The Lallantop

तेहरान में है ईरान का न्यूक्लियर बेस, फिर अमेरिका ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर ही क्यों बरसाए बम?

America ने Fordow, Natanz और Isfahan पर ऐसे वक्त पर हमला किया, जब Israel और Iran के बीच पहले से तनाव चल रहा था. इजरायल पहले ही ईरान की Nuclear Sites पर हमले कर चुका था.

Advertisement
post-main-image
अमेरिका ने B-2 बॉम्बर प्लेन से ईरान की न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया. (AP)

ईरान में कई न्यूक्लियर साइट्स हैं. यहां तक कि राजधानी तेहरान में भी न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर है. लेकिन अमेरिका ने अपने हमले में केवल तीन ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया- फोर्डो, नतांज और इस्फहान. दरअसल, ये तीनों न्यूक्लियर साइट्स ईरान के परमाणु कार्यक्रम के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिनमें से कई बंकरों और अंडरग्राउंड फैसिलिटी के साथ बनाए गए हैं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

ईरान को हमेशा से इनपर हमले का खतरा रहा है. इसलिए उसने इन्हें काफी सुरक्षित बनाया ताकि इन्हें हवाई हमलों से बचाया जा सके. लेकिन अमेरिकी हमला ऐसे वक्त में हुआ, जब इजरायल और ईरान के बीच पहले से ही तनाव बढ़ चुका था. इजरायल पहले ही ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर चुका था, लेकिन फोर्डो उसकी हद से दूर था.

इजरायल फोर्डो न्यूक्लियर साइट को तबाह नहीं कर सकता था, क्योंकि उसके पास इतनी क्षमता नहीं है. इसलिए उसने इसे ध्वस्त करने के लिए अमेरिका से गुहार लगाई. रविवार, 22 जून की सुबह अमेरिका ने फोर्डो समेत नतांज और इस्फहान परमाणु केंद्रों पर एयर स्ट्राइक की.

Advertisement

अमेरिका ने इसलिए हमले क्योंकि इन ठिकानों पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम की ऐसी कथित गतिविधियां चल रही थीं, जिन्हें अमेरिका और उसके सहयोगी देशों खतरे के तौर पर देखते हैं.

नतांज परमाणु केंद्र (Natanz Enrichment Facility)

ईरान की नतांज न्यूक्लियर फैसलिटी तेहरान से लगभग 220 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है. यह साइट ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन ठिकाना है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर यूरेनियम को 60 फीसदी तक शुद्धता से संवर्धित किया गया है, जो परमाणु हथियारों के लिए एक छोटा सा कदम है. इजरायल यहां पहले ही एयर स्ट्राइक कर चुका है.

Advertisement

नतांज में एक अंडरग्राउंड ठिकाना भी है जो हवाई हमलों से बचने के लिए बनाया गया है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का कहना है कि इजरायल के हमलों ने इस साइट पर काम कर रहे सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) को तबाह कर दिया, जिससे यूरेनियम संवर्धन में रुकावट आई.

फोर्डो परमाणु केंद्र (Fordow Enrichment Facility)

फोर्डो न्यूक्लियर साइट तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है. यह जगह भी यूरेनियम संवर्धन का एक अहम केंद्र है. ये न्यूक्लियर पहाड़ों के नीचे स्थित है और इसे बंकर बस्टर बम से ही नष्ट किया जा सकता है, जो केवल अमेरिका कर सकता है. इसकी सुरक्षा को देखते हुए इसे हवाई हमलों से बचने के लिए डिजाइन किया गया है.

Fordow Natanz Isfahan
फोर्डो, नतांज और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हमलों में इस्तेमाल किए गए हथियारों के बारे में नहीं बताया है. इसलिए माना जा रहा है कि अमेरिका के B-2 बॉम्बर प्लेन से ही फोर्डो को निशाना बनाया गया होगा, क्योंकि फोर्डो का मेन प्लांट करीब 90 मीटर की गहराई में है.

इस्फहान न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी सेंटर (Isfahan Nuclear Technology Center)

इस्फहान परमाणु केंद्र तेहरान से लगभग 350 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्फहान न्यूक्लियर साइट को 1984 में चीन की मदद से बनाया गया है. ये इस्फहान यूनिवर्सिटी के अंदर ईरान का सबसे बड़ा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर है. यहां 3,000 से ज्यादा परमाणु वैज्ञानिक काम करते हैं. यह देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े तीन चाइनीज रिसर्च रिएक्टर्स और लैबोरेटरी का भी घर है.

ईरान के अन्य परमाणु केंद्र

बुशहर न्यूक्लियर पावर प्लांट (Bushehr Nuclear Power Plant): ईरान का एकमात्र कमर्शियल न्यूक्लियर पावर प्लांट है, जो फारस की खाड़ी में स्थित है. इस प्लांट में ईरान नहीं, बल्कि रूस में बने यूरेनियम का इस्तेमाल होता है, जिसकी निगरानी IAEA करती है.

अराक हैवी वॉटर रिएक्टर (Arak Heavy Water Reactor): यह रिएक्टर न्यूक्लियर रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करता है, जिससे बायप्रोडक्ट के तौर पर प्लूटोनियम पैदा होता है. प्लूटोनियम का ही संभावित इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है.

तेहरान रिसर्च रिएक्टर (Tehran Research Reactor): यह रिएक्टर न्यूक्लियर रिसर्च के लिए है और ईरान की परमाणु एजेंसी का हेडक्वार्टर भी है. पहले ये रिएक्टर उच्च-समृद्ध यूरेनियम का इस्तेमाल करता था, लेकिन बाद में इसे कम समृद्ध यूरेनियम से रेट्रोफिट किया गया.

वीडियो: क्या है 'क्लस्टर बम? ईरान ने इसी बम से इजरायल में तबाही मचाई है

Advertisement