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सपा में उठापटक: अखिलेश यादव के चीफ़ व्हिप का इस्तीफ़ा, 'व्हिप' के विपरीत राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग

अखिलेश ने राज्यसभा से संबंधित मीटिंग बुलाई थी. उसमें मनोज पांडे नहीं आए. उनके अलावा सात और विधायक नहीं आए. अब सपा विधायकों के क्रॉस वोटिंग की ख़बर आ रही है.

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अखिलेश यादव को बस मनोज कुमार पांडे भर झटका नहीं लगा है. (तस्वीर - आजतक)

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान (Rajya Sabha Elections) चल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के आठ और समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवार मैदान में हैं. इस संबंध में पार्टियां अपनी रणनीति मज़बूत करने में जुटी हुई हैं. इसी क्रम में 26 फ़रवरी की शाम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने विधायकों की मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में अखिलेश के क़रीबी बताए जाने वाले विधायक मनोज कुमार पांडे (Manoj Kumar Pandey) नहीं आए. फिर ख़बर आई, कि उन्होंने चीफ़ व्हिप के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

मनोज पांडे रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा से विधायक हैं. अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री भी रहे हैं. मंगलवार, 27 फ़रवरी की सुबह उन्होंने सपा प्रमुख को चिट्ठी लिखी:

आपने मुझे उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया था. मैं इस पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूं. कृपया मेरा इस्तीफा स्वीकार करें.

इस्तीफा मंज़ूर कर लिया गया और मुख्य सचेतक दफ़्तर के बाहर से उनकी नेमप्लेट हटा दी गई है.

योगी से फ़ोन पर बात हुई?

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़ एजेंसी PTI को बताया कि 26 फ़रवरी को अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया से संबंधित मीटिंग बुलाई थी. और केवल मनोज पांडे ही इकलौते विधायक नहीं थे, जो नहीं आए. उनके अलावा सात और सपा विधायक - मुकेश वर्मा, महराजी प्रजापति, पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह - भी बैठक में शामिल नहीं हुए थे.

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ये इस्तीफ़ा पार्टी और पार्टी अध्यक्ष के लिए बड़ा झटका है. इस्तीफ़े के बाद भाजपा के सुर भी बदल गए हैं. यूपी के मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा,

मनोज पांडे हमेशा से सनातन धर्म के समर्थक रहे हैं. हमेशा बयान देते रहे हैं. वो चाहते थे कि सभी लोग अयोध्या आएं और दर्शन करें. यही वजह है कि वो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्वास दिखा रहे हैं और ऐसा निर्णय ले रहे हैं.

इस्तीफ़े के बाद से सूत्र नई-नई बातें खोज रहे हैं. ABP ने सूत्रों के हवाले से छापा है कि इस्तीफ़े के बाद भाजपा विधायक दया शंकर सिंह मनोज पांडे के घर पहुंचे. मंशा ये कि उन्हें अपने साथ वोट डालने ले जाएं. कथित तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ़ोन किया और मनोज पांडे से फ़ोन पर बात भी कराई.

कहा जा रहा है कि आज की वोटिंग में पूर्व-चीफ़ व्हिप 'व्हिप' के व्हिपरीत जा सकते हैं.

किसकी सीट फंस रही है?

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा सीटें हैं, 10. भाजपा की तरफ़ से आठ दावेदार और सपा की तरफ़ से तीन. बड़े आराम से भाजपा सात और सपा तीन सांसद मैदान में उतारती, कोई मुक़ाबला नहीं होता. मगर भाजपा ने आठवां कैंडिडेट उतार दिया – संजय सेठ. वहीं से ‘नो मुक़ाबला’ बन गया ‘कड़ा मुक़ाबला’.

इंडिया टुडे के अभिषेक मिश्रा के इनपुट के मुताबिक़, SP के 10 विधायक आठवीं सीट के लिए बीजेपी के संपर्क में हैं, और पार्टी के लिए क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने तो भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग कर भी दी और वोट करते ही ‘जय श्री राम’ का नारा भी लगाया.

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दी लल्लनटॉप ने सूबे की राजनीति कवर करने वाले पत्रकारों से बात की. उनका आकलन है कि संजय सेठ चुनाव जीत रहे हैं और इसका ख़ामियाज़ा उठाना होगा सपा के आलोक रंजन को. सपा के लिए आलोक रंजन तीसरा नाम इसलिए हैं कि पार्टी की पहली और दूसरी प्राथमिकता जया बच्चन और रामजीलाल सुमन हैं. जया बच्चन का नाम हाईलाइडेट है, पार्टी ने शुरू से अपनी मंशा ज़ाहिर रखी थी. रामजीलाल सुमन दलित नेता हैं, अपने इलाक़े पर पकड़ रखते हैं और अखिलेश यादव के P-D-A फ़ॉर्मूले (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को साध रहे हैं.

राज्यसभा की 56 सीटों में से 41 सीटें पहले ही निर्विरोध चुनी जा चुकी हैं. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की बची हुई 15 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान मंगलवार, 27 फ़रवरी को शुरू हो गए हैं. शाम 4 बजे तक निपट जाएंगे, और गिनती शाम 5 बजे शुरू हो जाएगी.