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सिर्फ आरक्षण पर जल उठा बांग्लादेश? पूर्व भारतीय राजदूत ने खोले खेल के असली पत्ते

इस पॉलिटिकल उथल-पुथल और देश में तीन हफ़्तों से चली आ रही हिंसा के केंद्र में है, देश का आरक्षण सिस्टम. प्रदर्शनकारी और छात्र इसमें सुधार की मांग कर रहे हैं. मगर अन्य एक्सपर्ट्स इसकी और वजहें भी गिनवाते हैं. वो वजहें, जो आरक्षण के सुधार के पीछे छिपाई जा रही हैं.

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बांग्लादेश में स्थिति अराजक है. (फ़ोटो - अलजज़ीरा)

बांग्लादेश की पूर्व-प्रधानमंत्री शेख़ हसीना भारत में हैं. दिल्ली से लगे हिंडन एयरबेस पर लैंड हुईं और भारत सरकार ने उन्हें सुरक्षा दे दी. उधर बांग्लादेश में सब अब आर्मी के नियंत्रण हैं, शांति-स्थिरता की अपीलें हैं और अंतरिम सरकार की तैयारी. इस पॉलिटिकल उथल-पुथल और देश में तीन हफ़्तों से चली आ रही हिंसा के केंद्र में है, देश का आरक्षण सिस्टम. प्रदर्शनकारी और छात्र इसमें सुधार की मांग कर रहे हैं. मगर अन्य एक्सपर्ट्स इसकी और वजहें भी गिनवाते हैं. वो वजहें, जो आरक्षण के सुधार के पीछे छिपाई जा रही हैं.

पड़ोसी मुल्क के राजनीतिक संकट पर पूर्व विदेश सचिव और बांग्लादेश में पूर्व राजदूत हर्षवर्धन श्रंगला का कहना है कि इसके पीछे कई आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं. वो कहते हैं,

"मैं मीडिया के साथ अपनी कई बातचीत में कहता रहा हूं कि इसके पीछे कुछ अंतर्निहित कारण हैं. ऊपर से आपको ये कोटा का मुद्दा लग सकता है, जिसे छात्रों ने आगे रखा है. लेकिन इसके पीछे और भी कारक हैं. 

कोविड-19 ने पूरी दुनिया की तरह ही बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है. इसके अलावा यूक्रेन जंग की वजह से ज़रूरी वस्तुओं की क़ीमत में उछाल आया है... बैलेंस ऑफ़ पेमेंट्स के लिहाज़ से उनके लिए बहुत मुश्किल समय है. महंगाई 17-20% तक बढ़ गई है. ऐसी स्थिति आ ही गई थी कि लोग सड़कों पर उतरें."

बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर जो विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, उनमें शामिल छात्रों का कहना था कि मौजूदा सिस्टम प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के वफ़ादारों को फ़ायदा पहुंचाता है. जैसे-जैसे प्रदर्शन बढ़ा, और मुद्दे भी जुड़ते गए. सरकार के ख़िलाफ़ असंतोष, भ्रष्टाचार, विरोध दबाने का आरोप.

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आर्थिक वजहों के अलावा हर्ष श्रंगला कुछ राजनीतिक स्वार्थ और अवसरवाद से जुड़ी वजहें भी गिनवाते हैं. उनका निशाना विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी पर निशाना है. वो कहते हैं,

“चाहे BNP हो या बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी... वो विरोध में शामिल हुए और उन्होंने विरोध में हिंसा की है. आप विदेशी ताक़तों की भागीदारी से इनकार नहीं कर सकते, जो बांग्लादेश के हितों और यहां तक कि हमारी सुरक्षा के लिए भी ख़तरनाक़ हैं. आप इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि कुछ लोग इस संकट में भी अपनी रोटी सेक रहे हैं.”

पूर्व भारतीय राजनयिक के दावे कितने सही साबित होंगे, ये आने वाले दिनों में देखना होगा. फिलहाल शेख हसीना हिंडन पहुंच चुकी हैं. उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात हुई है. कहा जा रहा है कि वो स्थायी रूप से भारत में नहीं आई हैं, कुछ समय बाद लंदन जा सकती हैं.

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