राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. सूबे में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा रही है. अशोक गहलोत पूरा ज़ोर लगाकर इस चलन को पलटना चाहते हैं. इसीलिए एक के बाद एक ऐलान कर रहे हैं. बीते दिनों उन्होंने बिजली की दरों को कम कर दिया. महंगाई राहत कैंप चला ही रहे हैं. अब गहलोत ने एक और पासा फेंका है - लंपी वायरस पीड़ित किसानों को आर्थिक मदद. इसपर राज्य सरकार ने 175 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और 41 हज़ार से अधिक किसानों को 40-40 हज़ार रुपए ट्रांसफर किए हैं.
175 करोड़ खर्च कर अशोक गहलोत ने राजस्थान चुनाव से पहले बड़ा गेम कर दिया!
लंपी वायरस संकट के वक्त राजस्थान के किसान बड़े स्तर पर प्रभावित हुए थे. गहलोत ने इन्हीं लोगों को ध्यान में रखते हुए दांव चला है.
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शुक्रवार, 16 जून को अशोक गहलोत ने ट्वीट कर लिखा,
"सिर्फ 1 बटन दबाया, 41 हजार + पशुपालकों ने मुआवजा पाया"
इसका चुनाव से क्या लेना देना?
बीते साल लम्पी वायरस के चलते राजस्थान में पशु पालकों को बहुत नुकसान हुआ था. गरीब परिवारों के लिए दुधारु पशुओं की मौत एक बहुत बड़ा नुकसान होता है. और इस संकट के वक्त गहलोत सरकार पर भी सवाल उठे थे. सो गहलोत ने उन किसानों को मुआवज़ा दे दिया, जिनके पशु लंपी वायरस के चलते मारे गए. राजस्थान सरकार से 16 जून को मिली जानकारी के मुताबिक अब तक इस योजना में 41 हजार से ज्यादा पशुपालकों को 175 करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद दी गई है.
क्या है लम्पी वायरस?
राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लम्पी वायरस का प्रकोप रहा है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक पशुओं को होने वाली ये बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु से होती है. यह बीमारी गोवंशीय एंव महिषवंशीय पशुओं में पायी जाती है. ये रोग मक्खी, चिचडी एंव मच्छरों के काटने से फैलता है. इस बीमारी से संक्रमित पशुओं को हल्का बुखार हो जाता है. पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल/गांठे उभर आती है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत होती है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2022 में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लम्पी वायरस के कारण 60 हजार से ज्यादा गायों की मौत हुई थी.
पशुओं का बीमा भी होगा
लंपी वायरस से जिनका नुकसान हुआ, उन्हें मदद मिल चुकी है. इससे इतर गहलोत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते वक्त कामधेनु बीमा योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत राज्य सरकार प्रति दो दुधारू पशु पर 80 हजार रुपए का बीमा कवर देती है. यानी अगर एक गाय की मौत होती है, तो पशुपालक को 40 हजार रुपये दिए जाएंगे. बजट में इस योजना के लिए 750 करोड़ का प्रावधान किया गया था. आर्थिक सहायता राशि सीधे पशुपालक के बैंक खाते में भेजी जाएगी.
इस मुआवजे के लिए आवेदन करने वाला राजस्थान का मूल निवासी और 18 साल की उम्र से ज्यादा का होना चाहिए. इस योजना का लाभ सिर्फ किसान या पशुपालक ही उठा पाएंगे. 8 लाख तक की आय वाले पशुपालकों के लिए पूरा प्रीमियम राज्य सरकार भरेगी और बाकियों को 200 रुपए सालाना प्रीमियम पर बीमा मिलेगा.
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