The Lallantop

'ट्रेनिंग के दौरान एक दूसरे का रेप करने के लिए करते थे मजबूर'

ऑस्‍ट्रेलियन नेवी कैडेट्स ने अपनी आपबीती बताई. कहा रात को उठा ले जाते थे. रेप करते थे. प्राइवेट पार्ट्स पर शू पॉलिश लगाने को कहते थे.

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फोटो - thelallantop
ऑस्‍ट्रेलिया के नेवी कैडेट्स ने आरोप लगाया है कि ट्रेनिंग के दौरान उनका यौन शोषण किया जाता था. अब इसकी सुनवाई चल रही है. मंगलवार से शुरू हो चुकी है. इस दौरान कमीशन के सामने कैडेट्स ने कहा कि उन्‍हें ट्रेनिंग के दौरान एक-दूसरे का रेप करने के लिए मजबूर किया जाता था. ट्रेनिंग की शुरुआत में प्राइवेट पार्ट्स पर जूतों वाली पॉलिश लगाने को कहा जाता था. इसे वहां ‘ब्‍लैकबॉलिंग’ कहते थे. और तो और उनके सिरों को कमोड में डालकर फ्लश चलाया जाता था. वे इसे ‘रॉयल फ्लश’ कहते थे. इसे बताते थे मर्द बनने का तरीका कैडेट्स का कहना है, ऐसे बर्ताव करके ये लोग इसे ‘मर्द बनने का तरीका’ बताते थे. और कहते थे जिन्दगी का यही समय तो तुम्हें याद रहेगा. बीच रात उठा ले जाते थे और करते थे रेप कैडेट ने बताया, कई मौकों पर बड़े अफसर मुझे बीच रात को बिस्‍तर से खींच ले जाते थे. उसे दूसरे जूनियर रिक्रूट के साथ ओरल सेक्स करने को मजबूर किया गया. कुछ अन्‍य मौकों पर मुझे जूनियर रिक्रूट्स के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए कहा गया. कुछ कैडेट्स ने मेरा रेप किया, क्‍योंकि पुराने कैडेट्स या बेस स्‍टाफ ने ऐसा करने का आदेश दिया था. बेहोश होने तक मारा जाता था ग्रैमी फ्रेजर नेवी का ऐसा ही एक कैडेट है. उसने 16 साल की उम्र में नेवी ज्वाइन की थी. वो बताता है कि उसे पूरे कॉरिडोर का चक्कर लगवाया जाता था. और उस वक़्त दूसरे कैडेट उस पर जूते, लोहे के सामान से भरे बैग और दूसरी भारी चीजें फेंका करते थे. तब तक उसे ऐसा कराया जाता था जब तक वो बेहोश होकर गिर नहीं पड़ता था. किशोरी को आत्‍महत्‍या के लिए किया गया मजबूर ऑस्‍ट्रेलियाई रॉयल कमीशन में एक लड़की की मौत की सुनवाई भी चल रही है. जिसके इंस्‍ट्रक्‍टर पर लड़की के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था. 15 साल की इस लड़की का नाम इलेनोर टिब्‍ब्‍ल था. आरोप है कि उसे धमकाया जा रहा था. जिससे परेशान हो उसने आत्‍महत्‍या कर ली. 2012 से मिल चुकी हैं 24 हजार शिकायतें बता दें कि रॉयल कमीशन 2012 में बना था, तबसे करीब 24 हजार शिकायतें मिल चुकी हैं. कमीशन में 111 लोगों ने दावा किया है कि उन्‍हें ऑस्‍ट्रेलियन डिफेंस फोर्स में शारीरिक और मानसिक शोषण से गुजरना पड़ा. कमीशन ने डिफेंस के अलावा धार्मिक संस्‍थानों, स्‍कूलों, चिल्‍ड्रेन होम, स्‍पोर्ट्स अकादमी और यहां तक चैरिटी संस्‍थानों में भी इस तरह की भयावह वारदात से जुड़े अनुभव सुने. चूंकि अधिकतर कैडेट्स किशोर हैं, इसलिए इनमें से अधिकतर मामले बाल शोषण के हैं.

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