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अब शुरू होगा सबसे बड़ा ट्रेड वॉर? चीन का एक फैसला और ट्रंप ने कर दिया 100% टैरिफ का ऐलान

America-China Trade War: डॉनल्ड ट्रंप के इस कदम का असर तकनीकी उत्पादों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक के सेक्टरों पर पड़ेगा. ये सेक्टर पहले से ही टैरिफ की मार झेल रहे हैं. इस कदम से इन सेक्टरों पर दोहरा असर पड़ेगा. पर ये सब अब अमेरिका-चीन के बीच क्यों शुरू हुआ है?

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ट्रंप (बाएं) ने और शी जिनपिंग (दाएं) के साथ मीटिंग कैंसिल करने की धमकी भी दी है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

America के राष्ट्रपति Donald Trump ने चीन के खिलाफ नई Tariff दरों का ऐलान किया है. उन्होंने चीन के सभी सामानों पर 100% टैरिफ लगाने की बात कही है. यह फैसला 1 नवंबर से लागू होगा. दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर (America-China Trade War) को लेकर पहले से ही काफी तनाव है. अब ट्रंप के इस कदम से एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है. सोशल मीडिया पर लिखे एक पोस्ट में डॉनल्ड ट्रंप ने इस कदम के पीछे की वजह भी बताई है.

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ईंट का जवाब पत्थर से

ट्रंप का कहना है कि चीन ने व्यापार के मामले में बेहद आक्रामक रुख अपनाया है और अमेरिका उसे ईंट का जवाब पत्थर से देगा. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा,  

“1 नवंबर 2025 से या उससे पहले अमेरिका चीन पर 100% टैरिफ लगाएगा. यह वर्तमान में उनके द्वारा चुकाए जा रहे किसी भी टैरिफ के अतिरिक्त होगा. यह कदम चीन द्वारा की गई किसी भी आगे की कार्रवाई पर निर्भर करेगा.” 

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Trump Truth Social
ट्रंप का पोस्ट. 
US ने चीन पर क्यों लगाया 100% टैरिफ?

डॉनल्ड ट्रंप ने इस कदम के पीछे कुछ रिपोर्ट्स का हवाला दिया है. ट्रंप के मुताबिक, इन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन अपने लगभग हर प्रोडक्ट पर व्यापक निर्यात प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है. ट्रंप का कहना है कि यह गलत है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 

“अभी-अभी पता चला है कि चीन ने व्यापार के मामले में बेहद आक्रामक रुख अपनाते हुए दुनिया को एक बेहद आक्रामक पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि वह 1 नवंबर 2025 से अपने लगभग हर प्रोडक्ट पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लागू करेगा. यह सभी देशों को प्रभावित करेगा. चीन ने बहुत पहले ही इसकी प्लानिंग कर ली थी. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इस तरह का व्यवहार एक नैतिक अपमान है.”

सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल

इसके जवाब में ट्रंप ने अमेरिका द्वारा बनाए गए अहम और बेहद जरूरी सॉफ्टवेयर पर सख्त एक्सपोर्ट कंट्रोल भी लागू करने का फैसला लिया है. यानी अमेरिकी सॉफ्टवेयर्स को एक्सपोर्ट करना अब आसान नहीं होगा. इन्हें आयात करने के लिए अमेरिकी शर्तों का पालन करना होगा.

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अपने पोस्ट के आखिर में ट्रंप ने चीन पर तंज करते हुए लिखा कि यह मान लेना असंभव है कि चीन ने ऐसा कोई कदम उठाया होगा. लेकिन उन्होंने उठाया है और बाकी सब इतिहास है.

क्या होगा असर?

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ट्रंप का यह कदम लागू होता है तो इसका असर तकनीकी उत्पादों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक के सेक्टरों पर पड़ेगा. ये सेक्टर पहले से ही टैरिफ की मार झेल रहे हैं. इस कदम से इन सेक्टरों पर दोहरा असर पड़ेगा. इससे अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. यह ट्रंप के पहले कार्यकाल में शुरू हुए व्यापार युद्धों से भी ज्यादा बड़ा हो सकता है.

ट्रंप-जिनपिंग की मीटिंग पर खतरा

डॉनल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर चीन के इस कदम को लेकर कोई और बदलाव नहीं हुआ तो वह शी जिनपिंग से जल्द होने वाली मुलाकात को कैंसिल भी कर सकते हैं. इससे पहले एक पोस्ट में ट्रंप ने लिखा था कि चीन की इस तरह की हरकतों को देखते हुए, उनका इस बैठक को कैंसिल करना सही होगा.

यह घोषणा उस वक्त आई है जब चीन ने अपने रेयर अर्थ मेटेरियल पर एक्सपोर्ट कंट्रोल सख्त करने का फैसला लिया है. इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तकनीकी उत्पादों में किया जाता है. चीन इनका बड़ा सप्लायर है.

क्या और क्यों होता है एक्सपोर्ट कंट्रोल?

एक्सपोर्ट कंट्रोल का मतलब है जब किसी देश की सरकार दूसरे देशों को कुछ सामान देने पर रोक लगा दे या एक्सपोर्ट को लेकर कड़े नियम बना दे. यह सामान कुछ भी हो सकता है. जैसे अमेरिका ने सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल करने की बात कही है, जबकि चीन ने रेयर अर्थ मेटेरियल पर. रही बात ऐसा क्यों किया जाता है तो सरकार ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उनके देश की कंपनियों को इसका फायदा हो सके. कई बार इसका इस्तेमाल किसी देश पर राजनीतिक या व्यापारिक दबाव डालने के लिए भी किया जाता है.

वीडियो: डॉनल्ड ट्रम्प ने अब ट्रकों पर भी टैरिफ लगा दिया है; 1 नवंबर से लागू करने का ऐलान

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