गोल्डन टेंपल यानी स्वर्ण मंदिर एक बार फिर विवादों को लेकर खबरों में हैं. स्वर्ण मंदिर के केंद्रीय सिख म्यूज़ियम में दिलावर सिंह की तस्वीर लगाई गई है. दिलावर सिंह वो शख्स है जिसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी. दिलावर की तस्वीर कल, 14 जून को म्यूज़ियम में लगाई गई. इसके अलावा ज्ञानी भगवान सिंह की फोटो भी लगाई गई है. भगवान सिंह अकाल तख्त के सबसे बड़े पुजारी रहे थे.
स्वर्ण मंदिर के इस कमरे में लगी है खालिस्तान के भिंडरावाले की फ़ोटो, जानिए कहानी
और किन-किन लोगों की फ़ोटो रखी है इस म्यूजियम में?

दिलावर सिंह पंजाब पुलिस के उन तीन कांस्टेबलों में शामिल थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या को अंजाम दिया था. 31 अगस्त, 1995 को दिलावर सिंह ने अपने कमर पर एक बेल्ट बांधी जिसमें विस्फोटक लगे हुए थे. उसके बाद पंजाब सिविल सचिवालय के अंदर उसने खुद को उड़ा दिया जिसमें मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की भी मौत हो गई.
म्यूज़ियम में इन तस्वीरों का अनावरण SGPC के प्रेसिडेंट हरजिंदर सिंह ने किया. SGPC यानी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी जो कि धार्मिक तौर पर सिखों की सर्वोच्च कमेटी है. उन्होंने दिलावर सिंह को शहीद बताया. दी इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कीर्तन और अरदास के बाद हरजिंदर सिंह ने कहा,
दिलावर सिंह और ज्ञानी भगवान सिंह की सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी फोटो सिख संग्रहालय में लगाई गई हैं. शहीद भाई दिलावर सिंह ने उस समय सिखों के खिलाफ किए गए अत्याचारों और मानवाधिकार के घोर उल्लंघनों को समाप्त कर दिया था. गुरु के आशीर्वाद के बिना आत्म बलिदान का निर्णय संभव नहीं है और जब भी समुदाय पर अत्याचार किए गए, सिखों ने हमेशा बलिदान देकर इतिहास बनाया है.
इसके अलावा ग्रंथी प्रमुख ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा,
जो भी धर्म के लिए बलिदान देगा और धर्म का प्रचार करने में अहम भूमिका निभाएगा उसे हमेशा याद किया जाएगा. और इसीलिए उनको सम्मान देने के लिए उनकी फोटो म्यूज़ियम में लगाई जाती हैं.
आजतक के अमित शर्मा की खबर के मुताबिक दिलावर सिंह को अकाल तख्त ने साल 2012 में शहीद का दर्जा दिया था.
स्वर्ण मंदिर के म्यूज़ियम में है भिंडरावाले की तस्वीरसेंट्रल सिख म्यूज़ियम की स्थापना साल 1958 में हुई थी. इसका उद्देश्य सिखों के इतिहास को सामने लाना था. म्यूज़ियम की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक संग्रहालय में सिख गुरुओं, संतों, सिख योद्धाओं और प्रमुख सिख नेताओं के फोटो लगाए गए हैं, जिन्होंने सिख धर्म को बढ़ाने में योगदान दिया है. इसमें सिक्कों, पुराने हथियारों और प्राचीन पांडुलिपियों का संग्रह है. संग्रहालय में लाइब्रेरी भी है. संग्रहालय में महान सिख कलाकारों की पेंटिंग, दुर्लभ पेंसिल स्केच, संगीत वाद्ययंत्र, दुर्लभ तार वाले वाद्य यंत्र और बंदूकें हैं.
हालांकि यहां लगी कुछ तस्वीरों को लेकर कई दफा विवाद हुआ है. आजतक से जुड़े अमित शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, नंवबर 2007 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की फोटो भी इस म्यूज़ियम में लगाई गई. भिडरावाले को साल 2003 में अकाल तख्त ने शहीद का दर्जा दिया था.
भिंडरावाले को पंजाब के आतंकवाद और खालिस्तान की मांग को बढ़ावा देने का जिम्मेदार माना जाता है. 80 के दशक में अलग सिख राज्य की मांग उग्र रूप ले चुकी थी. पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था. सरकार और अलगवादियों के बीच संघर्ष चल रहा था. जनरैल सिंह भिंडरावाले अपने हथियारबंद साथियों के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कब्जा कर लिया था. इसके बाद 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपरेशन ब्लू स्टार की मंजूरी दी. स्वर्ण मंदिर को खाली कराने के लिए सेना को लगाना पड़ा. सेना ने वहां 3 से 6 जून 1984 तक ऑपरेशन चलाया. 7 जून को भिंडरावाले की लाश बरामद हुई.
इसके अलावा इस म्यूज़ियम में सेना के वॉर हीरोज़ की तस्वीरें भी लगाई गईं. दी इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक एक नंवबर 2017 को लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोरा और मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह की तस्वीरें भी सेंट्रल म्यूज़ियम में लगाई गईं.