एक लड़ाका, एक वजीर या कहें तो एक सेनापति. जो दुनिया के कई बड़े हिस्सों में जीत हासिल कर चुका था. तलवार की दम पर हर दिन, हर वक्त सिर्फ आगे बढ़ने की सोचता था. नए प्लान बनाता था, एक के बाद एक राज्यों पर अपना कब्जा जमा रहा था. महज 52 साल की उम्र में उसकी मौत हुई. पर उसकी कहानी सुनो तो उसका अंत होता नहीं दिखता. जिसका कोई दूसरा छोर नहीं. जिसकी कहानी के सिर्फ दो ही हिस्से- जीत या हार. वो हर वक्त सिर्फ चढ़ा या उतरा. ये था फ्रांस का शासक नेपोलियन बोनापार्ट.
तारीख: नेपोलियन बोनापार्ट और टीपू सुल्तान के बीच हुई डील की कहानी
टीपू सुल्तान नेपोलियन से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने इस फ्रांसीसी सेनापति से अपना कनेक्शन तक जोड़ लिया था. कैसे बना था ये कनेक्शन? और इसका मकसद क्या था? आखिर यूरोप का नेपोलियन और हिंदुस्तान का टीपू सुल्तान एक-दूसरे से क्या चाहते थे. दोनों के बीच कौन से डील लगभग पक्की हो चुकी थी? आज कहानी इसी डील की.
नेपोलियन और उसकी सेना उस दौर में यूरोप में ऐसी छाई हुई थी कि दुनिया के कई राजा और विशेषतौर पर राजकुमार उसकी बहादुरी के दीवाने थे. उसके प्रशंसकों में एक बड़ा नाम हिन्दुस्तान से भी था, ये था मैसूर के शासक हैदर अली का बेटा टीपू सुल्तान. यूरोप से लोग मैसूर आते थे और टीपू को नेपोलियन के किस्से सुनाते थे. टीपू नेपोलियन से इतना प्रभावित था कि उसने इस फ्रांसीसी सेनापति से अपना कनेक्शन तक जोड़ लिया था. कैसे बना था ये कनेक्शन? और इसके बनने का मकसद क्या था? आखिर यूरोप का नेपोलियन और हिंदुस्तान का टीपू सुल्तान एक-दूसरे से क्या चाहते थे. दोनों के बीच कौन से डील लगभग पक्की हो चुकी थी? ये सब जानेंगे तारीख के इस एपिसोड में देखें वीडियो.