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ईरान में नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी की फिर गिरफ्तारी का दावा, पिछले साल ही जेल से निकली थीं

Iran में Narges Mohammadi और कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लेने का दावा किया गया. उन्हें 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था. उन पर जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की मदद करने का आरोप था.

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नरगिस मोहम्मदी को 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. (फोटो- इंडिया टुडे)

ईरान ने एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया है. यह दावा मोहम्मदी के समर्थकों ने शुक्रवार, 12 दिसंबर को किया. हालांकि, 53 साल की मोहम्मदी की गिरफ्तारी पर ईरान की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है. मोहम्मदी को 2023 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था.

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नरगिस मोहम्मदी के नाम पर बनी एक संस्था ने दावा किया कि जब वे एक मानवाधिकार वकील की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने पहुंचीं, तो उन्हें जबरन गिरफ्तार कर लिया गया. नरगिस मोहम्मदी को दिसंबर 2024 में स्वास्थ्य कारणों की वजह से अस्थाई तौर पर जेल से रिहा किया गया था.

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पिछले हफ्ते खोसरो अलीकोर्डी नाम के मानवाधिकार वकील की उनके ही ऑफिस में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. शुक्रवार, 12 दिसंबर को वे मृतक वकील की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने मशाद पहुंची थीं.

द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां ईरान के सुरक्षा बलों ने उन्हें और उनके अन्य समर्थकों को कथित तौर पर जबरन गिरफ्तार कर लिया. पेरिस में रहने वाले मोहम्मदी के पति तघी रहमानी ने भी X पर उनकी गिरफ्तारी का दावा किया. रहमानी ने लिखा,

"नरगिस मोहम्मदी, सेपीदेह कोलियान और कुछ अन्य लोगों को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया."

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एक अन्य पोस्ट में तघी ने लिखा,

"मशहद में एक समारोह में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या अभी भी पता नहीं है."

उनके समर्थक महीनों से चेतावनी दे रहे थे कि उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता है. अभी यह भी साफ नहीं है कि बाकी सजा काटने के लिए उन्हें वापस जेल भेजा गया या नहीं. मोहम्मदी के नाम पर बनी संस्था ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के समय उनके भाई मेहंदी मोहम्मदी भी उस कार्यक्रम में मौजूद थे. उन्होंने भी गिरफ्तारी का दावा किया है.

श्रद्धांजलि सभा के कथित वीडियो में देखा गया कि मोहम्मदी माइक्रोफोन से लोगों को संबोधित कर रही थीं. वे लोगों से बिना हिजाब और स्कार्फ के इकट्ठा होने के लिए कह रही थीं. इसके अलावा उन्होंने लोगों से 'मजीदरेजा रहनावरद' के नाम को जपने के लिए कहा. रहनावरद वो शख्स हैं, जिन्हें साल 2022 में जनता के सामने क्रेन पर लटका कर मौत की सजा दी गई थी.

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मोहम्मदी के समर्थकों ने बताया कि 2022 में इमरजेंसी सर्जरी से पहले उन्हें जेल में कई हार्ट अटैक आए थे. साल 2024 के अंत में उनके वकील ने बताया कि डॉक्टरों को उनकी हड्डी में एक चोट मिली. जिससे उनको कैंसर हो सकता था. हालांकि, बाद में उसे ठीक कर दिया गया था.

नरगिस मोहम्मदी ने फिजिक्स की पढ़ाई की है. साल 2003 में तेहरान के ‘डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ नाम के एक संगठन से जुड़ीं. इस संगठन को उसी साल नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने शुरू किया था.

नरगिस मोहम्मदी ने हमेशा समानता और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी. उन्हें 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था. उन पर जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की मदद करने का आरोप था. इसके लिए उन्होंने कई सालों तक जेल की सजा काटी.

मोहम्मदी 2 साल बाद जमानत पर रिहा हुईं. इसके बाद भी वो समानता की लड़ाई लड़ती रहीं. नरगिस मृत्युदंड के खिलाफ चलाए गए एक अभियान में शामिल हुईं. इसके लिए 2015 में उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और उनकी सजा को बढ़ा दिया गया. तब से वे जेल में बंद थी, लेकिन बाद में मेडिकल कारणों के चलते उन्हें अस्थाई तौर पर रिहा कर दिया गया.

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