अमेरिका पाकिस्तान को हवा से हवा में मार करने वाली AIM-120 मिसाइलें नहीं बेच रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से फोन पर बात करने के एक दिन बाद अमेरिका ने ये साफ किया है. मीडिया में ऐसी खबरें चल रही थीं कि अमेरिका पाकिस्तान को उसके F-16 विमानों के लिए AIM-120 एडवांस मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल्स (AMRAAM) बेच रहा है और अमेरिका के ‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर’ ने इसकी पुष्टि की है. लेकिन शुक्रवार, 10 अक्टूबर को अमेरिकी दूतावास ने इन खबरों को खारिज कर दिया. ये वही मिसाइलें हैं, जिन्हें भारत के बालाकोट एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया था.
PM मोदी ने कल की ट्रंप से बात, आज अमेरिका बोला- ये मिसाइल पाकिस्तान को नहीं देंगे
अमेरिका पाकिस्तान को कोई AIM-120 मिसाइल नहीं बेच रहा है. मीडिया में पिछले दिनों चली ऐसी रिपोर्ट को अमेरिकी दूतावास ने खारिज कर दिया है. ये सब पीएम मोदी के डॉनल्ड ट्रंप से फोन पर बात के एक दिन बाद हुआ है.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दूतावास ने पाकिस्तान को मिसाइलें देने की खबरों को ‘झूठा’ बताते हुए कहा कि जिस कॉन्ट्रैक्ट की बात की जा रही है उसमें कहीं भी नई AMRAAM मिसाइलों की सप्लाई की बात नहीं है. लेकिन दूतावास ने यह भी कहा कि यह अनुबंध पाकिस्तान समेत कुछ देशों के लिए पुरानी मिसाइलों की मरम्मत और उनके पुर्जे देने से जुड़ा है. इसका मतलब ये है कि पाकिस्तान को उन मिसाइलों की जगह नई सप्लाई मिल सकती है, जो उसने हाल ही में इस्तेमाल की हों. उसे नई आधुनिक और ज्यादा एडवांस मिसाइलें नहीं मिलने वाली हैं.
अमेरिका का ये स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद रिश्ते ठीक नहीं हैं. वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और जनरल आसिम मुनीर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ गलबहियां कर रहे हैं.
कई दिनों से मीडिया में ऐसी खबरें चल रही थीं कि पाकिस्तान को अमेरिका से नई मिसाइलें मिलने वाली हैं. ये AIM-120 AMRAAM मिसाइलें पाकिस्तान के F-16 विमान को और मजबूत करेंगी. रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी 'डिपार्टमेंट ऑफ वॉर' ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एक ‘मोडिफाइड कॉन्ट्रैक्ट’ के बारे में बताया है, जिसमें रक्षा कंपनी रेथियॉन (Raytheon) की बनाई मिसाइल के खरीदारों में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नोटिफिकेशन में अमेरिकी रक्षा विभाग ने बताया था कि कंपनी को AMRAAM के C8 और D3 वेरिएंट्स के प्रोडक्शन वाले कॉन्ट्रैक्ट (FA8675-23-C-0037) में अतिरिक्त 41.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 3 अरब रुपये मिले हैं. इससे कॉन्ट्रैक्ट की कुल कीमत 2.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 22 अरब रुपये से ज्यादा हो गई है.
यह नोटिफिकेशन देखने के बाद ही पाकिस्तान को अमेरिका से नई मिसाइलें मिलने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया. कहा गया कि इससे दक्षिण एशिया क्षेत्र में हवाई ताकत का संतुलन बदल सकता है और ये सौदा अमेरिका और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ती ‘पींगों’ का नतीजा है, जिसका पाकिस्तान को ईनाम मिल रहा है.
अब अमेरिकी दूतावास का बयान इन सभी दावों का सीधा जवाब माना जा रहा है. दूतावास ने साफ कहा कि यह अनुबंध सिर्फ मौजूदा सिस्टम के रखरखाव और सपोर्ट के लिए है. न कि उन्हें और मजबूत या आधुनिक बनाने के लिए. इससे यह भी साबित होता है कि वॉशिंगटन इस बात को लेकर सतर्क है कि कहीं ऐसा न लगे कि वह दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन बिगाड़ रहा है.
अमेरिकी रक्षा विभाग ने 41.7 मिलियन डॉलर यानी करीब 350 करोड़ रुपये का यह संशोधित अनुबंध ‘रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस कंपनी’ को दिया है, ताकि AIM-120 मिसाइलों के C-8 और D-3 वेरिएंट्स का प्रोडक्शन जारी रह सके. इसके साथ इस पूरे अनुबंध की कुल कीमत अब लगभग 2.5 अरब डॉलर हो गई है. इस अनुबंध में पाकिस्तान को शामिल किया गया है, लेकिन यह 30 से ज्यादा सहयोगी देशों को लेकर चल रहे एक बड़े विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम (Foreign Military Sales Program) का हिस्सा है.
अमेरिकी दूतावास ने यह भी दोहराया कि यह कोई नई बिक्री नहीं है और न ही इससे पाकिस्तान की हवाई लड़ाकू क्षमता में कोई बढ़ोतरी होगी. ऐसे अनुबंध अमेरिका के डिफेंस सिस्टम में सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, जिनमें अलग-अलग देशों के लिए अपडेट, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव शामिल होता है.
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