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अफगान विदेश मंत्री ने किरकिरी के बाद बुलाई एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस, इस बार 'सबको' बुलाया है

तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री' पर जमकर विवाद हुआ था. अब मुत्ताकी ने नई दिल्ली में एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है.

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने अफगानी समकक्ष आमिर खान मुत्ताकी के साथ (फोटो: PTI)

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने नई दिल्ली में एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है, जिसमें इस बार महिला पत्रकारों को भी बुलाया गया है. इससे पहले 10 अक्टूबर को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल होने की मंजूरी नहीं मिली थी. जिसके बाद खूब बवाल मचा और तालिबान सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस रविवार, 12 अक्टूबर को बुलाई है. मुत्ताकी, एक हफ्ते की भारत यात्रा पर हैं. शुक्रवार, 10 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनसे मुलाकात की. फिर कई अहम ऐलान हुए. इसके बाद मुत्ताकी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. लेकिन दोपहर में अफगानिस्तान दूतावास में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को शामिल होने से रोक दिया गया. जिसके बाद खूब बवाल मचा. 

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने इस घटना को ‘भेदभावपूर्ण’ बताया. हंगामा बढ़ता देख तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन की इस पर सफाई आई. उन्होंने कहा कि यह सब अनजाने में हुआ. उन्होंने ‘पास’ की कमी का हवाला देते हुए कहा,

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ऐसा नहीं है कि जानबूझकर महिलाओं को प्रेस ब्रीफिंग से बाहर रखा गया. कुछ पुरुष पत्रकार भी बाहर थे, जिन्हें ब्रीफिंग में हिस्सा लेने के लिए पास नहीं मिल पाए.

इस घटना पर महिला पत्रकारों समेत कई विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए. कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इसे महिलाओं का अपमान बताते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा. विपक्ष की तीखी आलोचनाओं के बाद भारत सरकार ने भी साफ किया कि अमीर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं थी. 

ये भी पढ़ें: 'औरतों से रोज ऑफिस में मिलते... ' प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री' पर बोला तालिबान

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बताते चलें, अमीर खान मुत्ताकी अफगानिस्तान में तालिबान सरकार (जो जनता द्वारा नहीं चुनी गई है) का हिस्सा हैं. ये ग्रुप (तालिबान) महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों के लिए जाना जाता है, जो उन्हें काम करने से रोकता है. तालिबान प्रशासन ने महिलाओं और लड़कियों के उन अधिकारों को बड़े पैमाने पर खत्म किया है, जो हाल के दशकों में निर्वाचित सरकारों ने उन्हें दिए थे. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी कहा है कि अफगान महिलाओं को वर्कफोर्स में शामिल होने के मौकों से रोका जा रहा है. इसके अलावा, लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है.

वीडियो: तालिबानी मंत्री के प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री', विपक्ष ने मोदी सरकार को घेर लिया

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