट्रेड मार्क कानून की धारा-29(9) और कॉपीराइट एक्ट, 1957 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. क्योंकि वीडियो में प्रोडक्ट की पैकेजिंग, लोगो का इस्तेमाल किया गया था.

इस मामले पर कोर्ट में 30 मार्च को एक बार फिर सुनवाई होगी. हालांकि ध्रुव राठी के चैनल पर वीडियो अब नहीं दिख रहा है.

इससे पहले सितंबर 2022 में भी भारत सरकार ने ध्रुव राठी के एक वीडियो हटाने के लिए यूट्यूब को निर्देश दिया था.

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