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बीफ पर कमेंट करने वाले को पुलिस ने मार डाला?

वॉट्सऐप पर बीफ के बारे में कुछ भी कहने से पहले 108 बार सोच लेना.

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फोटो - thelallantop

झारखंड का जामतारा जिला. 3 अक्टूबर को वहां मिन्हाज अंसारी नाम के 22 साल के लड़के को पुलिस उठा ले गई. क्यों? क्योंकि उसने वॉट्सऐप पर बीफ को लेकर एक कमेंट किया था. बीफ को लेकर हम कितने सेंसिटिव हैं, ये कुछ दिनों पहले साबित हो ही चुका है. 3 अक्टूबर को पुलिस मिन्हाज के साथ दो और लड़कों को उठा ले गई, जो बाद में छोड़ दिए गए, लेकिन मिन्हाज नहीं छोड़ा गया. 7 अक्टूबर को जब उसकी हालत खराब हुई, तो उसे हॉस्पिटल ले जाया गया और दो दिन पहले संडे को उसकी मौत हो गई.

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जब मिन्हाज के घरवाले पुलिस पर चढ़ बैठे तो एक्सक्यूज दिया गया कि मिन्हाज को दिमागी बुखार था. पुलिस को ये बात पता नहीं थी और चेकअप भी नहीं कराया गया. पुलिसवाले इतने एक्टिव थे कि उसकी हालत बिगड़ते ही उसके घरवालों को बताए बिना उसे धनबाद के हॉस्पिटल ले गए. पर ये कोई बताने को तैयार नहीं कि उसकी मौत कैसे हो गई.


इंडिया की पुलिस उसी मुस्तैदी से काम करती है. पुलिस की नाक के नीचे से कुछ बुरा होना तो छोड़िए, कोई बीफ जैसी बज्र इम्पॉर्टेंट
चीज पर कमेंट भी नहीं कर सकता. अगर किया तो उसका वही हाल होगा, जो मिन्हाज का हुआ. कभी दिमागी बुखार कारण होगा, तो कभी हाथी पांव. दिक्कत बस एक ही है. पुलिस के मामले में सब कुछ 'कथित तौर पर' होता है.

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मौत के बाद मिन्हाज अंसारी की एक तस्वीर Source: NDTV

मिन्हाज ने कथित तौर पर आपत्तिजनक मेसेज भेजा था. पुलिस ने शक की बिनाह पर उसे पकड़ लिया. पुलिस की कस्टडी में कथित तौर पर उसे चोटें आईं. कथित तौर पर वो दिमागी बुखार का मरीज था. कथित तौर पर पुलिस को उसकी बीमारी के बारे में पता नहीं था. कथित तौर पर दिमागी बुखार की वजह से ही हॉस्पिटल में उसकी मौत हो गई. कथित तौर पर जनता सब समझती है. बस एक ही चीज है जो कथित तौर पर नहीं हुई. मिन्हाज की मौत. वो सच में मर गया.

मिन्हाज के घरवाले चीख-चीखकर कह रहे हैं कि पुलिस ने उसे बेइंतेहा पीटा और टॉर्चर किया, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई. दिमागी बुखार वाली बात पुलिस ने सिर्फ मेडिकल रिकॉर्ड में दिखाने के लिए कही है. जामतारा के डीसीपी रमेश दुबे से इंडियन एक्सप्रेस को बड़ा परंपरागत जवाब दिया. बोले, 'मिन्हाज के पिता उमर शेख गांववालों के साथ थाने आए थे. उनके और ऑफिसर इन-चार्ज हरीश पाठक के बीच हाथापाई हुई. उन्होंने पाठक के खिलाफ हत्या की कोशिश की रिपोर्ट लिखाई, जिसे मिन्हाज की मौत के बाद हत्या के आरोप में बदल दिया गया.'

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जब पुलिस से पूछा गया कि मिन्हाज को कस्टडी में क्यों लिया गया था, तो जवाब मिला, 'वॉट्सऐप पर बीफ के बारे में कुछ ऐसे कमेंट किए गए थे, जिनसे सांप्रदायिक माहौल खराब हो सकता था. दशहरा और मुहर्रम आने वाले थे तो हमने एक्शन लिया. अब हालात सामान्य हैं.'


जब लड़कियों को अश्लील मेसेज और वीडियो भेजकर परेशान किया जाता है, तब पुलिस न जाने कहां होती है. जब पाकिस्तान और मुसलमानों की मां-बहन करने वाले मेसेजों पर ठहाके लगाए जा रहे होते हैं, तब पुलिस न जाने कहां होती है? बीफ पर किया गया एक कमेंट जब हिंदू-मुस्लिमों के बीच का माहौल खराब कर सकता है तो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के चुटकुलों पर तो दंगे हो जाने चाहिए. तब न जाने कहां होती है पुलिस.

सच्चाई ये है कि 22 साल का एक लड़का बीफ की भेंट चढ़ गया. इसके बदले उसके घरवालों को 2 लाख का मुआवजा मिलेगा.




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