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कभी हीरो रहे BSF के इस जवान का अब हो रहा है कोर्ट मार्शल

ये वो शख्स है, जिस पर इंटरनेशनल चैनल ने फिल्म बनाई थी.

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फोटो - thelallantop

कैसा लगता होगा अर्श से फर्श पर आना. सम्मान की बुलंदियों पर पहुंचकर सबसे बड़ा अपमान सहना. खासकर जब आपका काम अपने देश की आन-बान-शान बचाना हो. BSF कमांडो अनुभव अत्रे ऐसे ही अहसास से गुज़र रहे हैं.

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BSF की 113 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेन्ट अनुभव अत्रे. वो नेशनल जियोग्राफी चैनल की एक डॉक्युमेंट्री का हिस्सा रह चुके हैं. एक नागरिक की हत्या के जुर्म में वो कोर्ट मार्शल का सामना कर रहे हैं. मामला 14 मई का है, जब अनुभव वेस्ट बंगाल के कृष्णगंज गांव की बानपुर चौकी में तैनात थे.

अत्रे और मेजर गोगोई के मामले अलग कैसे

कई अफसर अत्रे और मेजर गोगोई के मामलों की तुलना कर रहे हैं. आर्मी के 53 राष्ट्रीय रायफल्स ब्रांच के लेतुल गोगोई भी एक विवाद में फंसे थे. उन्होंने पत्थरबाजों से बचने के लिए कश्मीर में एक आदमी को अपनी जीप के आगे बांध लिया था. लेकिन बाद में उन्हें आर्मी चीफ का समर्थन मिल गया. सूत्रों की मानें तो अत्रे गलत समय पर गलत जगह पहुंच गए, इसलिए फंस गए.

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मेल टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अनुभव के करीबियों का कहना है कि 13 मई की रात BSF की इंटेलिजेंस ब्रांच से सूचना आई कि इंडो-बांग्ला बार्डर पर सोने की तस्करी होने वाली है. अनुभव सात लोगों की टीम के साथ वहां पहुंचे. उनके बयान के मुताबिक वहां 12-15 तस्कर थे, जो सोने के दो पैकेट के साथ भारतीय बाड़े की तरफ आ रहे थे.

इनमें से 10 के पास हथियार थे. 10 बजे के करीब BSF का एक कॉन्स्टेबल बिना किसी हथियार के उन्हें पकड़ने के लिए बढ़ा. अफसर का कहना है कि उसे लगा कि तस्कर बंगाली में बात कर रहे हैं और कह रहे हैं 'निये जाई' यानी कॉन्स्टेबल को बांग्लादेश सीमा में ले आओ.

दूसरा बोला, 'मार'. अफसर को लगा उसके साथी कॉन्सटेबल की जान खतरे में है. उसने सोचा वो जान न लेने वाला हथियार चलाए. उसने हवाई फायर किया.

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दूसरी बार उसने कमर पर निशाना साधा. निशाना उसी लड़के को लगा, जिसकी बाद में बांग्लादेश में मौत हो गई. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि BSF और बीजीबी (द बॉर्डर गार्डिंग फोर्स ऑफ बांग्लादेश) की पेट्रोल पार्टीज ने समझौता कर रखा है कि उनके पास जान न लेने वाले और जानलेवा दोनों तरह के हथियार रहेंगे. अनुभव का कहना है कि इसके बाद सभी तस्कर भाग गए और फिर अफसर को बताया गया कि उनसे 'सिविलियन डेथ' हो गई है.

दोनों तरफ की सेनाओं ने मीटिंग की. इसमें बीजीबी अफसर अनुभव की दलीलों से संतुष्ट हो गई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेशी मीडिया और लोगों की बातों ने अनुभव को बलि का बकरा बना दिया. कोर्ट ने कहा कि BSF जवान ने गलत प्लानिंग की. हालांकि, उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. इसके बाद अनुभव को सबूतों की रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया गया. बस यहीं उनसे गलती हो गई. यहां अनुभव फंस गए. इसी के बाद उनके कोर्ट मार्शल का आदेश आया.

2010 के सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स एग्जाम में चौथी रैंक पर आने वाले अत्रे के पास सीआईएसएफ जाने का मौका था, लेकिन उन्होंने बीएसएफ चुना. खूब वाहवाही बटोरी. 2015 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला.

BSF के पूर्व एडीजी संजीव सूद ने कहा,

'मेजर गोगोई को गलत समर्थन मिला, जबकि उन्होंने कानून तोड़ा था. लेकिन इस केस में अत्रे कानून के हिसाब से चले. अब उन्हें कोर्ट मार्शल से गुजरना होगा. इससे जवानों और अफसरों में गलत संदेश जाएगा.'

हालांकि, कुछ अफसरों का कहना है कि कोर्ट का कदम सही है. मरने वाले लड़के की पीठ पर काफी बड़ा ज़ख्म था. बांग्लादेश की तरफ से फोटो और पोस्टमार्टम भेजी गई हैं.


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